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विश्लेषण: आख़िर किस वजह से अपने मूल विचार से पीछे हटी भाजपा सरकार!

धार्मिक भावनाओं के सम्मान ने नहीं बल्कि भाजपा सरकार को कड़ा कदम उठाने के लिए किसी और बात ने मजबूर किया है। यह कारण है पैसा और कारोबार।आइए इस गणित को समझते हैं।
nupur sharma

मोहम्मद पैगम्बर के खिलाफ जब भाजपा के प्रवक्ता ने टीवी चैनल पर अभद्र बातें कीं तो एंकर की तरफ से नहीं रोका गया। लगभग सप्ताह भर तक वीडियो वायरल होता रहाकरोड़ों लोगों तक पहुँचता रहा लेकिन सरकार और भाजपा की तरफ से कोई आपत्ति जाहिर नहीं की गयी। हिंदुस्तान में तकरीबन 20 करोड़ मुसलमान रहते हैंसरकार ने इनकी भावनाओं के बारे में भी नहीं सोचा। मोहम्मद पैगम्बर के खिलाफ की गयी अभद्र टिप्पणी पर सरकार को तब तक कोई फर्क नहीं पड़ा जब तक खाड़ी देशों के इस्लामिक मुल्कों की तरफ से एतराज नहीं जताया गया। जब खाड़ी देशों ने एतराज जताया तब सरकार ने वह कर दिखाया जो भारत के 20 करोड़ मुस्लिम सरकार से नहीं करवा पाए।


भाजपा सरकार ने अभद्र टिप्पणी पर भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा को छह साल के लिए निलंबित कर दिया। दिल्ली के मीडिया सेल के अध्यक्ष नवीन जिंदल को हमेशा के लिए बाहर कर दिया। सरकार के इस फैसले पर कई तरह की राय हो सकती है। यह कहा जा सकता है कि भाजपा प्रवक्ता की गलती के लिए भारत सरकार खाड़ी देशों के सामने नहीं झुकना चाहिए था। लेकिन इन सबके अलावा सवाल यही है कि आखिकार भाजपा सरकर क्यों झुक गयीमुस्लिमों के उत्पीड़न को लेकर इससे पहले भी भारत में कई मामले आये हैं लेकिन अबकी बार अरब देश एकजुट होकर भारत सरकार से जवाब क्यों मांगने लगे?


जाहिर सी बात है कि अगर मुस्लिमों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान होता तो भाजपा की राजनीति ही न होती। यानी धार्मिक भावनाओं के सम्मान ने नहीं बल्कि भाजपा सरकार को कड़ा कदम उठाने के लिए किसी और बात ने मजबूर किया है। यह कारण है पैसा और कारोबार। जब वीडियो वायरल होते हुए अरब देशों में पहुंचा तो अरब देशों में भारत से आये सामानों का बहिष्कार होने लगा। कतरकुवैत और ईरान ने भारत के राजदूत को बुलाया। उन्हें नोटिस थमाने लगे कि भारत माफी मांगे। यह कोई छोटी मोटी बात नहीं है। केवल कतरकुवैत और ईरान ही नहीं बल्कि जॉर्डनईरानसऊदी अरबमालदीवपाकिस्तानअफगानिस्तान ने मोहम्मद पैगंबर के खिलाफ की गई टिप्पणी की निंदा की है। एक मायने में कहा जाए तो विश्वगुरु का हुंकार भरने वाली भाजपा के प्रवक्ताओं ने फजीहत करा दी।


अब थोड़ा पैसे और कारोबार का खेल समझते हैं जिसकी वजह से भाजपा सरकार को उस हवा को रोकना पड़ा जो भाजपा के लिए ऑक्सीजन का काम करता है। यूनाइटेड अरब अमीरात और सऊदी अरब भारत के सबसे बड़े आयातकों में शामिल है। इन दोनों देशों में भारत का तकरीबन 16% आयात होता है। खाड़ी के देश और ईरान मिलकर भारत के 40% खनिज तेल की जरूरत को पूरा करते हैं। तकरीबन 90 लाख हिंदुस्तानी खाड़ी के देशों में काम करते हैं। भारत का तकरीबन 55% रेमिटेंस खाड़ी के देशों से आता है। रेमिटेंस यानी वो पैसा जो भारत के उन नागरिकों के जरिए भेजा जाता है जो दूसरे देशों में काम करते हैं। अब आप समझ सकते हैं कि अगर खाड़ी के देशों ने कड़ा विरोध जताया है तो भाजपा की सरकार को अपने मूल विचार से पीछे क्यों हटना पड़ा है?


खाड़ी देशों में काम करने वाली कंपनियां ठेके पर भारत सहित दुनिया के कई इलाकों से मजदूर मंगवाती है। इन कंपनियों की तरफ से ऐसी सुगबुगाहट आ रही है कि वह अपनी कंपनियों में हिंदू मजदूरों को काम नहीं देंगी। उनको काम से बाहर निकालेंगे जो इस्लामिक नफरत से भरे हुए हैं। जानकार कह रहे हैं कि जिस तरह से देश का माहौल बिगड़ रहा था उसका असर दुनिया के दूसरे मुल्कों पर ना पड़े यह बिल्कुल संभव नहीं था। अब जो हो रहा हैवह उसी नफरती फसल से निकला हैजो भारत के विचार को खत्म कर रहा है। इसका भी सबसे बड़ा असर उन लोगों पर नहीं पड़ेगा जो आलीशान होटलों में बैठकर नफरत का माहौल रखते हैं। बल्कि उन्हीं गरीब लोगों पर पड़ेगा जो एक ठीक ठाक जिंदगी की संभावना में अपने मुल्क को छोड़कर दूसरे मुल्क में जाते हैं।


सऊदी अरबओमान और कतर जैसे देशों में भारत के राजदूत रह चुके तलमीज अहमद एक इंटरव्यू में बताते हैं कि मोहम्मद पैगंबर इस्लाम में सबसे अधिक सम्मानित हैं। इतने अधिक सम्मानित हैं कि इनपर और इनके परिवार के खिलाफ इस्लाम में कुछ भी गलत नहीं बोला जाता है। इसलिए भारत में मुस्लिमों का कई दफे उत्पीड़न होने के बावजूद अरब देशों की तरफ से कोई कठोर प्रतिक्रिया नहीं आई लेकिन जैसे ही मोहम्मद पैगंबर के खिलाफ कुछ कहा गया इस्लाम के नाम पर एकजुटता दिखाने वाले दुनिया के सारे मुल्क हो गए। भारत के लिए यह बहुत अधिक गंभीर संकट है। वैश्विक बनती दुनिया में भारत जैसा विशाल मुल्क अपने भीतर की विविधताओं का सम्मान किए बिना दुनिया के दूसरे मुल्कों पर अपनी छाप नहीं छोड़ सकता है।


नफरत की बयार एक दूसरे धर्म के कट्टरपंथियों को खाद-पानी देती है। अब कहा जा रहा है कि भारतीय उपमहाद्वीप में मौजूद आतंकी संगठन अलकायदा ने पैगंबर मामले में बदला लेने का ऐलान किया है। अगर ऐसा कुछ होता है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा?


इंसान होने के नाते बोलने की आजादी नहीं छीनी जा सकती। बोलने का हक छीनने का मतलब है इंसान को गुलाम बना देना। लेकिन इसका कहीं से भी अब मतलब नहीं है कि हम अपनी बोलने की आजादी के जरिए मानवता के खिलाफ काम करना शुरू कर दें। भारत के अधिकतर टीवी चैनलों पर हर दिन हिंदू-मुसलमान नफरत का जहर फैलाकर टीवी एंकर जो करते हैं वह इस देश के खिलाफ ही नहीं होता बल्कि पूरी मानवता के खिलाफ होता है। इसे हर किसी को समझना होगा।

 

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