तिरछी नज़र: मैं डिग्री नहीं दिखाऊंगा

मैं डिग्री नहीं दिखाऊंगा। यह मैं नहीं कह रहा। यह तो सरकार जी कह रहे हैं। और सरकार जी की इस बात में न्यायालय की सपोर्ट भी शामिल है। न्यायालय कहता है कि किसी की डिग्री देखना या दिखाना उसकी निजिता का उल्लंघन है।
बात हम सरकार जी की बीए और एमए की डिग्री की कर रहे हैं। कहा जाता है कि सरकार जी ने बीए और एमए किया है। बीए दिल्ली यूनिवर्सिटी से पास किया है और एमए अहमदाबाद यूनिवर्सिटी से। लोगों को बस इसी बात पर शक है। और अगर शक दूर न किया जाये तो वह यकीन में बदल जाता है। और अब तो यह यकीन होता जा रहा है कि सरकार जी के पास डिग्री है ही नहीं।
लेकिन डिग्री तो थी। सरकार जी की डिग्री उनके पास न हो, यूनिवर्सिटी के पास न हो, पर अमित शाह जी और दिवंगत अरुण जेटली जी के पास तो थी ही। उन्होंने वह डिग्री प्रेस कांफ्रेंस में लहराई भी थी। उनकी सरकार जी की डिग्री लहराते हुए फोटो अगले दिन अखबारों में छपी भी थी। इन दिनों भी लोगबाग उस फोटो को, अमित शाह और अरुण जेटली जी को सरकार जी की डिग्री दिखाने की फोटो को, सोशल मीडिया पर दिखाते रहते हैं।
खैर हम मान लेते हैं, सरकार जी पढ़े लिखे हैं। खूब पढ़े हैं। और जो भी विषय पढ़े हैं, एंटायर पढ़े हैं। मतलब एंटायर ही पढ़े हैं। उससे कम तो सरकार जी पढ़ते ही नहीं हैं। सरकार जी जब एंटायर फिजिक्स पढ़े तो नाले में से कुकिंग गैस निकालने लगे। एंटायर विमानिकी पढ़ने पर राडार द्वारा बादलों के पार देखना असंभव बताने लगे। एंटायर पर्यावरण विज्ञान पढ़ अधिक सर्दी और गर्मी लगने की वजह अपना और हम सब का बूढा होना बताने लगे। एंटायर विज्ञान पढ़ने का लाभ यह हुआ कि वैज्ञानिकों के सामने बताने लगे कि विश्व का पहला और एकमात्र हेड ट्रांसप्लांट हमारे यहाँ हुआ और गणेश जी का हुआ। यहाँ तो डॉक्टरों के एक टेस्ट ट्यूब बेबी पैदा करने में पसीना आ जाता है पर सरकार जी ने बताया कि हमने हज़ारों साल पहले एक सौ टेस्ट ट्यूब बेबी एक साथ पैदा कर दिये थे।
सरकार जी ने जिस तरीके से पढ़ाई की उसे गुप्त पढ़ाई कहते हैं। मतलब आप पढ़ते हैं पर आपको किसी ने पढ़ते हुए नहीं देखा होता है। आपके साथ कोई नहीं पढ़ता है। न तो आपका कोई सहपाठी होता है और न ही किसी ने आपके साथ परीक्षा दी होती है। परीक्षा में न तो आपने किसी की नकल की होती है, न ही किसी को नकल करवाई होती है।
कॉलेज की तो छोड़ो सरकार जी का तो कोई स्कूल का साथी भी नहीं मिलता है। कोई नहीं मिलता जो बता सके कि जब सरकार जी, बचपन में नदी किनारे खेलते हुए मगरमच्छो के बीच से गेंद ले आये थे तब में उनके साथ खेल रहा था। हाँ, सरकार जी ने एक बार जरूर अपने एक मित्र का जिक्र किया था, शायद अनवर नाम था उसका। सरकार जी उसके घर खाना खा लेते थे और वह सरकार जी के घर। पर वह भी सामने नहीं आया। हो सकता है, वह 2002 के दंगों में मारा गया हो!
बात तो हम शिक्षा की कर रहे थे। अभी, कुछ ही महीने पहले, मैं इंग्लैंड गया था। वहाँ ऑक्सफ़ोर्ड भी जाना हुआ। वहाँ पर डिवीनिटी स्कूल (कॉलेज) भी गया। वहाँ पर ऑक्सफ़ोर्ड के विशिष्ट छात्रों के नाम लिखे हुए थे। भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी जी का नाम भी विश्व नेता के रूप में दर्ज था। मतलब वे वहाँ गुप्त नहीं रहीं, सबके सामने पढ़ाई की। कहा जाता है कि पढ़ाई पूरी नहीं की पर, फिर भी उनका नाम विश्वविद्यालय के विशिष्ट छात्रों की सूची में शामिल है।
पर यहाँ, हमारे सरकार जी, उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से बीए किया, अहमदाबाद विश्वविद्यालय से एमए किया। पर दोनों में से भी कोई विश्वविद्यालय मानने के लिए ही तैयार नहीं है। बताने को ही तैयार नहीं है। पूछो, जिद करो तो कोर्ट बीच में कूद पड़ता है। मना कर देता है। फाइन तक लगा देता है। अब सरकार जी ही कुछ कर सकते हैं। एक वक्तव्य ही दे दें। हमें विश्वास हो जायेगा। न पढ़े लिखे होने की बात तो कई बार कही है। यह तक कहा है कि मेरी स्कूली शिक्षा के आगे शिक्षा ही नहीं हुई, इसलिए बढ़ गया। एक बार पढ़े लिखे होने की बात भी कह दें, हम मान लेंगे।
(इस व्यंग्य स्तंभ के लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)
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