आने वाले दिनों में देश में 'कंपनी राज' देखने को मिलेगा : टिकैत

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा है कि देश की पूरी संपत्ति को बिक्री के लिए रख दिया गया है और आने वाले दिनों में देश में ‘कंपनी राज’ देखने को मिलेगा.
उन्होंने यह भी कहा कि लोग धर्म-जाति के नाम पर विभाजन पर ध्यान न दें और जानें कि हम सब एक ही समुदाय- किसान से संबंध रखते हैं.
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के राजिम कस्बे में मंगलवार को टिकैत ने किसान महापंचायत को संबोधित किया और युवाओं से भूमि, फसल और आने वाली पीढ़ी को बचाने के लिए किसानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की अपील की.
छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के तत्वावधान में सैकड़ों किसानों ने इस महापंचायत में भाग लिया.
टिकैत ने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब किसानों को अपना हसिया (कृषि उपकरण) छोड़कर क्रांति की ओर बढ़ना होगा. उन्होंने कहा कि हमें केंद्र की तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ना है.
उन्होंने कहा कि हम दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 10 महीनों से विरोध कर रहे हैं और अगर हमारी मांगें पूरी नहीं की गईं तो सभी राज्यों की राजधानी में यह आंदोलन होगा.
उन्होंने कहा कि किसानों को सब्जियों और दूध सहित उनकी हर उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना चाहिए. टिकैत ने कहा कि जब तक केंद्र कानून वापस नहीं लेता है तब तक किसानों को पीछे नहीं हटना है.
उन्होंने कहा कि आपको इस आंदोलन का समर्थन करना होगा. उन्होंने कहा कि अगर दिल्ली विरोध विफल रहता है, तब भविष्य में ऐसा कोई आंदोलन नहीं हो पाएगा.
केंद्र की नीतियों पर निशाना साधते हुए किसान नेता ने कहा कि रेलवे, हवाई अड्डे, बंदरगाह और एलआईसी (निजी हाथों को) बेचे जा रहे हैं और देश की पूरी संपत्ति को बिक्री के लिए रखा गया है.
टिकैत ने आरोप लगाया कि वह देश को लूटने आए हैं और वह चाहते हैं कि सब कुछ निजी क्षेत्रों के हाथों में चला जाए. उन्होंने दावा किया कि इससे देश जल्द ही ‘कंपनी राज’ को देखेगा.
उन्होंने कहा कि वर्तमान में किसानों को निशाना बनाया जा रहा है तथा अगला निशाना मीडिया होगा.
टिकैत ने किसी का नाम लिए बगैर कहा कि वह देश को जाति और धर्म के आधार पर बांटने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन आपको उनकी बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए और केवल एक ही बात जाननी चाहिए कि हम सभी एक ही समुदाय के हैं, वह समुदाय किसान है.
उन्होंने युवाओं से किसानों के प्रदर्शन में शामिल होने का आह्वान करते हुए कहा कि युवाओं को सोशल मीडिया के माध्यम से आंदोलन को जन-जन तक ले जाना होगा. देश को युवाओं द्वारा क्रांति की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि इस आंदोलन को युवाओं को ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब और अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिये आगे बढ़ाना होगा.
किसान महापंचायत को सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव, मेधा पाटकर और संयुक्त किसान मोर्चा के अन्य नेताओं ने भी संबोधित किया. इस महापंचायत में पंजाब और हरियाणा के किसानों ने भी बड़ी संख्या में हिस्सा लिया.
पिछले वर्ष सितंबर माह में संसद में तीन कृषि कानूनों को पारित किया गया था. केंद्र सरकार ने इन कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधारों के रूप में पेश किया है, लेकिन किसान संघ के नेता पिछले वर्ष नवंबर माह से इन कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे है.
आपको बता दे किसान आंदोलन 308 वें दिन में प्रवेश कर गया है लेकिन सरकार ने 26 जनवरी 2021 से बात नहीं की है। इससे पूर्व किसान और सरकार के मध्य 11 दौर की वार्ता विफल हो चुकी है। अब किसान नेताओ ने अपने आंदोलन को और व्यपक और तेज़ करने के लिए तैयारी कर रहे है। इससे सरकार भी अब बैकफुट पर दिख रही है। किसान संयुक्त मोर्चे न बताया कि 27 सितंबर के ऐतिहासिक भारत बंद के बाद विभिन्न मोर्चों पर फिर आंदोलनकारी बड़ी संख्या में मोर्चों में शामिल हो रहे हैं।
किसान आंदोलन के असर को कम करने के लिए शासन के अंतिम महीनो में यूपी की बीजेपी सरकार ने गन्ना किसानों का यूपी सरकार द्वारा गन्ने के दामों में मामूली बढ़ोतरी की है। लेकिन किसान इसे संतुष्ट नहीं है वो इसके खिलाफ अपना विरोध में प्रदर्शन जारी रखे हुए है।
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में आयोजित एक कार्यक्रम में किसानों को धमकी देने वाले केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के खिलाफ किसान संगठनों का विरोध किया।
इसी तरह बिहार के किसान संगठनों की 9 अक्टूबर को पटना में बैठक कर आगे के कार्यक्रम और संयुक्त किसान मोर्चा की राज्य इकाई के गठनकरने का एलान किया है।
जबकि संयुक्त होराता, कर्नाटक समन्वय समिति की बैठक 7 अक्टूबर को बेंगलुरु में होगी। इसमें किसान संगठनों द्वारा आगे राज्यव्यापी कार्यक्रमों की योजना बनाई जाने की बात कही जा रही है।
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)
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