कार्टून क्लिक : ...तो चुनाव घोषित कर दिया जाए सरकार!

आपने 5 साल कुछ किया हो या न किया हो, लेकिन चुनाव के वक़्त जनता की भलाई बहुत याद आती है। हालांकि इसमें कुछ भी नया नहीं है। चुनाव से ऐन पहले हर सत्तारूढ़ दल जल्दी से जल्दी से कुछ लोकलुभावन घोषणाएं और शिलान्यास, उद्घाटन कार्यक्रम करके चुनाव में ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा लेना चाहता है। इसमें केंद्र भी शामिल रहता है और राज्य सरकारें भी। इसमें नया ये है कि अब कुछ समय से चुनाव तारीख़ों के ऐलान में केंद्र में सत्तारूढ़ दल की सुविधा का ध्यान रखे जाने का आरोप ज़्यादा लगने लगा है। निर्वाचन आयोग जो एक स्वायत्त निकाय है उस पर अब ये आरोप आम हो गया है कि वह मोदी सरकार की सुविधा अनुसार चुनाव कार्यक्रम का ऐलान करने लगा है। यह ध्यान रखा जाने लगा है कि चुनाव वाले राज्यों में प्रधानमंत्री के सरकारी दौरे ठीक से निपट जाएं और घोषणाएं जो होनी हैं वो हो जाएं। ख़ैर, राजनीति में यह विवाद चलता रहेगा। लेकिन अहम है चुनाव के मैदान में मुकाबला। अब पांच राज्यों पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में चुनाव की बारी है। देखना होगा कि किस दल में कितना दम है।
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