दिल्ली: छात्र, युवा और मज़दूरों ने बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ किया संयुक्त प्रदर्शन

दिल्ली: केंद्र और दिल्ली सरकार की नीतियों से बढ़ती बेरोजगारी के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए मजदूर, छात्र और युवा सोमवार को एक साथ आए और दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों के अनुसार, देश में बेरोजगारी की इस भयानक स्थिति के लिए सरकार और उसकी गलत नीतियां ज़िम्मेदार हैं।
सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू), स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) और डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) ने संयुक्त रूप से इस प्रदर्शन का आयोजन किया था। इस विरोध प्रदर्शन के लिए तीनो संगठनों ने पिछले एक महीने से दिल्ली के युवा , छात्रों और मजदूरों के बीच व्यापक अभियान चलाया था।
हालांकि इस विरोध प्रदर्शन में नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार के निजीकरण को बढ़ावा देने से लेकर श्रम संहिता लागू करने तक कई मुद्दों पर चर्चा की। लेकिन इन सबके बीच प्रदर्शन में शामिल सभी लोग एक मांग प्रमुखता से रख रहे थे वो है "रोज़गार के अधिकार को मौलिक अधिकार" घोषित किया जाए।
सीटू की एआर सिंधु ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार की विनाशकारी नीतियों के कारण नौकरियों लागातार कम हो रही हैं। उन्होंने उदाहरणों के रूप में COVID-19 प्रेरित लॉकडाउन और GST के "अनुचित कार्यान्वयन" का जिक्र किया।
सिंधु ने न्यूज़क्लिक से कहा कि" इतना ही नहीं, ये सरकार अब सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों), जो रोजगार पैदा करने के लिए जाने जाते हैं, उनके भी निजीकरण की लगातार घोषणा कर रही है।" आगे उन्होंने कहा एक "स्थिर और सम्मानजनक रोजगार" की मांग इस समय की जरूरत है।"
इसी तरह की भावनाएं डीवाईएफआई-दिल्ली के राज्य सचिव अमन सैनी द्वारा साझा की गईं जिन्होंने कहा कि दिल्ली में बेरोजगारी का स्तर "बहुत खतरनाक" है।
“केंद्र निश्चित रूप से देश में वर्तमान बेरोजगारी की स्थिति के लिए ज़िम्मेदार है, लेकिन , दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने भी युवाओं को ठगा ही है। हाल ही के बजट में उन्होंने (दिल्ली सरकार) एक नौकरी योजना की घोषणा नहीं की बल्कि मूल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए खोखले वादों की बौछार कर दी।”
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ लॉकडाउन में ढील के, छह महीने के बाद दिल्ली में बेरोजगारी की दर अक्टूबर-नवंबर 2020 में बढ़कर 28.5 प्रतिशत हो गई, जो जनवरी-फरवरी में 11.1 प्रतिशत थी।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में लागू मनरेगा की तर्ज़ पर शहरों में भगत सिंह शहरी रोजगार गारंटी कानून को लागू किया जाए।
सोमवार को, जंतर-मंतर पर अन्य यूनियनों के प्रतिनिधियों जैसे आईटी कर्मचारियों और एलआईसी के कर्मचारियों ने भी इस प्रदर्शन के साथ एकजुटता ज़ाहिर की। इसके साथ ही अन्य श्रमिकों और छात्र भी इस अंदोलन का हिस्सा बने। जबकि दस्तक और जन नाट्य मंच जैसे संस्कृतिक संगठनों द्वारा इस अंदोलन के समर्थन में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करते हुए गीत गाए गए।
विरोध करने वाले समूह अपना 12-सूत्रीय मांग पत्र भी लाए थे, जिसमें भगत सिंह शहरी रोजगार गारंटी अधिनियम का कार्यान्वयन शामिल था, जो कि सभी रोजगार योग्य लोगों के लिए न्यूनतम मजदूरी दरों पर 200 कार्य दिवस सुनिश्चित करना है।
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार के नाम इन मांगों को उजागर करते हुए एक ज्ञापन भी सौंपा गया।
12 सूत्री मांग पत्र:-
1. रोजगार पाने के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित करो। भगत सिंह राष्ट्रीय शहरी रोजगार गारंटी कानून (भ. सिं. रा. श. रो. गा. का.) को लागू करो। इसके अंर्तगत कामगार-श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी दर पर कम से कम 200 दिनों के रोजगार की गारंटी करो। रोजगार न मिलने पर बेरोजगारों को 5000 रुपये का बेरोजगारी भत्ता दो।
2. भ. सिं. रा. श. रो. गा. का. के प्रभावी कार्यान्वन के लिए, रोजगार करने योग्य सभी युवाओं-कामगारों (स्थानीय व प्रवासी) को एक राष्ट्रीय व राज्य स्तर पंजीकरण कर सूचीबद्ध करो। इसमें अतिकुशल, कुशल, अर्ध-कुशल और अकुशल श्रमिकों को अलग से श्रेणीबद्ध करो।
3. 21,000 रुपये मासिक न्यूनतम वेतन घोषित करो। इसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के साथ जोड़ा जाए।
4. सरकार, प्राधिकरण व नगर निगम व निजी क्षेत्र में ठेका, आकस्मिक रोजगार और सरकारी कल्याणकारी योजनायें (आंगनवाड़ी, आशा, मिड-डे मील कामगार), शिक्षा व बाल-मजदूरों के विद्यालयों सहित और अन्य सेवाओं के तहत सभी कार्यरत कर्मियों को नियमित करो। उनके लिए न्यूनतम वेतन व समाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करो।
5. 2019 से केन्द्र व राज्य में खाली पड़े 60 लाख सरकारी पदों पर तत्काल भर्तियां शुरू करो। इन भर्तियों में एससी, एसटी, ओबीसी के लिए तय आरक्षित पदों को भी अविलम्ब भरो। इसमें महिलाओं को समान अवसर सुनिश्चित करो। सच्चर कमेटी की सिफारिशों को लागू करो।
6. साप्ताहिक काम की समय-सीमा को 35 घंटे सीमित करो व 4 शिफ्ट का कार्य दिवस लागू करो। इससे ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा।
7. सभी सरकारी अस्पताल, निजी अस्पताल व नर्सिंग होम में कांट्रैक्ट पर रखे गए नर्सों व अन्य स्टाफ की नौकरियों को नियमित करो। 2019 में दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेशानुसार नर्सों को प्रति माह न्यूनतम वेतन 20,000 रुपये का भुगतान किया जाए।
8. शहर में पर्याप्त, सुरक्षित, स्वच्छ वेंडिंग जोन बनाए जाए। पुलिस या नगर निगम के अधिकारियों द्वारा जबरन वसूली को रोकने के लिए कड़े इंतजाम करें। पथ विक्रेताओं (स्ट्रीट-वेंडर) को कॉर्पोरेट सुपरमार्केट के कम्पटीशन एवं बेदखली से बचाने का इंतजाम करें।
9. ओला-उबर-स्विीगी-जमेटो जैसे ऑन-लाइन प्लेटफार्म के जरिए काम करने वाले कामगारों के काम से जुड़ी अनिश्चितताओं को दूर करने हेतु अलग कानून बनाओ।
10. डोमेस्टिक वर्कर्स का वेतन, काम के घंटे, साप्ताहिक छुट्टी, नोटिस-पे, इलाज व पेंशन कानूनी प्रावधान बना सुनिश्चित किया जाए।
11. साईकिल रिक्शा, ई-रिक्शा, ऑटो रिक्शा, टैक्सी चालक को इलाज, पेंशन, दुघर्टना बीमा, मृत्यु बीमा कानूनी प्रावधान बना सुनिश्चित किया जाए।
12. विद्यालय से विश्वविद्यालय स्तर तक मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का विस्तार किया जाए, इंटर्नशिप के दौरान तय न्यूनतम वेतन का आधा बतौर अलाउंस दिया जाए। सीबीएसई. में परीक्षा शुल्क समाप्त किया जाए।
प्रदर्शनकारी समूहों ने दावा किया कि आने वाले दिनों में भी रोजगार की मांग लेकर अभियान जारी रहेगा।
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