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‘आप’ और नए मुख्य सचिव के रिश्ते भी सवालों के घेरे में

दिल्ली सरकार व अफसरों के बीच तनाव कम होने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं। केंद्र की ओर से नए मुख्य सचिव की नियुक्ति पर आम आदमी पार्टी ने गंभीर सवाल उठाए हैं।
kejriwal and vijay kumar dev

आम आदमी पार्टी (आप) के नेताओं का कहना है कि  कौन मुख्य सचिव बनता है यह महत्वपूर्ण नहीं है, न इससे फर्क पड़ता है, लेकिन जब भाजपा शसित केंद्र की सरकार अधिकारी पर अपने बल प्रयोग व सीबीआई और अन्य संस्थानों का भय दिखाकर दिल्ली की चुनी सरकार के खिलाफ षड्यंत्र रचते हैं व सरकार के काम में अड़चनें पैदा करते हैं, तो वो तकलीफदेह होता है।
दिल्ली के मुख्य सचिव अंशुल प्रकाश के संचार विभाग में ट्रांसफर के बाद नए मुख्य सचिव की नियुक्ति की गई है। ऐसे में दो सवाल मुख्य उठ रहे हैं कि कौन हैं नये मुख्य सचिव और उनके दिल्ली सरकार के साथ सबंध कैसे हैं या कैसे रहेंगे? क्योंकि अब तक तो इतिहास विवादों का रहा है। हमने देखा है कि पीछे किस प्रकार दिल्ली सरकार व मुख्य सचिव के बीच मनमुटाव व तनाव किस हद तक बढ़ गया था। यहाँ तक कि मुख्य सचिव अंशुल प्रकाश ने तो दिल्ली के मुख्यमंत्री समेत उनके कई साथियों पर मारपीट का आरोप भी लगाया था जिसके बाद इन दोनों का झगड़ा सड़क पर आ गया था। दूसरा सवाल क्या नए मुख्य सचिव केंद्र और राज्य के बीच के तनाव को कम कर पाएंगे? क्योंकि जबसे दिल्ली में केजरीवाल सरकार आई है, पहले दिन से ही केंद्र व राज्य के बीच मतभेद या फिर कहें कि मनभेद जग जाहिर है। 
नए मुख्य सचिव कौन?
विजय कुमार देव अब दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव नियुक्त किए गए हैं। विजय कुमार देव एजीएमयूटी कैडर के 1987 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) थे। वे दिल्ली में परिवहन निगम के चेयरमैन, दिल्ली के मंडलायुक्त के साथ अन्य कई महत्वपूर्ण  पदों पर रह चुके हैं। 
नए मुख्य सचिव को लेकर आप के गंभीर सवाल ?
दिल्ली सरकार व अफसरों के बीच तनाव कम होने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं। केंद्र की ओर से नए मुख्य सचिव की नियुक्ति पर आम आदमी पार्टी ने गंभीर सवाल उठाए हैं। हालांकि पार्टी का कहना है कि व्यक्तिगत रूप से सभी अधिकारी अच्छे आदमी हैं परन्तु वो भी केंद्र की सत्ता के भय या दबाव में आकर सरकार के काम में अड़ंगा लगाते हैं।
‘आप’ का विजय कुमार देव की नियुक्ति पर कहना है कि ऐसे अफसर को मुख्य सचिव नियुक्त किया जा रहा है  जिसकी देखरेख में बड़े स्तर पर मतदाताओं का नाम मतदाता सूची से हटाया गया। दूसरा गंभीर मुद्दा है कि उनको एक साल जूनियर होने के बावजूद क्यों दिल्ली का मुख्य सचिव बनाया जा रहा है?
‘आप’ के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जिस अफसर के संरक्षण में इतने बड़े स्तर पर मतदाताओं का नाम हटाया गया वह संदेह पैदा करता है। इसके अलावा उनके मुताबिक मुख्य सचिव को चुनने के तय प्रक्रिया को छोड़कर  एक साल जूनियर अधिकारी  को मुख्य सचिव बनाने के पीछे केंद्र सरकार की कोई न कोई खुराफात जरूर है। केंद्र को बताना चाहिए कि जूनियर अफसर को मुख्य सचिव बनाने के पीछे क्या मकसद रहा। 
दिल्ली सरकार से कोई राय नहीं ली जाती
‘आप’ का कहना है कि दिल्ली की पूर्व की सभी सरकारों चाहे वो शीला दीक्षित सरकार है या आम आदमी पार्टी की 49 दिन की सरकार, इस दौरान अफसरों की नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार दिल्ली की सरकार से सलाह मशवरा ज़रूर करती थी, लेकिन 2015 में जब आम आदमी पार्टी सरकार अद्भुत बहुमत के साथ आई,  उसके बाद चुनी हुई सरकार से किसी भी नियुक्ति में सलाह नहीं ली जाती है। केंद्र अपने पसंद के अफसरों को दिल्ली में नियुक्त करता है जो दिल्ली सरकार के कामकाज में रुकावट लाए।
‘आप’ नेता सौरभ भारद्वाज ने मीडिया से बातचीत दौरान केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि किसी आला अधिकारी की नियुक्ति पर उस राज्य की सरकार को जानकारी दी जाती है, लेकिन दुर्भाग्यवश दिल्ली में ऐसी घटनाएं हो रही हैं, जहां किसी भी विभाग में अधिकारी या बड़े अफसर की नियुक्ति से पहले चुनी हुई सरकार से सलाह मशवरा नहीं किया जाता है। बीजेपी की सरकार हमेशा दिल्ली सरकार को गिराने  की भावना से कार्य करती है। उनका यह भी कहना था कि सारी नौकरशाही गलत नहीं हैं लेकिन कुछ लोग ज़रूर भाजपा के दवाब में सरकार को रोकने का काम करते हैं।
क्या हालात बदलेंगे?
मुख्य सचिव बदल जाने से दिल्ली सरकार के साथ चल रही अनबन खत्म हो जाएगी, अभी भी ये बड़ा सवाल बना हुआ है। क्योंकि जैसे पहले भी बताया कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने पिछले दिनों फर्जी वोटिंग लिस्ट का मुद्दा उठाया था और चुनाव आयोग के साथ खुलकर तनातनी हुई थी। इस दौरान दिल्ली के चुनाव आयोग की जिम्मेदारी विजय कुमार देव के पास ही थी।  ऐसे में आप मान सकते है की  एक बार फिर मुख्य सचिव के पद पर वही व्यक्ति आया है, जिसके साथ आम आदमी पार्टी व दिल्ली सरकार की पुरानी कलह जारी है। ऐसे में ये उम्मीद करना की अधिकारी और सरकार के बीच सबकुछ ठीक होगा और वो मिलकर दिल्ली के लिए काम करेंगे अभी यह एक सपना मात्र ही है। 

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