अयोध्या विवाद के शांतिपूर्ण हल के लिए CJP ने SC में दाखिल की याचिका, आप भी करें समर्थन

नई दिल्ली। अयोध्या का शाब्दिक अर्थ समझा जाए तो यह (अ-युद्धा) होता है, जिसका मतलब है कि वह स्थान जिसे युद्ध से नहीं जीता जा सकता। लेकिन बड़ी विडम्बना है कि अयोध्या विवाद का नाम लेते ही 'अलगाव' की राजनीति और खून खराबे का मंजर आंखों के सामने कौंधने लगता है। 25 साल से अयोध्या को लेकर बांटने वाली राजनीति होती आ रही है।
सियासी फायदे के लिए की जा रही इस राजनीति से इतर देखा जाए तो लगभग सभी भारतीय यह चाहते हैं कि नफरत या टकराव के बजाय यह अनमोल सांस्कृतिक शहर समझदारी, संवाद और आपसी सहयोग का प्रतीक बने। शांति से संवाद और निपटारे की पहल के तहत् सिटिज़न्स फॉर जस्टिस एंड पीस (CJP) को करीब तीन दर्जन जानी मानी हस्तियों ने समर्थन दिया है।
CJP ने इस मुद्दे को लेकर अपनी दलीलों के साथ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है। CJP द्वारा दायर की गई याचिका में कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय भारत और अयोध्या में उन अनमोल संवैधानिक सिद्धांतों को पुनर्स्थापित करे जिसकी बुनियाद पर स्वाधीन भारत का अस्तित्व साकार हुआ था।
CJP की पहल को श्याम बेनेगल, अपर्णा सेन, ओम थानवी, आरबी श्रीकुमार, आनंद पटवर्धन, गणेश देवी, मेधा पाटकर, अरुणा रॉय, अनिल धरकर, तीस्ता सीतलवाड़, जॉय सेनगुप्ता, साइरस गजर, राम रहमान, सोहेल हाशमी, एम के रैना, डॉ. बीटी ललिता नाईक, जॉन दयाल, सुमन मुखोपाध्याय, किरण नागरकर, कुमार केतकर, कल्पना कन्नामिरन, के.एल. अशोक, केपी श्रीपला, ए.के. सुब्बिया, सुरेश भट्ट बकाबेल, प्रोफेसर जी हरगोपाल, एन बाबायाह, तानाज दारा मोदी, मुनीज़ा खान, तनवीर जाफरी और डॉल्फी डिसूजा जैसी दिग्गज हस्तियों ने समर्थन दिया है।
CJP द्वारा दर्ज मज़बूत दलीलों के अनुसार, न्यायालय इसे केवल संपत्ति-विवाद का मामला नहीं मान सकता। यह गैरबराबर वालों के बीच की लड़ाई है, साथ ही यह भी संज्ञान में लेना आवश्यक है कि जिन्होंने अतीत में अपराध किये हैं, वे अब सत्ता में हैं। न्यायालय इस मामले को संवैधानिक बेंच के समक्ष रखते हुए महज जमीन का टुकड़ा समझने के बजाय वो मामला समझे जिसने धर्मनिरपेक्ष लोकतान्त्रिक गणतंत्र की नींव को झकझोर दिया है।
अनुच्छेद 142 के तहत सर्वोच्च न्यायालय के पास यह ताक़त होती है, कि वह किसी भी स्थिति में “पूर्ण न्याय” सुनिश्चित करे। यहां CJP का कहना है, कि सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 142 के तहत मामले का हल ढूँढने के लिए न्यायलय के भीतर या बाहर कोई भी रास्ता अपनाये। इस अनुच्छेद में दोनों पक्षों की मांग के दायरे के बाहर से भी हल ढूँढने का प्रावधान है। हम आग्रह करते हैं कि जहां बाबरी मस्जिद कभी हुआ करती थी उस जगह को एक तटस्थ संवैधानिक जगह में बदला जाए जो भारत में नई शांतिपूर्ण शुरुआत का संकेत दे। और जो हिंसा की राजनीति को स्पष्ट रूप से नकारा जाए।
शांति के इस अभियान में शामिल होने के लिए CJP ने 10 लाख हस्ताक्षर वाला अभियान चलाया है। आप भी इसमें हिस्सेदार बनने के लिए इस लिंक पर क्लिक कर इस पहल को अपना समर्थन दे सकते हैं।
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