कोरोना वायरस के चलते सेहत के ख़तरे को लेकर क़ैदियों की रिहाई की मांग करते हुए बहरीन में प्रदर्शन

कोरोना वायरस के प्रकोप और इससे संक्रमण के अधिक जोखिम के चलते देश की जेलों में बंद कैदियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए सरकार से इनकी तुरंत रिहाई करने की मांग करने के लिए 4 अप्रैल को लगातार चौथे दिन बड़ी संख्या में बहरीन के आम नागरिकों ने देश भर में प्रदर्शन किए और रैलियां निकाली। ये जानकारी प्रेस टीवी ने दी। कैदी भीड़भाड़ व खराब तरीके से संचालित बहरीन की जेलों में कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
इन प्रदर्शनकारियों ने सरकार द्वारा कैदियों के कोरोनोवायरस मामलों की संख्या के बारे में किसी भी समाचार के जानबूझकर प्रकाशित न करने की निंदा की। इन में से कई लोगों की जान घातक COVID-19 बीमारी के संपर्क में आने से चली गई।
पिछले हफ्ते शुक्रवार 2 अप्रैल को स्पेशल "फ्राइडे ऑफ प्रिजनर्स रेज" के रूप में मनाते हुए बहरीन सरकार का ध्यान इस मुद्दे पर लाने और कैदियों की असुरक्षा से निपटने के लिए दबाव बनाने के इरादे से विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ। इस दौरान देश के 18 से अधिक जिलों में प्रदर्शन और रैलियां आयोजित की गईं।
इन प्रदर्शनकारियों ने बहरीन का झंडा लहराते हुए किंग हमद बिन ईसा अल खलीफा की तानाशाही राजतंत्रीय शासन के खिलाफ नारे लगाए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे कैदियों की सुरक्षा और उनकी जिंदगी के लिए पूरी तरह से सरकार को जिम्मेदार ठहराते हैं और सरकार के लंबे समय से राजनीतिक कैदियों, मानव अधिकार कार्यकर्ताओं, प्रमुख नेताओं और विपक्ष और अल्पसंख्यक समूहों के सदस्यों के साथ दुर्व्यवहार और निरंतर कार्रवाई की निंदा की।
एक दिन पहले यानी गुरुवार को बहरीन के प्रमुख शिया धर्मगुरु शेख ईसा कासिम ने देश में विपक्षी राजनीतिक हस्तियों के भविष्य को लेकर चिंता जाहिर की और जेल में बंद होने के दौरान उनके जिंदगी को लेकर भय व्यक्त किया।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बहरीन देश में मानवाधिकारों और नागरिक स्वतंत्रता के दमन को लेकर बढ़ रही आलोचनाओं का शिकार है। यूएन स्पेशल रैपर्चर ऑन द सिचुएशन ऑफ ह्यूमन राइट्स डिफेंडर मैरी लॉलोर ने जेल में बंद बहरीन मानवाधिकार के प्रमुख हस्ती एक्टिविस्ट अब्दुलहदी अल-ख्वाजा का विशेष रूप से उल्लेख किया और सरकार से तुरंत उन्हें रिहा करने की मांग की।
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