भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

देश में गहरे पैठ चुका इस्लामोफोबिया इस हद तक पहुँच गया है कि यह भारत के कूटनीतिक संबंधों को तो बर्बाद कर ही रहा है, अनचाहे यह इस्लामी जगत में भारत के दुश्मन नम्बर 1 कहे जाने वाले पाकिस्तान की मदद कर रहा है। इसे पूरे परिप्रेक्ष्य के साथ समझने का प्रयास करते हैं।
ज्ञानवापी मस्जिद में ‘शिवलिंग’ ढूंढने से शुरू हुआ मामला, मक्का में मक्केश्वर मंदिर की मांग से लेकर पैग़ंबर-ए-इस्लाम के अपमान तक पहुंच गया। भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने 27 मई को एक टीवी चैनल पर डिबेट के दौरान पैग़ंबर-ए-इस्लाम पर अमर्यादित टिप्पणी कर दी, भाजपा प्रवक्ता की उस टिप्पणी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होना शुरू हो गया। उनके ख़िलाफ़ मुसलमानों की ओर से कई शहरों में शिकायत भी दर्ज कराई गई। इसके दो दिन बाद ही भाजपा के दिल्ली प्रदेश के मीडिया प्रभारी नवीन कुमार जिंदल ने भी पैग़ंबर-ए-इस्लाम पर अमर्यादित ट्वीट किया। नवीन कुमार ने पैग़ंबर-ए-इस्लाम को लेकर लगातार दो दिन ट्वीट किये। मुस्लिमों की ओर से विरोध दर्ज कराने के बावजूद नवीन कुमार जिंदल ने अपने ट्वीट नहीं हटाए। इसी को लेकर शुक्रवार तीन जून को उत्तर प्रदेश के कानपुर में विरोध प्रदर्शन हुआ, प्रदर्शन में हिंसा हो गई। हिंसा को लेकर कथित रूप से सिर्फ़ मुसलमानों की गिरफ़्तारी पर भी प्रश्न उठ रहे हैं।
कानपुर में हुई हिंसा के बाद यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट किया कि, “भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा दिए गए भड़काऊ बयान से, कानपुर में जो अशांति हुई है, उसके लिए भाजपा नेता को गिरफ़्तार किया जाए।” लेकिन भाजपा नेतृत्व ने अपने नेताओं द्वारा की गई विवादित बयानबाज़ी पर कोई एक्शन नहीं लिया।
चार जून की शाम को ट्विटर पर #Stopinsulting_ProphetMuhammad ट्रेंड होना शुरू हुआ, देखते-देखते अरबी भाषा में #إلارسولاللهيامودي ट्रेंड शुरू हो गया जिसमें ओमान के ग्रैंड मुफ्ती ने भी ट्वीट किया। उनसे पहले कुवैत के मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं वकील मैज़बल अल शरीक़ा ने ट्वीट करते हुए लिखा, “भाजपा ने रेड लाइन क्रॉस कर दी है। यह लगातार हमारे प्यारे नबी (सल्ल) के अपमान की कोशिश कर रही है। अरब की ज़मीन पर रहने वाले हिन्दुओं का नवीन जिंदल को खामोश समर्थन ने अरब की सड़कों पर गैर अनुमानित गुस्सा भर दिया है। इस पूर्व नियोजित निंदा के गंभीर परिणाम होंगे।” मैज़बल अल शरीक़ा समेत दूसरे यूजर्स ने #إلارسولاللهيامودي पर भड़काऊ बयान देने वाले हिंदुत्ववादियों के वीडियो भी पोस्ट किये। देखते ही देखते आम अरबियों ने अरबी भाषा में ट्वीटर पर लिखना शुरू कर दिया कि भारतीय कामगारों को अरब की भूमि से निकालो। इन्हें काम से हटाइए और भारतीय उत्पादों का बहिष्कार करना चाहिए।
Dear @OIC_OCI Shall we not be betraying our beloved prophet PBUH if we continue business as usual with those who openly insult him and oppress his followers in India? Hindu party BJP has turned the entire Muslim world into a butt of a joke. When shall we ever respond? #Ummah
— المحامي⚖مجبل الشريكة (@MJALSHRIKA) June 5, 2022
लाखों ट्वीट के अलावा कई वीडियो और फोटो सामने आए जिसमें भारत, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध अरब के आम लोगों का गुस्सा देखने को मिला। पूरे दो दिन तक अरब के कई देशों में नरेन्द्र मोदी के ख़िलाफ़ ट्रेंडिंग चलती रही। आमतौर पर मुस्लिम विरोध की स्थापित राजनीति करने वाली भारतीय जनता पार्टी कब ‘मुसलमान’ से ‘इस्लाम’ के विरोध में आ गई, इसका उसे अंदाज़ा ही नहीं रहा।
डरे हुए भाजपा आलाकमान ने प़ैगंबर-ए-इस्लाम पर अपमानजनक टिप्पणी करने वाले अपने दोनों नेताओं में एक नूपुर शर्मा को निलम्बित किया जबकि नवीन जिंदल को पार्टी से निकाल दिया। इसके बाद जो हुआ उसने देश का सर शर्म से झुका दिया।
إن الاجتراء الوقح البذيء من الناطق الرسمي باسم الحزب المتطرف الحاكم في الهند على رسول الإسلام ﷺ وعلى زوجه الطاهرة أم المؤمنين عائشة رضي الله عنها هو حرب على كل مسلم في مشارق الأرض ومغاربها، وهو أمر يستدعي أن يقوم المسلمون كلهم قومة واحدة pic.twitter.com/T58Ya1dGox
— أحمد بن حمد الخليلي (@AhmedHAlKhalili) June 4, 2022
कतर, कुवैत और ईरान ने भारतीय राजदूत को तलब कर लिया। दो साल के भीतर यह तीसरा मौक़ा है जब मुस्लिम जगत ने भारतीय मुसलमानों के मुद्दे पर भारत से नाराज़गी जताई है। पहली बार मार्च 2020 में तब्लीग़ी जमात को मीडिया चैनल्स एंव भाजपा द्वारा कोरोना जमात बनाने का खेल शुरू हुआ था, तब भी मुस्लिम देशों की आपत्ति के बाद नफ़रत का अभियान पर विराम लगा था। उसके बाद भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या के ट्वीट को लेकर अरब जगत ने नाराजगी दर्ज कराई थी। और अब पैग़ंबर-ए-इस्लाम के अपमान को लेकर मुस्लिम जगत की नाराज़गी सबके सामने है। तीनों मामले में भाजपा को बैकफुट पर जाना पड़ा है।
BJP has crossed the red line by repeatedly trying to insult our beloved prophet BPUH. The silent support of Hindus living in the Arab world to @naveenjindalbjp has caused unprecedented anger on Arab streets. This pre planned blasphemy will’ve serious repercussions.
— المحامي⚖مجبل الشريكة (@MJALSHRIKA) June 4, 2022
यही मूल प्रश्न है कि भाजपा नेताओं की विवादित बयानबाज़ी पर सिर्फ़ तभी कार्रवाई होगी जब अरब या मुस्लिम जगत विरोध करेगा? क्या भारतीय मुसलमानों की भावना और विरोध का कोई मोल नहीं? क्या तब भी भाजपा अपने नेताओं नसीहत देते हुए कहती है कि “वे सभी मजहब और संप्रदायों का आदर करें और किसी भी अन्य धर्म एवं उसके अनुयायियों को अपमानित करने या नीचा दिखाने की कोशिश न करें।” मुमकिन है इसका जवाब नहीं ही होगा, क्योंकि अगर भाजपा को “सभी धर्मों का आदर” करने का जो एहसास पांच जून को हुआ है, अगर इस दावे में सच्चाई होती तो वह 27 मई को ही हो गया होता, जिस रोज़ भाजपा प्रवक्ता ने टीवी चैनल पर पैगंबर-ए-इस्लाम पर अपमानजनक टिप्पणी की थी।
सवाल यह है कि क्या भाजपा की जवाबदेही भारतीय मुसलमानों के लिये नहीं है? क्या भाजपा भारतीय मुसलमानों को भारत का नागरिक नहीं मानती? मौजूदा सरकार भारतीय मुसलमानों की समाधान के लिये एक नया रास्ता खोल रही है। क्या भाजपा यह संदेश दे रही है कि भारतीय मुसलमान अपने धार्मिक मुद्दों को लेकर कितना ही प्रदर्शन कर लें, धरना दे लें, लेकिन उनका समाधान तब ही होगा जब उन मुद्दों पर मुस्लिम जगत से आवाज़ उठेगी? तब्लीग़ी जमात प्रकरण से लेकर नुपूर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल की अनर्गल बयानबाज़ी तक भाजपा ने यही किया है। भाजपा को यह मानना होगा कि भारतीय मुसलमान भारत के ही हैं। दंगों में मारे जाने से लेकर, पुलिस प्रताड़ना तक के ख़िलाफ भी भारतीय मुसलमानों ने कभी किसी मुस्लिम देश की ओर मुंह उठाकर नहीं देखा, किसी मुस्लिम देश से मदद नहीं मांगी, लेकिन फिर भी भाजपा भारतीय मुसलमानों की भावनाओं उनकी नाराज़गी को एक तरफ रख मुस्लिम देशों की नाराज़गी के लिये ज्यादा फिक्रमंद नज़र आई है।
भारतीय जनता पार्टी राजनीति बख़ूबी जानती होगी, लेकिन देश के नागरिकों की भावना, मुद्दे, विरोध, चुनौती और आवश्यकता की भी काश उसे जानकारी होती। अगर भारत के मुसलमानों की सुनवाई अरब के ही सहारा होनी है तो क्या इस ग़लत परम्परा की ज़िम्मेदारी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नहीं है? इसके इतर भारत को जो कूटनीतिक नुक़सान हो रहे हैं, उसकी क़ुर्बानी क्या भाजपा के राजनीतिक लाभ के लिए दी जा सकती है? भाजपा और संघ परिवार की इन हरकतों की वजह से क्या ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ इस्लामिक कंट्रीज़ और अरब लीग में पाकिस्तान मुखर नहीं होता जा रहा? जिस ओमान और ईरान ने हमेशा पाकिस्तान पर भारत को तरजीह दी, क्या इन हरकतों से हम ओमान और ईरान जैसे मित्र देशों को पाकिस्तान की झोली में नहीं डाल रहे? भाजपा ने क्या देशज लाभ के लिए भारत के वैश्विक हितों को पलीता नहीं लगा दिया?
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)
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