झारखंड विधान सभा में लगी ‘छात्र संसद’; प्रदेश के छात्र-युवा अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर

झारखंड सरकार ने 30-31 अक्टूबर को प्रदेश की विधान सभा में दो दिवसीय छात्र संसद लगाई। जो इस लिहाज से एक विशेष महत्व रखता है कि हाल के समयों में संभवतः ऐसा पहली बार है कि जब किसी प्रदेश की सरकार ने अपनी ही विधान सभा को प्रशिक्षण स्थल बनाया हो।
चर्चा है कि इसकी परिकल्पना और पठकथा खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तैयार की है। जिसका निर्देशन व संचालन की जवाबदेही झारखंड विधान सभा के स्पीकर ने निभायी है। प्रदेश के संसदीय कार्यमंत्री ने इनके सहयोगी की भूमिका में रहे।
झारखंड सरकार के हवाले से प्रदेश के छात्रों में विधायिका और उसके कार्यों को लेकर सही समझ विकसित करने को लक्षित इस ‘छात्र संसद’ में राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों से चुने हुए कुल 14 छात्राओं-छात्रों को शामिल किया गया। झारखंड विधान सभा के विधायी शोध एवं सन्दर्भ कोषांग के तत्वाधान में आयोजित इस कार्यक्रम में शामिल सभी प्रतिभागियों को विधिवत वैचारिक व तकनिकी तौर से प्रशिक्षण भी दिया गया। जिसमें विधान सभा का सत्र संचालन तथा विभिन्न सत्रों के दौरान होने वाले पक्ष-विपक्ष के बीच होने वाले सवाल जवाब और बहसों को कैसे किया जाता है, सिखलाया गया। इसके अलावा विधान सभा स्पीकर से लेकर मुख्यमंत्री व मंत्रियों द्वारा सदन में उठाये जानेवाले सवालों जैसे कई अन्य पहलुओं पर प्रशिक्षण दिया गया।
30 अक्टूबर को छात्र संसद के पहले दिन मुख्यमंत्री ने इसका विधिवत उद्घाटन किया। अपने संबोधन में लोकतंत्र का महत्व समझाते हुए उन्होंने कहा, “विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की बेहतर जानकारी होना सबके लिए महत्वपूर्ण है। चाहे वह राजनीज्ञ, शिक्षक या सामान्य व्यक्ति ही क्यों न हो, मैं समझता हूं कि मजबूत समाज और देश वही होता है, जहां राजनितिक, सामाजिक और संसदीय चेतना व्यापक होती हैं।”
उन्होंने आगे अपने संबोधन में यह भी कहा कि सत्ता और विपक्ष का मतलब यह नहीं है कि ये दोनों एक दूसरे के जानी दुश्मन हैं। ये दोनों ही मिलकर देश और प्रदेश की दिशा तय करते हैं। संसद और विधान सभा लोकतंत्र का ऐसा मंदिर है जो सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व करता है।
इसके एक दिन पहले अपनी सरकार के इस मह्त्वाकांक्षी कार्यक्रम के सन्दर्भ में अपने ट्वीट करते हुए मुख्यमंत्री ने छात्र संसद में शामिल हो रहे प्रतिभागी छात्रों के नाम अपनी शुभकामना संदेश में लिखा कि हमारे देश की संसदीय प्रणाली से देश को हर क्षेत्र में दिशा मिलती है। ये कैसे कार्य करती है, इसकी समझ होना आवश्यक है। छात्र संसद का आयोजन आने वाली पीढ़ी के लिए लाभदायक होगा क्योंकि लोकतंत्र की सफलता के लिए शिक्षा एक अनिवार्य शर्त है। इसलिए आप युवाओं के बीच लोकतान्त्रिक प्रणाली का व्यावहारिक बोध सुनिश्चित किये बिना हम लोकतंत्र की कल्पना नहीं कर सकते।
छात्र संसद के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए झारखंड विधान सभा अध्यक्ष ने आयोजन कि परिकल्पना के लिए मुख्यमंत्री की प्रशंसा करते हुए कहा कि हेमन्त सोरेन युवा होने के नाते युवाओं के अन्दर की क्षमता का विकास किस प्रकार हो, इसे लेकर हमेशा गंभीर रहते हैं। इसी कड़ी में इस छात्र संसद का योजन किया गया है। जिसमें भाग ले रहे छात्र-छात्राएं विधायिका के साथ-साथ कार्यपालिका और न्यायपालिका व्यवस्था की पूर्ण जानकारी समाज के हर वर्ग तक पहुंचाने का काम करेंगे।
झारखंड विधान सभा के संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि झारखंड विधान सभा देश की पहली विधान सभा है, जहां छात्र संसद आयोजित हो रहा है।
तत्पश्चात छात्र संसद की विधिवत शुरुआत करते हुए विधायी प्रक्रिया पूरी करते हुए प्रतिभागी छात्रों में से छात्रा प्रीति कुमारी विश्वकर्मा को सदन के नेता व नुरूप माला को नेता प्रतिपक्ष चुना गया। छात्र विजय बड़ाईक को प्रोटेम स्पीकर चुना गया। स्पीकर के लिए डेज़ी लकड़ा ने नामांकन किया।
31 अक्टूबर को छात्र संसद का सत्र विधिवत आरम्भ हुआ। विधान सभा अध्यक्ष व मुख्यमंत्री से लेकर वहां उपस्थित सारे मंत्री और विधायकगण विधान सभा के दर्शक दीर्घा में जाकर बैठे। संसदीय परम्पराओं के अनुरूप सर्वप्रथम सर्वसम्मति से स्पीकर का चुनाव किया गया। विपक्ष बने छात्रों ने जहां सरकार को घेरते हुए अल्प सूचित व तारांकित प्रश्नों के तहत पर्यावरण से लेकर छात्र हित के सवाल उठाये वहीं मुख्यमंत्री, मंत्री की भूमिका निभानेवलों ने शालीनता के साथ जवाब दिया। विधेयक पारित कराने के सभी तकनीकी पहलू व नियमों का पालन किया गया। ‘झारखंड वृक्ष संरक्षण विधेयक 2021’ पर बहस की गयी तो विपक्ष ने कई मौलिक सवाल उठाते हुए संशोशन प्रस्ताव रखा। कई संशोधनों को अस्वीकार करते हुए एक संशोशन को बेहतर मानते हुए सत्ता पक्ष ने स्वीकार भी किया।
छात्र संसद की कार्यवाही बेहतर ढंग से संचालन करने के लिए स्पीकर की भूमिका निभानेवाली छात्रा के साथ-साथ विपक्ष और सत्ता पक्ष की भूमिका निभाने वाली छात्राओं समेत सभी प्रतिभागियों को सरकार की और से प्रशस्ति पत्र देते हुए सम्मानित किया गया।
आयोजन में शिरकत कर रहे झारखंड सरकार के मंत्री विधायकों ने जहां खूब तारीफ़ की वहीं विपक्षी दल भाजपा के विधायक सीपी सिंह ने चुटकी लेते हुए प्रातिभागियों से कहा कि अभी यहां जो दिखा उसे आदर्श स्थति कहते हैं। लेकिन एक बार आप लोग यहां चलते हुए सत्र में बैठें, तब असली लोकतंत्र देखने को मिलेगा।
राज्य की सोशल मीडिया में इस कार्यक्रम को लेकर वैसे तो चर्चा सामान्य ही रही, लेकिन ‘छात्र संसद’ पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ट्वीट के जवाब में कई पोस्ट भी खूब वायरल रहे हैं।
एक यूजर ने तंज कर ट्विटर पर लिखा, “माननीय मुख्यमंत्री जी, मोरहाबादी में नौकरी की मांग को लेकर सहायक पुलिस का आंदोलन भी चल रहा है, उस पर भी ध्यान दें। ये भी आपके ही बच्चे हैं।
तो दूसरे ने बेरोजगारी पर राज्य सरकार को घेरते हुए लिखा, “झारखंड कर्मचारी चयन आयोग में लंबित नियुक्ति प्रक्रिया कब शुरू होगी?”
एक और यूजर ने लिखा, “हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति 2016 के अंतर्गत 8 अनुसूचित जिलों में शिक्षकों की बहाली बाकी है।”
बात यहां तक बढ़ गई कि एक ने लिख दिया, “छात्र संसद का आयोजन किया गया है, लेकिन राजनीती विज्ञान विषय के शिक्षक अभ्यर्थी सचिवालय के सामने धरने पर बैठे हैं, ऐसे में लोकतंत्र कहां से मजबूत होगा?”
बेशक मीडिया से लेकर नागरिक समाज कई हिस्सों ने सरकार के इस आयोजन की तारीफ़ की है। लेकिन यह भी सवाल काफी चर्चाओं में रहा कि एक ओर, जब राज्य के छात्र-युवा अपने सवालों को लेकर बार-बार सड़कों पर उतरकर रोज़गार के लोकतान्त्रिक अधिकारों की मांग कर रहें हैं तो हेमंत सोरेन सरकार उस पर अबतक क्यों कारगर काम नहीं करती दिख रही है? आज भी राजधानी में नियुक्ति की मांग को लेकर पुलिस सहायक से लेकर शिक्षक अभ्यर्थी धरना पर बैठे हुए हैं।
इसी 15 नवम्बर को झारखंड राज्य गठन के 21 वर्ष पूरे हों जायेंगे। राज्य में पहली बार पूर्ण बहुमत की गैर भाजपा सरकार के रूप में जनादेश पाने वाली हेमंत सोरेन सरकार शासन के भी दो वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है। खबर है कि 14 नवम्बर को प्रदेश के छात्र-युवाओं समेत कई तबकों के जन संगठनों के लोग राज्य गठन दिवस की पूर्व संध्या पर इस सरकार से जावब मांगने के लिए राजधानी में आयोजित हो रहे ‘जन कन्वेंशन’ कार्यक्रम में जुटेंगे।
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