देशद्रोह के मामले में परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को यहां की एक विशेष अदालत ने देशद्रोह के मामले में मंगलवार को मौत की सजा सुनाई। मीडिया में आ रही खबरों में यह जानकारी दी गई।
पेशावर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश वकार अहमद सेठ की अध्यक्षता में विशेष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने 76 वर्षीय मुशर्रफ को लंबे समय से चल रहे देशद्रोह के मामले में मौत की सजा सुनाई। यह मामला 2007 में संविधान को निलंबित करने और देश में आपातकाल लगाने का है जो कि एक दंडनीय अपराध है और इस मामले में उनके खिलाफ 2014 में आरोप तय किए गए थे।
पूर्व सैन्य प्रमुख मार्च 2016 में इलाज के लिए दुबई गए थे और सुरक्षा एवं सेहत का हवाला देकर तब से लौटे नहीं हैं। ‘डॉन’ समाचारपत्र की खबर के अनुसार विशेष अदालत ने 19 नवंबर को सुरक्षित रखा गया फैसला सुनाया है। विशेष अदालत की इस पीठ में न्यायमूर्ति सेठ, सिंध उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति नजर अकबर और लाहौर उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति शाहिद करीम भी शामिल थे।
आपको बता दें कि परवेज मुशर्रफ ने अक्टूबर 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के खिलाफ सैन्य विद्रोह कर पाकिस्तान की सत्ता अपने हाथ में ले ली थी। जून 2001 में उन्होंने सैन्य प्रमुख रहते हुए खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया।
2002 में उन्होंने एक विवादास्पद जनमत संग्रह करवाया और पांच साल के लिए राष्ट्रपति बन गए। 2007 में परवेज मुशर्रफ ने फिर से राष्ट्रपति चुनाव जीता, मगर उनके चुनाव को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। इसके बाद परवेज मुशर्रफ ने देश में आपातकाल लागू कर दिया।
साथ ही, उन्होंने मुख्य न्यायाधीश जस्टिस इफ्तिखार चौधरी की जगह एक नया मुख्य न्यायाधीश नियुक्त कर दिया जिसने उनके चुनाव को वैध घोषित कर दिया। हालांकि अगले ही साल परवेज मुशर्रफ को राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देना पड़ा। उन्होंने यह कदम तब उठाया जब पाकिस्तान की दो मुख्य सत्ताधारी पार्टियों में उनके ख़िलाफ़ महाभियोग लाने पर सहमति बन गई।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
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