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लिथारा "आत्महत्या" मामला: साल भर बाद भी परिवार को न्याय का इंतज़ार!

23 साल की बास्केटबॉल प्लेयर लिथारा केसी ने पिछले साल 26 अप्रैल को पटना में कथित तौर पर आत्महत्या की थी। मामला केरल से लेकर बिहार के सीएम तक पहुंच गया, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई सामने नहीं आई है।
Lithara suicide case

बास्केटबॉल की राष्ट्रीय खिलाड़ी लिथारा केसी ने पिछले साल 26 अप्रैल को पटना के राजीव नगर स्थित अपने किराए के कमरे में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। 23 साल की लिथारा मूल रूप से केरल के कोझीकोड की रहने वाली थीं और पूर्व मध्य रेलवे के दानापुर डिवीजन के पर्सनल डिपार्टमेंट (कार्मिक विभाग) में जूनियर क्लर्क के तौरपर 15 नवंबर 2019 से काम कर रही थीं। लिथारा के परिवार ने उनके कोच रवि सिंह पर शारीरिक और मानसिक शोषण का आरोप लगाया था, लिथारा अपने पीछे एक खत भी छोड़ गई थीं, जिसमें उन्होंने अपनी मूलभाषा मलयालम में कई दर्द साझा किए थे। हालांकि अब इस पूरे मामले को एक साल से ज्यादा का समय बीत गया है, लेकिन पुलिस की कोई ठोस कार्यवाई सामने नहीं आई है।

आपको बता दें कि न्याय की आस में लिथारा के पिता दर-बदर भटक रहे हैं, कई नेताओं और नागरिक समाज के लोगों से उनके साथ खड़े होने की गुहार लगा रहे हैं। इस बीच उनके परिवार पर कोच रवि सिंह के खिलाफ किए केस को वापस लेने के लिए भी दबाव बनाया जा रहा है। वहीं कैनरा बैंक ने लिथारा द्वारा लिए 16 लाख के लोन के बदले परिवार को जब्ती का नोटिस भी थमा दिया है। जो एक पहले से पीड़ित पिता के लिए और प्रताड़ना वाली बात है।

लिथारा के परिवार को सरफेसी एक्ट से मिलनी चाहिए राहत

जस्टिस टू लिथारा कमेटी के अध्यक्ष टी. नारायनन न्यूज़क्लिक को बताते हैं कि कोझीकोड में रहने वाले लिथारा के पिता करूनान केसी खेतिहर मजदूरी का काम करते हैं। उनकी पत्नी यानी लिथारा की मां कैंसर की मरीज हैं। लिथारा की दो बहने हैं, जिनकी शादी हो चुकी है। ऐसे में लिथारा ही अपने माता-पिता का अकेला आर्थिक सहारा थीं। अब बैंक द्वारा उन्हें कॉनफिस्केसन का नोटिस भेजा गया है, जो लोन लिथारा ने अपने घर को बनवाने के लिए लिया था।

टी. नारायनन के मुताबिक लिथारा का परिवार आर्थिक तौर पर बहुत कमजोर बैकग्राउंड से आता है। चूंकि वो सरकारी नौकरी में थी, तो परिवार के लिए वही एक उम्मीद थी। ये परिवार पहले ही आर्थिक संकट से जूझ रहा है, ऐसे में ये नोटिस उन्हें और तोड़ने वाला है। इतना ही नहीं सरफेसी एक्ट (SARFAESI) यानी बैंंकों को बिना अदालतों के हस्तक्षेप के लोन के बदले परिवार की संपत्ति नीलाम या बेचने  का अधिकार मिल जाता है, इससे भी इस परिवार को राहत मिलनी चाहिए क्योंकि न तो लोन चुकाना इनके मौजूदा हालात के अनुकूल है और नाही इनकी संपत्ति की नीलामी, जिसके बाद इस परिवार के पास कुछ भी नहीं बचेगा।

सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी को लिखे एक पत्र में लिथारा के पिता करूनान केसी ने अपना दुख व्यक्त करते हुए बताया है कि उनके बेटी की मौत आज भी एक रहस्य बनी हुई है। पटना के राजीव नगर पुलिस स्टेशन में उनके परिजनों ने कोच के खिलाफ मामला भी दर्ज करवाया था, जिसकी एफआईआर की कॉपी उन्हें नहीं मिली और वे लिथारा के अंतिम संस्कार के लिए केरल चले आए।

बिहार पुलिस कोई सटीक जानकारी नहीं दे रही

लिथारा के पिता आगे कहते हैं कि 5 जून 2022 को पटना से सब इंस्पेक्टर शंभूनाथ सिंह उनसे पूछताछ के लिए केरल आए और इसके बाद से उन्हें इस केस से जुड़ी कोई सटीक जानकारी नहीं दी गई। कई बार बिहार पुलिस ने उनके फोन कॉल तक का जवाब नहीं दिया।

वहीं 22 सितंबर 2022 को दो संदिग्ध व्यक्ति उनके घर पर आए, जब उनकी पत्नी अकेली थी और उन्होंने कोच रवि सिंह के खिलाफ किए गए मुकदमे को वापस लेने वाले स्टैंप पेपर साइन करने कहा, जिसके बदले 25 लाख रुपए भी देने की बात भी बताई गई। उनके हाथ में लिथारा की डायरी थी, जिसे उनकी पत्नी ने लेने की कोशिश की और वो गिर गईं। पड़ोसियों ने उन संदिग्ध लोगों को पकड़ने की कोशिश की लेकिन वो भाग गए। इस संबंध में कुट्टीआड़ी पुलिस स्टेशन में शिकायत भी दर्ज करवाई गई, जिस पर अब तक क्या हुआ इसकी कोई जानकारी नहीं उपलब्ध है।

न्याय के लिए तड़पता परिवार

परिवार को अब तक लिथारा की पर्सनल चीजें भी नहीं लौटाई गईं, जिसमें सोने के इयररिंग, दो मोबाइल फोन और डायरी हैं, इसे भी उनके पिता वापस करने की प्रार्थना के साथ इस केस का स्टेटस बिहार पुलिस से साझा करने की अपील करते हैं। ये पत्र एक पिता की उन तमाम बेबसियों को भी दिखाता है जिसमें उसने अपनी बेटी तो खोई ही, साथ ही अपना इकलौता सहारा भी खो दिया और अब उसके न्याय के लिए 'पानी बिन मछली' की तरह तड़प रहा है।

बता दें कि मकान मालिक और आस-पड़ोसियों के हिसाब से लिथारा एक बहुत ही खुशमिजाज लड़की थीं। वो साल 2018 में राष्ट्रीय स्तर पर बास्केटबॉल फेडरेशन कप जीतने वाली केरल टीम की सदस्य थी। उसे स्पोर्ट्स कोटे से ही रेलवे में नौकरी मिली थी। परिवार की मानें, तो वो कोच से परेशान थी, लेकिन अपने कैरियर के चलते कभी उसके खिलाफ शिकायत नहीं कर पाई। लिथारा के मामा राजीवन ने पटना के राजीव नगर थाने में 27 अप्रैल को जो नामजद एफआईआर कराई थी, उसमें भी साफ लिखा था,"मुझे पूर्व में लिथारा ने फोन पर बताया था कि मेरे बॉस्केटबॉल कोच के द्वारा शारीरिक और मानसिक शोषण किया जाता है। मेरे ऊपर भी वो दबाव बना रहे हैं। उनकी ऊपर तक पहुंच होने के चलते मैं उनके विरुद्ध कंप्लेन नहीं कर पा रही हूं। मुझे (राजीवन) को पूर्ण विश्वास है कि लिथारा ने अपने कोच रवि सिंह के उकसाने/प्रताड़ित करने के कारण ही मानसिक रूप से परेशान होकर आत्महत्या की है।"

इस संबंध में केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने 28अप्रैल 2022 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक पत्र के माध्यम से निष्पक्ष जांच की मांग की थी। इसके बाद राष्ट्रीय जनता दल की राष्ट्रीय सचिव अमु चाकू ने भी बिहार के गृह मंत्री तेजस्वी यादव को एक मेमोरेंडम सौंपा। कई बार विधायकों के जरिए भी मंत्री-संत्री को गुहार लगाई गई। लेखक और एंटी न्यूक्लियर एक्टिविस्ट एसपी उदयकुमार ने भी 21 मई को लिथारा के घर का दौरा कर परिवार से एकजुटता जाहिर की। जस्टिस टू लिथारा कमेटी ने लिथारा की पहली बरसी पर वटोली में एक पब्लिक मीटिंग के जरिए भी न्याय की मांग की। हालांकि अब तक इस मामले में क्या-कुछ हुआ ये किसी को नहीं पता। पुलिस की कोई ठोस कार्रवाई सामने नहीं आई, जिसे लेकर परिवार के साथ ही न्याय की आस लगाए बैठे कई और लोगों की उम्मीद को भी झटका लगा है।

न्यूज़क्लिक ने इस संबंध में बिहार डीजीपी को ईमेल के माध्यम से संपर्क करने की कोशिश की है, जैसे ही कोई जानकारी मिलेगी। खबर अपडेट की जाएगी।

महत्वपूर्ण जानकारी

आत्महत्या एक गंभीर मनोवैज्ञानिक और सामाजिक समस्या है। इसका इलाज दवा और थेरेपी से संभव है। आप भारत सरकार की जीवनसाथी हेल्पलाइन 18002333330, समाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय की हेल्पलाइन- 1800-599-0019 या नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस-080 - 26995000से मदद ले सकते हैं। आपको अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से भी बात करनी चाहिए।

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