कटाक्ष: सौग़ात भी, आघात भी और ख़ैरात भी!

इन मोदी विरोधियों को तो बस मोदी जी कुछ भी करें, विरोध करने से मतलब है। अब मोदी जी सौग़ात दे रहे हैं और वह भी ईद की, तो इन्हें उनका सौग़ात देना भी नहीं पच रहा है। कह रहे हैं कि ये तो पाखंड है।
जो मोदी जी हर चुनाव के पहले मुसलमानों को कपड़ों से पहचनवाते हैं, उनकी वजह से हिंदुओं की बहन-बेटियों को खतरे में बताते हैं, उनके मंगलसूत्र तक के लिए खतरा दिखाते हैं और अपनी पार्टी के छोटे-बड़े नेताओं से पूरे साल मुसलमानों को गाली दिलवाते हैं, वही मोदी जी अब ईद पर मुसलमानों को सौग़ात भिजवा रहे हैं!
मीठी सिवइयां बनाने के लिए सूखी सिवइयों के साथ घी और शक्कर और मर्दों तथा औरतों के लिए नया कुर्ता-पायजामा/ कुर्ता-सलवार। त्योहार की मिठाई भी और त्योहार पर नये कपड़े भी। वाह मोदी जी वाह! पर यह तो आप को राज करते हुए, ग्यारहवीं ईद है। दस ईदें आयीं और गुजर गयीं, तब तो आप को ईद की सौग़ात देने की याद नहीं आयी।
अपने जाने आपने हरेक ईद पिछले वाली से मुश्किल ही मनवाई, पर आप को सौग़ात देने की बात याद नहीं आयी। फिर ग्यारहवीं ईद पर ही ये सौग़ात क्यों?
पता नहीं मोदी जी के राज की ये ग्यारहवीं ईद ही इतनी खास क्यों है? इस ईद में सौग़ाते मोदी है, तो इसी ईद पर आघाते मोदी भी है बल्कि आघात पर आघात-ए मोदी।
होली के नाम पर मस्जिदों पर तिरपाल के आघात से मुसलमान उबरे भी नहीं थे कि फिल्म छावा आघात ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया। संभाजी पर औरंगजेब के अत्याचारों का बदला लेने के लिए, उसकी तीन सौ साल पुरानी कब्र खोदने की मांग को लेकर, नागपुर में सफलता के साथ दंगा होकर चुका भी नहीं था कि, ईद से पहले के जुमे की नमाज़ पर पाबंदियों का आघात-ए-योगी उर्फ डबल इंजन शुरू हो गया। एलान कर दिया गया कि सड़कों पर कोई नमाज़ नहीं पढ़ेगा। रोक लगाने के बाद भी अगर किसी ने सड़क पर नमाज़ पढ़ी तो उसका पासपोर्ट जब्त कर लेंगे, उसका लाइसेंस जब्त कर लेंगे, वगैरह, वगैरह। फिर आर्डर आया कि अपने घर की छत पर भी कोई नमाज़ नहीं पढ़ेगा। छत पर नमाज पढ़ने वालों को पकड़ने के लिए पुलिस ड्रोन से निगरानी करेगी। फिर एक और डबल इंजन चालू हुआ और हरियाणा सरकार ने एलान कर दिया कि पिछली दस ईदों पर हुई तो हुई, इस ईद पर सरकारी छुट्टी नहीं होगी। इतने ताजा-ताजा आघातों के बाद, अब सौग़ाते मोदी का एलान आया है। बल्कि आघाते-हरियाणा तो ठीक उसी दिन आया था, जिस दिन एलान ए सौग़ात आया था। सौग़ाते मोदी भी और आघाते मोदी भी। सब का दाता एक है, सौग़ात भी और आघात भी।
आघात और सौग़ात, तीता और मीठा, एक साथ, यही तो है अपने मोदी जी की खास बात। सिर्फ मीठा भी नहीं और सिर्फ तीता भी नहीं; दोनों स्वाद अदल-बदल कर।
मोदी जी नहीं चाहते कि उनकी सरकार को लेकर कोई कम्फर्ट जोन में चला जाए। वह पब्लिक को हमेशा चुनौती का सामना करने के मोड में रखना चाहते हैं, जैसे कि उनके कहे के हिसाब से वह खुद भी रहते हैं।
मुसलमानों को अगर लगेगा कि मोदी जी की सरकार उनका ख्याल रखेगी, और बार-बार सरकार के कदमों से ऐसा लगेगा, तब क्या होगा? मुसलमान निश्चिंत हो जाएंगे और कम्फर्ट जोन में चले जाएंगे। वे सरकार से चुनौती लेना और देना ही बंद कर देंगे। फिर विकास कैसे होगा?
लेकिन, मोदी जी यह भी नहीं चाहते कि मुसलमानों को यह लगे कि उनकी सरकार कभी मुसलमानों की भलाई का कोई काम करेगी ही नहीं। वर्ना यह भी तो एक तरह से विरोध वाले कम्फर्ट जोन में जाना ही हो जाएगा। सो मोदी जी अपनी सरकार के टोकरे में से मुसलमानों के लिए सिर्फ तीता ही नहीं मीठा भी निकालकर दिखा रहे हैं, जो ग्यारह साल बाद ही सही, मुसलमानों के लिए सौग़ात की शक्ल में सामने आ रहा है। यही तो सब का साथ सब का विकास है।
हम तो कहते हैं कि कम से कम मोदी जी की ईद की सौग़ात के बाद तो, इसकी शिकायतें बंद हो ही जानी चाहिए कि मोदी जी के राज में हिंदू-मुसलमान के बीच भेद-भाव होता है। हर्गिज नहीं। जैसे मोदी जी का राज मुसलमानों के लिए तीता और मीठा दोनों है, वैसे ही हिंदुओं के लिए भी वह सिर्फ मीठा-मीठा ही नहीं, तीता भी है। बल्कि ज्यादातर मामलों में तो यह तीतापन सबके लिए है, बिना किसी अंतर के। भयंकर बेरोजगारी क्या सिर्फ मुसलमानों के लिए है, हिंदुओं के लिए नहीं है? कमरतोड़ महंगाई किस के लिए है, क्या सिर्फ मुसलमानों के लिए? जीएसटी और दूसरे टैक्सों की मार क्या हिंदुओं पर किसी और से कम पड़ती है? उल्टे हिंदू क्योंकि तादाद में ज्यादा हैं और खाने-पीने में भी मुसलमानों से बेहतर हैं, उन पर ये सारी मारें कुछ न कुछ ज्यादा ही पड़ रही होंगी, कम नहीं।
औरंगजेब से अब्दुल तक से बदला दिलवाने की जो भी मिठास है, उसका जायका बदलने के लिए ये सब मारें भी जरूरी हैं। वर्ना हिंदुओं को शुगर की बीमारी से कैसे बचाया जाएगा?
कुछ लोग सौग़ात की तुक ख़ैरात से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, जो बिल्कुल ही गलत है। सिर्फ इसलिए कि जैसे ख़ैरात वाले राशन के थैले पर मोदी जी की तस्वीर है, वैसे ही सौग़ात-ए-मोदी के थैले पर भी जाहिर है कि मोदी जी की ही तस्वीर है, सौग़ात को ख़ैरात से नहीं मिलाया जाना चाहिए। जब राज मोदी जी का है, तो ख़ैरात करें या सौग़ात दें, दाता तो एक मोदी जी ही होंगे। वैसे भी पब्लिक की डिमांड पर वन नेशन, वन तस्वीर का टैम चल रहा है। फिर ख़ैरात वाले थैले में लाभार्थी का धर्म नहीं देखा जाता, जबकि सौग़ात वाला थैला तो छांट-छांटकर 32 लाख मुसलमानों को दिया जा रहा है और वह भी सिर्फ ईद के लिए। इतनी सी ख़ैरात से मोदी जी का क्या बनेगा, सो यह तो सौग़ात ही होनी चाहिए। वैसे भी ख़ैरात अपनी प्रजा को दी जाती है, जबकि सौग़ात अक्सर दूसरों को दी जाती है यानी जिनसे कुछ दूरी हो!
सौग़ाते मोदी में कई लोगों को मोदी जी का हृदय परिवर्तन दिखाई दे रहा है। दिमाग को तगड़ा झटका लग जाए, हृदय परिवर्तन भी हो सकता है। बाल्मीकि के डाकू से साधु बनने की कथा तो सब ने सुनी ही होगी। आम चुनाव का झटका क्या इतना ही परिवर्तनकारी था! मोदी जी तुष्टिकरण करने का भी इल्जाम झेल रहे हैं, अब्दुल तेरे लिए।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और लोक लहर के संपादक हैं।)
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