हरियाणा में कई सीटों पर भाजपा और कांग्रेस में बगावत, निर्दलीय ताल ठोंकी

चंडीगढ़ : हरियाणा में किसान और मज़दूरों की समस्याओं से अलग राजनीतिक दलों में टिकट को लेकर जात-बिरादरी और रसूख की राजनीतिक हावी है। अब विधानसभा चुनाव के महज कुछ दिन पहले सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस दोनों में बगावत हो गई है और दोनों के लिए बागी सिरदर्द बन गए हैं क्योंकि उनमें से कुछ लोग निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतर गये हैं।
टिकट नहीं दिये जाने पर दोनों दलों को कई नेताओं की बगावत का सामना करना पड़ रहा है। राज्य में 21 अक्टूबर को मतदान होना है। शुक्रवार को नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तारीख समाप्त हो गई।
टिकट नहीं मिलने पर नाराज रेवाड़ी से भाजपा के मौजूदा विधायक रणधीर कापड़ीवास ने कहा कि वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतरे हैं।
गुड़गांव से भाजपा के मौजूदा विधायक उमेश अग्रवाल ने इस निर्वाचन क्षेत्र से अपनी पत्नी अनीता को निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतारा है।
पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल के पुत्र एवं कांग्रेस नेता रणजीत सिंह चौटाला पार्टी से टिकट नहीं मिलने के बाद रानिया सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतरे हैं। रानिया से कांग्रेस ने विनीत कंबोज को टिकट दिया है।
कुछ अन्य सीटें भी हैं, जहां दोनों दलों के बागी नेता चुनाव मैदान में तो नहीं उतरे हैं लेकिन जिन्हें उनकी मूल पार्टी से उम्मीदवार बनाया गया है उनके खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया है।
भाजपा ने कापड़ीवास की जगह सुनील मुसेपुर को टिकट दिया है।
यह पूछे जाने पर कि चुनाव मैदान में वह क्यों उतरे हैं, कापड़ीवास ने कहा, ‘‘मैं भाजपा का वफादार कार्यकर्ता रहा हूं। हमेशा पार्टी के ध्वज को ऊंचा रखा है और जनता से जुड़े मुद्दों को उठाया है। मैं कभी भी पार्टी विरोधी गतिविधियों में नहीं रहा हूं लेकिन नहीं जानता कि मुझे किसी चीज की कीमत चुकानी पड़ी है।
कापड़ीवास ने कहा, ‘‘जब एक बाहरी को उतारा गया तो मेरे समर्थकों ने मुझसे कहा कि मुझे (चुनाव) लड़ना चाहिए और मैं मुकाबले में उतरा। मैं निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतरा हूं। ’’
उल्लेखनीय है कि भाजपा ने अपने मौजूदा 48 विधायकों में राव नरबीर सिंह और विपुल गोयल सहित 12 को टिकट नहीं दिया।
भगवा पार्टी ने कई दलबदलू नेताओं को शामिल किया है, जिनमें से ज्यादातर इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) से हैं।
कांग्रेस के खेमे में भी अंदरूनी कलह बढ़ गया है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख अशोक तंवर ने दिल्ली में अपने समर्थकों के साथ पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास के बाहर बुधवार को प्रदर्शन किया था। उन्होंने हरियाणा में टिकट बंटवारे में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। शनिवार को तंवर ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
उल्लेखनीय है कि चुनाव के कुछ सप्ताह पहले तंवर को हटा कर कुमारी शैलजा को पार्टी की राज्य इकाई का प्रमुख बनाया गया और उनके प्रतिद्वंद्वी एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस विधायक दल के नेता बनाए गए।
अपने बेटे चिरंजीव राव को कांग्रेस द्वारा रेवाड़ी से टिकट दिये जाने के बावजूद पूर्व मंत्री अजय सिंह यादव नाखुश हैं।
उन्होंने बुधवार को एक ट्वीट में गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले विधानसभा सीटों के लिए कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची के बारे में कहा था, ‘‘इनमें से ज्यादातर दलबदलू और गैर कांग्रेसी हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनाव 2019 में खुल कर (पार्टी का) विरोध किया था।’’
हरियाणा विधानसभा में कुल 90 सीटें हैं। भाजपा ने 2014 के विधानसभा चुनावों में 47 सीटें जीती थी। इस साल जींद उपचुनाव जीतने के बाद पार्टी के विधायकों की संख्या 48 हो गयी थी। इस बार पार्टी ने 75 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है।
दूसरी तरफ कांग्रेस के 17 विधायक हैं।
भाजपा और कांग्रेस के अलावा इंडियन नेशनल लोकदल, शिरोमणि अकाली दल, जननायक जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, आम आदमी पार्टी, स्वराज इंडिया और लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी भी चुनाव मैदान में हैं।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
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