सभी दलों ने किया सीज़फायर का स्वागत, लेकिन ट्रंप की मध्यस्थता पर सवाल

भारत–पाकिस्तान के बीच हुए सीज़फायर पर विभिन्न राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं हैं। सभी विपक्षी दलों ने इस संघर्ष विराम का स्वागत किया है, लेकिन साथ ही इसमें अमेरिकी मध्यस्थता को लेकर कुछ सवाल भी उठाए हैं। और प्रधानमंत्री से तत्काल संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने की मांग की है।
कांग्रेस की ओर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट ने मीडिया से कहा कि "पिछले कई दशकों से हमारी विदेश नीति बड़ी स्पष्ट थी। उसमें मध्यस्थता, समझौते और तीसरे पक्ष के शामिल होने की बात नहीं होती थी। ऐसे में हमारी अपील है कि सरकार को सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए।
हमारे सैनिकों ने पिछले दिनों जिस ताकत, शौर्य और कार्यकुशलता से पाकिस्तान को मजा चखाने का काम किया है, उस पर हम सभी को नाज और फ़ख़्र है।"
अमेरिका का दो दिन पहले कहना, it is none of our business… उसके बाद Secretary of State, उप-राष्ट्रपति और राष्ट्रपति सबसे पहले घोषणा करते हैं कि सीजफायर हो रहा है, उसके बाद पाकिस्तान और भारत भी सीजफायर का ऐलान करते हैं।
• यह जो मध्यस्थता हुई है, क्या इसे भारत सरकार ने Accept किया… pic.twitter.com/7z2SiSjd7I
— Congress (@INCIndia) May 11, 2025
कांग्रेस ने सवाल कई गंभीर सवाल पूछे हैं– "यह जो मध्यस्थता हुई है, क्या इसे भारत सरकार ने Accept किया है? अमेरिका ने किन शर्तों पर इस प्रकार की घोषणा की है, यह बहुत बड़ा सवाल है। इसमें कश्मीर का जिक्र भी किया गया है। डिप्लोमेसी का अपना एक रोल है, लेकिन अगर इस प्रकार वॉशिंगटन से सीजफायर की घोषणा होती है, तो कई सवाल खड़े होते हैं।"
1971 में जब युद्ध छिड़ा था, तब अमेरिका ने कहा था कि हम बंगाल की खाड़ी में अपना सातवां बेड़ा भेज रहे हैं। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी आगे बढ़ीं और वो किया जो देशहित में जरूरी था। आज हम उन्हें याद कर रहे हैं।
जब संसद पर हमला हुआ था, तब अटल जी प्रधानमंत्री थे और सोनिया… pic.twitter.com/GJ5NAOsdCo
— Congress (@INCIndia) May 11, 2025
सभी प्रमुख वाम दलों ने भी सेना के साहस की प्रशंसा करते हुए सरकार से सवाल पूछे हैं–
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी–मार्क्सवादी (CPI-M) के पोलित ब्यूरो बयान जारी कर कहा कि "भारत और पाकिस्तान के बीच तत्काल प्रभाव से लागू होने वाले संघर्षविराम की घोषणा का सकारात्मक रूप से स्वागत करती है। दोनों देशों की जनता शांति की हक़दार है ताकि वे तरक़्क़ी और खुशहाली की दिशा में आगे बढ़ सकें। हम दिल से आशा करते हैं कि दोनों देश इस पहल को आगे बढ़ाएं। पाकिस्तान को अपनी सीमा से आतंकवादी गतिविधियों पर पूरी तरह रोक सुनिश्चित करनी चाहिए। यह ज़रूरी है कि आगे कोई टकराव न हो, इसके लिए उचित कदम उठाए जाएं।"
#CPIM Polit Bureau positively notes the #ceasefire announcement between #India and #Pakistan
Read the statement at: https://t.co/LH0XkmunGD#IndiaPakistanConflict pic.twitter.com/DGZsKGhNgh
— CPI (M) (@cpimspeak) May 10, 2025
CPI-M के ही लोकसभा सांसद और किसान नेता अमराराम ने ग्वालियर में कहा कि – "युद्धविराम की घोषणा एक अच्छी और स्वागतयोग्य बात है किन्तु अमेरिका द्वारा इसके लिए की गयी मध्यस्थता की खबर चिंताजनक बात है। आजादी के बाद से लेकर आज तक चाहे कश्मीर का सवाल हो या पाकिस्तान अथवा किसी भी और देश के साथ सीमा विवाद का प्रश्न भारत की यह नीति रही है कि वह किसी भी तीसरी शक्ति के हस्तक्षेप या भूमिका को स्वीकार नहीं करेगा।
पहलगाम के जघन्य और निंदनीय आतंकी हमले के बाद के घटना विकास में अमेरीका के चौधरी बनने की कोशिश इस नीति के विपरीत है। प्रधानमंत्री को इस बारे में स्थिति साफ़ करना चाहिए। भारत की जनता अमेरिकी मध्यस्थता को कभी स्वीकार नहीं करेगी।"
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने भी कहा कि वह भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष विराम समझौते का स्वागत करती है और इसे क्षेत्र में शांति बनाए रखने की दिशा में एक सकारात्मक क़दम मानती है, जिससे नियंत्रण रेखा के आसपास रहने वाले लोगों को राहत मिली है।
हालांकि CPI अमेरिका की इस प्रक्रिया में कथित भूमिका को लेकर गहरी चिंता जताती है। यह द्विपक्षीय मुद्दा था जिसे भारत और पाकिस्तान सीधे संवाद के ज़रिये सुलझा सकते थे। अमेरिका जैसी साम्राज्यवादी शक्ति को इसमें शामिल करना शिमला समझौते की आत्मा के विरुद्ध है और इससे कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण होता है।
CPI मांग करती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्पष्ट करें कि अमेरिका की क्या भूमिका रही और कैसे अमेरिकी राष्ट्रपति ने पहले संघर्षविराम की घोषणा कर दी। साथ ही, CPI संसद का विशेष सत्र बुलाकर इस पर पारदर्शी चर्चा कराने की मांग करती है।
The Communist Party of India welcomes the recent ceasefire agreement between India and Pakistan as a positive and necessary step towards preventing a full-scale war and safeguarding peace in the region. This development offers much-needed relief to the people living along the… pic.twitter.com/65PY2VYIlc
— D. Raja (@ComradeDRaja) May 11, 2025
भाकपा माले (CPI-ML) ने भी इस संबंध में अपना बयान जारी किया है–
“तो क्या अब मोदी के नेतृत्व वाला भारत, एक पूर्ण पैमाने पर भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष की आशंकाओं के बीच अमेरिका की मध्यस्थता की 'एक लंबी रात' के बाद ही युद्धविराम पर सहमत हो पाया है? देश में बीते तीन दिनों से बढ़ती चिंता के बीच युद्धविराम की खबर अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प और उनके अधिकारियों ने दी, जिसे भारत और पाकिस्तान ने बाद में जाकर पुष्टि की।
काश, दोनों देश की सरकारें अपनी जनता की आवाज़ सुनतीं और अमेरिका जैसे बाहरी हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश न छोड़तीं।
मोदी सरकार को बीते कुछ दिनों में 'राष्ट्रीय सुरक्षा' के नाम पर उठाए गए मनमाने कदमों को तुरंत वापस लेना चाहिए और उन नागरिकों व मीडिया मंचों के संवैधानिक अधिकारों की गारंटी देनी चाहिए जिन्होंने इस हमले को संभव बनाने वाली चूकों पर सवाल उठाए, नफ़रत और उन्माद को ठुकराया और शांति और न्याय की मांग की।”
Guarantee #Ceasefire. De-escalate. Bring perpetrators of #PahalgamTerroristAttack to justice. Restore full diplomatic ties between India and Pakistan. Build lasting peace, promote bilateral and regional friendship and cooperation. pic.twitter.com/HgYTSTsK0n
— Dipankar (@Dipankar_cpiml) May 10, 2025
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने अपने X हैंडल पर पोस्ट किया– “प्रधानमंत्री जी से आग्रह है कि संसद का विशेष सत्र बुलाकर पहलगाम की आतंकी घटना से लेकर सीजफायर तक तिथिवार और बिंदुवार जानकारी देते हुए देश को भरोसे में लें ताकि समस्त भारतवासी संसद के माध्यम से एक स्वर एक ध्वनि में भारतीय सेना के शौर्य, वीरता और पराक्रम को धन्यवाद देते हुए विभिन्न पहलुओं पर विचार रखें…।”
प्रधानमंत्री जी से आग्रह है कि संसद का विशेष सत्र बुलाकर पहलगाम की आतंकी घटना से लेकर सीजफायर तक तिथिवार और बिंदुवार जानकारी देते हुए देश को भरोसे में लें ताकि समस्त भारतवासी संसद के माध्यम से एक स्वर एक ध्वनि में भारतीय सेना के शौर्य, वीरता और पराक्रम को धन्यवाद देते हुए विभिन्न…
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) May 10, 2025
ज़्यादातर अन्य दलों ने भी इसी तरह की प्रतिक्रिया दी है और जल्द से जल्द सर्वदलीय बैठक या संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है।
वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने तो कहा कि विपक्ष को इस बार तभी सर्वदलीय बैठक में तभी जाना चाहिए जब सरकार ये आश्वासन दे कि उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे। उन्होंने भी संसद का विशेष सत्र तत्काल बुलाने की मांग की
We salute defence forces for befitting reply, people are with them. I had asked for a special session of Parliament, we did not get answer. Since there has been a ceasefire, we will ask again. We cannot wait till Monsson Session, if we don't get answers, there would be acrimony. pic.twitter.com/OchNHkR38U
— Kapil Sibal (@KapilSibal) May 11, 2025
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