आंगनवाड़ी महिलाकर्मियों ने क्यों कर रखा है आप और भाजपा की "नाक में दम”?

“लॉकडाउन के दौरान मेरे पति बेरोज़गार हो गए, परिवार का जीवनयापन मुख्यतः मुझ पर निर्भर है। मुझे भी सरकार ने बर्खास्त कर दिया है। जनवरी से 2022 से ही हमें मानदेय नहीं दिया गया है। 2015 में आधार कार्ड से जुड़ा एक सर्वे हम लोगों ने किया था जिसका भुगतान अभी तक नहीं मिला है। मेरा परिवार गंभीर आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहा है।” सरकार द्वारा बर्खास्त कर दी गई 991 आंगनवाड़ी कर्मियों में शामिल मीनू ने अपनी समस्यायें गिनाते हुए बताया।
वह आगे कहती हैं “मेरी बेटी को ब्लड कैंसर है, एक तो हमारा मानदेय बहुत कम है उस पर भी सरकार समय से भुगतान नहीं करती।”
अपने आंदोलन के बारे में बताते हुए वह कहती हैं “हम ‘नाक में दम करो’ आंदोलन के तहत आप और भाजपा का घेराव कर रहे हैं और तब तक करेंगे जब तक हमारी माँगें पूरी नहीं हो जातीं।” मीनू एकता विहार प्रोजेक्ट के तहत आंगनवाड़ी हेल्पर के रूप में काम करती हैं और उन्हें प्रति महीने 4,839 रुपये मानदेय मिलता है।
सरकारी कर्मचारी का दर्जा प्राप्त करने और मानदेय बढ़ाने सहित विभिन्न माँगों को लेकर 31 जनवरी 2022 से 22,000 आंगनवाड़ी कर्मियों ने दिल्ली में लगातार 38 दिनों तक धरना-प्रदर्शन किया। 9 मार्च को उपराज्यपाल के माध्यम से एस्मा (एसेंशियल सर्विसेज़ मेंटेनेंस एक्ट) और हेस्मा (हरियाणा एसेंशियल सर्विसेज़ मेंटेनेंस एक्ट) के ज़रिए सरकार ने हड़ताल पर 6 महीने के लिए रोक लगा दी है। आंगनवाड़ी कर्मियों ने हड़ताल स्थगित कर इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने नयी भर्ती करने पर रोक लगा दिया है, मामले की सुनवाई जारी है।
आंगनवाड़ी कर्मियों का हड़ताल स्थगित हुआ है लेकिन संघर्ष अभी भी जारी है। ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से हेस्मा लागू करने केलिए आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी को ज़िम्मेदार बताते हुए आंगनवाड़ी कर्मियों ने स्थानीय स्तर पर दोनों ही पार्टियों के नेताओं का घेराव करना शुरू कर दिया है। विधायक, नगर निगम पार्षद और पार्टी के उम्मीदवारों के कार्यालयों और घरों तक रैली निकालकर आंगनवाड़ी कर्मी उनका घेराव कर अपनी माँगों को बता रही हैं।
आंगनवाड़ी कर्मियों ने घर बाहर लगाया स्टिकर लगाकर दी चेतावनी
हेस्मा लागू करने के बाद 991 आंगनवाड़ी कर्मियों को सरकार ने बर्खास्त कर दिया है। इसके विरोध में और अपने आंदोलन को जारी रखते हुए 16 मार्च से ही दिल्ली के अलग-अलग इलाक़े में आंगनवाड़ी कर्मी “नाक में दम करो अभियान” चला रही हैं। साथ ही आंगनवाड़ी कर्मियों ने दिल्ली नगर निगम के चुनाव में दोनों पार्टियों का सक्रिय बहिष्कार करने का फ़ैसला लिया है। अपने घरों के बाहर एक स्टिकर चस्पा किया है।
जिस पर लिखा है- सावधान! ज़रूरी सूचना!
“यह एक आंगनवाड़ी कर्मी का घर है। आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के पार्षद उम्मीदवार, नेता, विधायक, मंत्री और कार्यकर्ता इस घर में वोट या चंदा माँगने के लिए आने की जुर्रत न करें। इन दोनों पार्टियों का निगम चुनावों में पूर्ण बहिष्कार है। इस दरवाज़े के पीछे ही जूतों की माला टंगी है। फिर भी अगर दरवाजा खटखटायातो उसी से तुम्हारा स्वागत किया जायेगा। तुम्हें जो हानि होगी उसके लिए तुम ख़ुद ज़िम्मेदार होगे।”
सोनिया विहार प्रोजेक्ट के तहत वर्कर के रूप में कार्यरत चाँदनी कहती हैं “आप और भाजपा दोनों की पार्टियाँ ख़ुद को महिलाओं की हितैषी बताती रहती हैं। लेकिन हमारे हड़ताल के प्रति दोनों का रवैया एक समान है और दोनों ही हमारे ख़िलाफ़ एकजुट हैं। 22,000 आंगनवाड़ी कर्मी अपने जायज़ माँगों को लेकर सड़क पर बैठी हुई थीं लेकिन इनके नेताओं ने बात करना भी उचित नहीं समझा। जबकि कोरोना महामारी के दौरान हम लोगों ने ख़ुद के संक्रमित होने काख़तरा उठाते हुए भी ड्यूटी की थी। तब यही नेता हमें कोरोना योद्धा कहते थे।”
दिल्ली स्टेट आंगनवाड़ी वर्कर्स एण्ड हेल्पर्स यूनियन की प्रियम्वदा कहती हैं “आंगनवाड़ी महिला मज़दूरों के जुझारू आंदोलन को ख़त्म करने के लिए दोनों पार्टियाँ एकजुट हो गईं है। दोनों ने मिलकर आंगनवाड़ी कर्मियों के हड़ताल परदमनकारी कानून एस्मा और हेस्मा लगा दिया। जबकि यह क़ानून केवल सरकारी कर्मचारियों के ख़िलाफ़ लागू होते हैं।”
न्यूनतम मज़दूरी भी नहीं पातीं आंगनवाड़ी कर्मी
दिल्ली में अकुशल मज़दूरों की 16,064, अर्धकुशल की 17,537 और कुशल मज़दूरों की न्यूनतम मज़दूरी 19,473 रूपये है लेकिन आंगनवाड़ी वर्कर्स को 9,678 और आंगनवाड़ी हेल्पर्स को 4,839 रुपये प्रतिमाह दिया जाता है।
नतीजा आंगनवाड़ी कर्मियों को बेहद गंभीर आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कई कर्मी ऐसी हैं जिन पर पूरेपरिवार का खर्च सँभालने की ज़िम्मेदारी है। लगातार बढ़ती महंगाई के बीच वह परिवार का खर्च कैसे चलाती होंगी इसका सहज अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
हड़ताल के दौरान ही केजरीवाल सरकार ने आंगनवाड़ी वर्करों और हेल्परों का मानदेय बढ़ाकर क्रमश: 12,700 औ र6,810 रुपये कर दिया था। लेकिन यह मानदेय अभी तक उन्हें वितरित नहीं किया गया है। देश के दूसरे राज्यों की तुलना में दिल्ली में जीवन यापन काफ़ी महँगा है इसके बावजूद आंगनवाड़ी कर्मियों को न्यूनतम मज़दूरी भी नहीं दी जाती है।जबकि कहने को दिल्ली में “आम आदमी” की सरकार है।
आंगनवाड़ी कर्मियों का आरोप है कि आम आदमी पार्टी को कटघरे में खड़ा करते हुए भारतीय जनता पार्टी ख़ुद को आंगनवाड़ी कर्मियों का हितैषी बताती है। जबकि सच्चाई यह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2018 में आंगनवाड़ी कर्मियों के मानदेय में 1,500 और 750 रुपये की बढ़ोत्तरी की थी। चार वर्षों के बाद भी अभी तक आंगनवाड़ी कर्मियों को यह मानदेय नहीं मिला है।
प्रियम्वदा कहती हैं “हड़ताल को तात्कालिक तौर पर स्थगित किया गया है लेकिन आंदोलन जारी है। हम न्यायालय और सड़क दोनों जगहों पर लड़ाई लड़ रहे हैं। यदि न्यायालय अगर सही मायने में निष्पक्ष है तो वह एस्मा और हेस्मा को ख़ारिज करेगी और हड़ताल फिर से शुरू होगी। यदि कोर्ट इन्हें ख़ारिज नहीं करती है तो हम कोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ जाकरअपनी जायज़ माँगों के लिए हड़ताल फिर से शुरू करेंगे।”
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