बिहारः प्रतिबंध के बावजूद पंचायत चुनावों के बीच शराब की तस्करी बढ़ी

बिहार में एक तरफ जहां पंचायत चुनावों जारी है वहीं दूसरी तरफ प्रशासन लगातार अवैध शराब जब्त कर रही है। नीतीश सरकार ने यहां साल 2016 में शराब पर प्रतिबंध लगा दिया था। यह नीतीश कुमार ड्रीम प्रोजेक्ट था और है, लेकिन इसमें वे विफल होते नजर आ रहे हैं। इस पर प्रतिबंध के बावजूद इसकी तस्करी और इसके अवैध कारोबार में वृद्धि देखी गई है। खासकर चुनाव आते ही इसकी तस्करी बढ़ जाती है। चुनावों के दौरान कई बार प्रत्याशियों द्वारा वोटरों को रिझाने के लिए शराब बांटने की भी खबरें आती रही हैं। इस बार भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है।
एक महीने में साढ़े चार लाख लीटर शराब ज़ब्त
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इन चुनावों के लिए आचार संहिता लागू होने के बाद से पुलिस ने अब तक करीब साढ़े चार लाख लीटर शराब जब्त की है। पकड़े गए शराब में से 25 प्रतिशत से अधिक शराब पहले चरण में होने वाले चुनावी क्षेत्रों से पकड़े गए है। ज्ञात हो कि पंचायत चुनाव को देखते हुए शराब की तस्करी बढ़ने की आशंका को लेकर मद्य निषेध इकाई पहले से सतर्क थी। रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर महीने में मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग की टीम ने भी1लाख 20 हजार लीटर से अधिक शराब को जब्त किया है। 24 अगस्त से प्रदेश भर में साढ़े चार लाख लीटर से अधिक शराब जब्त की गई है। मद्य निषेध इकाई ने दो दिनों में ही 17 हजार लीटर से अधिक शराब जब्त की है।
पंचायत चुनाव में इस्तेमाल के लिए लाई गई शराब को पटना के पालीगंज थाने की पुलिस ने पकड़ा है। पकड़े गए ट्रक में पचास लाख रुपए की शराब होने का अनुमान लगाया गया है। इस प्रखंड में 29 सितंबर को पंचायत चुनाव होने वाले थे। सोमवार को दोपहर के बाद पटना-औरंगाबाद एनएच-139 पर महाबलीपुर बाजार से एक हरियाणा नंबर का बड़ा ट्रक गुजर रहा था जिस पर पुलिस की नजर पड़ी और जांच के लिए इस ट्रक को रोक लिया। ट्रक की तलाशी लेने पर बोरियों के नीचे भारी मात्रा में छिपाकर रखे गए शराब का कार्टन मिला।
27 सितंबर को मुंगेर के बरियारपुर थाना क्षेत्र में पुलिस ने पुलिस के लोगो लगे वाहनों से शराब बरामद किया है। पुलिस के एक अधिकारी ने जांच अभियान के दौरान वाहनों को रोक कर तलाशी ली जिसमें से बड़ी मात्रा में शराब बरामद की गई। पुलिस अधिकारी के अनुसार पुलिस को धोखा देने के लिए एक वाहन में पुलिस का लोगो लगा नंबर प्लेट लगाया गया। दोनों वाहनों से अलग-अलग कंपनियों की 248 लीटर शराब बरामद की गई।
पुलिस ने 27 सितंबर को धनबाद से दुमका के रास्ते बिहार भेजी जा रही शराब की बड़ी खेप को पकड़ा है। पुलिस ने अवैध शराब की 52 पेटियों के साथ दो तस्करों को पकड़ा है। इन 52 पेटियों में अंग्रेजी शराब की तकरीबन 1500 बोतलें बरामद की गई।
बिहार विधानसभा चुनावों से पहले भी बढ़ गई थी तस्करी
पिछले साल बिहार विधानसभा चुनावों से पहले भी अवैध तरीके से शराब की तस्करी बढ़ गई थी। पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली में यूपी-बिहार बॉर्डर पर पुलिस ने करीब 40 लाख रुपए की अवैध अंग्रेजी शराब की भारी खेप बरामद की थी। अवैध रूप से इसे हरियाणा से लाया जा रहा था। 403 पेटी में विभिन्न ब्रांड के अंग्रेजी शराब की कुल 10428 बोतलें बरामद हुईं थीं।
विधानसभा चुनावों से पहले किशनगंज में पुलिस की चेकिंग के दौरान एक लग्जरी कार से नौ लाख तीन हजार रुपए कैश मिले थे और विदेशी शराब की बोतलें बरामद हुई थीं। यह बरामदगी चारघरिया चेकपोस्ट से हुई थी। चेकिंग के दौरान 13 अक्टूबर 2020 तक इस चेकपोस्ट पर करीब 25 लाख रुपए बरामद हो चुके थे।
पुलिस पर शराब माफियाओं का हमला
पिछले साल शराब माफियाओं द्वारा पुलिस पर हमला करने के कई मामले सामने आए थें। सितंबर महीने की शुरुआत में पटना में पुलिसकर्मियों की उस समय पिटाई की गई थी जब वे शराब तस्करी के संदेह पर एक जगह पर छापा मारने गए थे।
पुलिस को संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस से शराब उतरने की खबर मिली थी। इसी सूचना पर छापेमारी करने गई पुलिस और माफियाओं के बीच भिड़ंत हो गयी थी। पुलिस की छापेमारी को देख कर माफियाओं ने पुलिस पर गोलबारी शुरू कर दी थी जिसमें जक्कनपुर थाने के एएसआई आशुतोष कुमार घायल हो गए थे वहीं सुबोध पासवान नाम के एक शराब माफिया को भी गोली लगी थी। फायरिंग के पहले माफियाओं ने करीब 15 मिनट तक एएसआई को अपने कब्जे में रखा था और बुरी तरह मारपीट की थी। उनकी वर्दी तक फाड़ दी थी।
पिछले साल ही सितंबर महीने में सीवान जिले में शराब माफियाओं ने पुलिस टीम पर हमला कर दिया था। इस हमले में कुछ पुलिसकर्मी भी घायल हो गए थे। पुलिस को जानकारी मिली थी कि गोरेयाकोठी थाना क्षेत्र के छितौली में शराब की अवैध बिक्री की जा रही है। इसी सूचना पर पुलिस टीम वहां पहुंची जिस पर शराब माफियाओं ने हमला कर दिया था।
बीबीसी हिंदी के अनुसार साल 2019 में बिहार में हर एक मिनट में कम से कम तीन लीटर शराब की बरामदगी हुई और 10 मिनट के अंदर एक गिरफ़्तारी की गई। बीबीसी से बात करते हुए प्रोफेसर दिवाकर शराब तस्करों के सिंडिकेट को न तोड़ पाने पर प्रशासन पर सवाल उठाया था। उन्होंने आगे कहा था, "ऐसा कोई सप्ताह नहीं होता जब शराब नहीं पकड़ी जाती है। शराबबंदी एक सकारात्मक क़दम है लेकिन इसको पूरा होने में कहीं न कहीं राजनीतिक इच्छाशक्ति आड़े आ रही है। शराब का सिंडिकेट नहीं टूटता सिर्फ़ छोटे-मोटे कैरियर को पकड़कर जेल में डाल दिया जाता है।"
नीतीश सरकार की सख़्ती
क़रीब एक सप्ताह पहले ही बिहार में शराब बंदी को लेकर नीतीश सरकार ने काफी सख्ती की है। इसको लेकर बिहार कैबिनेट की बैठक में एक और बड़ा फैसला लिया गया है। यदि किसी परिसर में शराब का निर्माण, बोतल बंद करने का काम, भंडारण, बिक्री या आयात-निर्यात किया जाता है तो पूरे परिसर को सील कर दिया जाएगा। इसके अलावा आवासीय परिसरों में इस तरह की गतिविधि होती है तो पूरा परिसर न करके चिन्हित भाग सील किया जाएगा। इस बाबत प्रदेश कैबिनेट ने मद्यनिषेध एवं उत्पाद अधिनियम में संशोधन की स्वीकृति दे दी है।
कुछ स्थानों पर छूट
वहीं जारी किए गए आदेश में यह भी कहा गया है कि बिहार से होकर गुजरने वाले मादक द्रव्य से लदे वाहनों को राज्य की सीमा में प्रवेश करने के लिए घोषित चेकपोस्ट पर ही अनुमति मिलेगी। इस तरह के वाहनों को 24 घंटे के भीतर राज्य की सीमा से बाहर निकलना अनिवार्य होगा। आदेश में यह भी कहा गया है कि राज्य की सीमा में प्रवेश के समय वाहनों में डिजिटल लॉक लगाया जाएगा। इथनॉल का उत्पादन करने वाली कंपनी की गतिविधियां सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में संचालित होगी। उधर कैंटोनमेंट एरिया तथा मिलिट्री स्टेशन को शराब भंडारण की अनुमति होगी लेकिन कैंटोनमेंट एरिया से बाहर किसी भी कार्यरत अथवा सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी को शराब रखने या इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं होगी।
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