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विरोध के बाद केरल की नर्सों को वेतन संशोधन का मिला आश्वासन

नर्सों ने 31 मार्च तक प्रस्तावित हड़ताल स्थगित करने का फ़ैसला लिया है।
kerala

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराय विजयन की अध्यक्षता में सोमवार को हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि राज्य भर में नर्सों सहित निजी अस्पतालों में कर्मचारियों की न्यूनतम मज़दूरी के संशोधन पर अंतिम अधिसूचना 31 मार्च से पहले जारी की जाएयेगी। न्यूनतम मज़दूरी के संशोधन के लिए ड्राफ्ट प्रस्ताव 16 नवंबर, 2017 को जारी किया गया था।

इसके ठीक बाद यूनाइटेड नर्सेस एसोसिएशन (यूएनए) से संबद्ध पूरे केरल के निजी अस्पतालों की नर्सें जो अपने न्यूनतम वेतन में संशोधन की मांग को लेकर 6मार्च से अनिश्चित काल की छुट्टी पर जाने की योजना बना रहीं थी मुख्यमंत्री पिनाराय विजयन से आश्वासन मिलने के बाद स्थगित कर दिया है।

यूएनए के महासचिव सुजनपाल अच्युतन ने कहा, "सरकार से हमें आश्वासन मिला है कि वेतन में संशोधन 31 मार्च से पहले लागू कर दिया जाएगा इसलिए हमने प्रस्तावित हड़ताल को स्थगित करने का फैसला किया है।"

ड्राफ्ट प्रस्ताव के अनुसार नर्सों के मैनेजर का मूल वेतन 22,650 रुपए है, जबकि नर्सिंग अधीक्षक को 22,090 रुपए दिए जाने चाहिए। अन्य कर्मचारियों का मूल वेतन जैसे सहायक नर्सिंग अधीक्षक का 21,550 रुपए, हेड नर्स का 21,020 रुपए, ट्यूटर नर्स / क्लिनिकल इंस्ट्रक्टर का 20,550 रुपए, स्टाफ नर्स 20,000 रुपए,एएनएम ग्रेड-1 के लिए 18,570 रुपए और ग्रेड-2 के लिए 17,680 रूपए होना चाहिए।

सुजनपाल ने आगे कहा कि "अलप्पुजहा के केवीएम अस्पताल चेरथाला में चल रहा संघर्ष जारी रहेगा।"

अलप्पुजहा ज़िले के 300 बिस्तर वाले केवीएम अस्पताल चेरथला में काम करने वाले 150 से ज़्यादा नर्स 21 अगस्त 2017 से हड़ताल पर हैं। दो कर्मचारियों को बर्खास्त करने पर अड़े केवीएम प्रबंधन के अनुचित निर्णय के बाद अस्पताल के कर्मचारी असुरक्षा और ख़राब कामकाजी परिस्थितियों को लेकर बेहद नाराज़ हैं। यद्यपि, यूनियन और श्रम विभाग के अधिकारियों ने अस्पताल में मुद्दों को सुलझाने के कई प्रयास किए थे लेकिन प्रबंधन कर्मचारियों की मांगों को मानने के लिए तैयार नहीं था।

यूएनए के अरुणजीत ने कहा, "प्रदर्शन करने वाले कर्मचारी अस्पताल में तीन शिफ्ट में काम करने वाले सिस्टम के साथ उचित संख्या में स्टाफ के भर्ती की मांग कर रहे हैं।"

केरल के अधिकांश निजी अस्पताल यूनियनों और संगठनों के निरंतर संघर्ष के बाद तीन शिफ्ट में काम करने वाले सिस्टम का पालन कर रहे हैं। जबकि केवीएम अस्पताल अभी भी एक दो शिफ्ट वाले सिस्टम का पालन कर रहा है। अरुणजीत ने कहा कि "पहली शिफ्ट सुबह 8 बजे शुरू होती है और 6 बजे (लगातार 10 घंटे की नौकरी) समाप्त होती है और दूसरी शिफ्ट 14 घंटे की होती है जो शाम6 बजे से लेकर सुबह 8 बजे तक चलता है।"

अरुणजीत के मुताबिक़ केवीएम में नर्सों की औसत वेतन 8,000 रुपए प्रति माह है जो साल 2013 के वेतन संशोधन के अनुसार अनिवार्य न्यूनतम मज़दूरी से कम है। वैधानिक न्यूनतम मज़दूरी से नीचे का औचित्य साबित करने के लिए अस्पताल ने "प्रशिक्षुओं" को भर्ती कर रखा है। प्रशिक्षुओं के पद पर भर्ती किए गए कर्मचारियों को स्टेट्युटरी एम्प्लॉइज स्टेट इंश्योरेंस (ईएसआई) और कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) सहित वेतन के हक़दार नहीं होते हैं।

"एक कर्मचारी जिसे अस्पताल से बर्खास्त कर दिया गया था वह प्रशिक्षु के पद पर था। उस कर्मचारी के पास अमृता अस्पताल में काम करने का तीन साल का अनुभव है और साथ ही केवीएम में एक साल का अनुभव है।" परिभाषा के अनुसार कोई कैंडिडेट अधिकतम एक वर्ष के लिए प्रशिक्षु नर्स के तौर पर काम कर सकता है।

इससे पहले केरल प्राइवेट हॉस्पिटल एसोसिएशन (केपीएचए) के नेताओं ने स्वयं घोषित किया था कि निजी अस्पतालों में काम कर रहे नर्सिंग प्रशिक्षुओं को स्थायी कर्मचारियों के रूप में सूचीबद्ध नहीं किया जा सकता है।

केवीएम अस्पताल में चल रहे संघर्ष पर प्रतिक्रिया देते हुए मलप्पुरम ज़िले की फाइनल ईयर की नर्सिंग छात्राओं में से एक ने कहा कि निश्चित रूप से "वे अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं; नर्सों की स्थिति को समझना लोगों के लिए काफी मुश्किल बात है।"

छात्रा ने नाम का खुलासा न करने की शर्त पर कहा "पढ़ाई पूरा करने के बाद हमें ऐसी ही परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। आप जानते हैं कि मेरी क्लास के अधिकांश छात्र बैंक से क़र्ज़ लेकर पढ़ रहे हैं। इसलिए जब हम पढ़ाई पूरी करेंगे तो हमें क़र्ज़ चुकाने के लिए किसी भी क़ीमत पर काम करना पड़ेगा। ये क़र्ज़ लगभग चार लाख होता है।"

स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया से संबद्ध नर्सिंग स्टूडेंड सब-कमेटी के सदस्य अक्षय ने कहा कि "बड़ी संख्या में छात्र हैं जो राज्य के विभिन्न कॉलेजों से नर्सिंग कोर्स पूरा किया है। इसके अलावा कई छात्र राज्य से बाहर पढ़ाई के लिए चले गए हैं और वे वापस जॉब की तलाश में आएंगे। ऐसे में यहां जॉब तलाशना काफी मुश्किल है।"

क़रीब 7 साल से एक निजी अस्पताल में काम कर रहे एक नर्स ने कहा कि "अस्पताल प्रबंधन जानता है कि नौकरियों के लिए भारी संख्या में छात्र बाहर मौजूद हैं तो ऐसे में जब वेतन में संशोधन और बेहतर कामकाजी परिस्थितियों के कार्यान्वयन की बात आती है तो वह अपने फैसले पर सख़्त हो जाता है।"

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक़ नर्सों के वितरण के मामले में प्रति लाख आबादी में देश भर के शीर्ष 30 ज़िलों में केरल के 7 ज़िले थे। ज्ञात हो कि केरल में 17 ज़िले हैं। यदि यह चिकित्सा योग्यता के साथ नर्सों और प्रसाविका के मामले में है तो फिर से सूची में केरल के ज़िले सबसे टॉप पर हैं। शीर्ष 17 ज़िलों की सूची में 10 ज़िले केरल के हैं। इनमें केरल का कोट्टयम ज़िला प्रति लाख 220.2 की संख्या के साथ सूची में सबसे ऊपर है।

इसके अलावा केरल यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंस (केयूएचएस) के तहत 220 निजी, स्व-वित्तपोषित और ग़ैर सहायता प्राप्त नर्सिंग कॉलेज हैं। प्रत्येक बैच में औसतन50 छात्र पढ़ते हैं और हर साल 11000 छात्र स्नातक करके जॉब तलाश रहे हैं। यह मामला राज्य के सिर्फ निजी, स्व-वित्पोषित तथा ग़ैर सहायता प्राप्त नर्सिंग कॉलेज के बीएससी नर्सिंग छात्रों का है। जब हम सामान्य नर्सिंग छात्र की बात करते हैं तो सरकारी कॉलेजों और संस्थानों के छात्र और केरल के बाहर पढ़ाई करने वाले छात्रों की संख्या काफी ज़्यादा होगी।

नर्सिंग क्षेत्र में काम करने वाले एक सरकारी अधिकारी के मुताबिक "नर्सिंग की पढ़ाई करने वाले लगभग 70 प्रतिशत छात्र बैंक के क़र्ज़ लेकर पढ़ाई कर रहे हैं। इसलिए वे उस पैसे चुकाने के लिए बाध्य हैं। इसके लिए निजी अस्पतालों से जो वेतन उन्हें मिलता है वह पर्याप्त नहीं होगा और इन छात्रों में से अधिकतर बेहतर वेतन के लिए विदेश जाने का विकल्प चुनते हैं।"

वायानाड ज़िले के मनाथडी के एक मध्यम वर्गीय परिवार की यूएई स्थित मलयाली नर्स प्रिया ने अपने बारे में बताया कि "मैंने बैंक से क़र्ज़ लेकर नर्सिंग की पढ़ाई की थी। राज्य के निजी अस्पताल से मुझे वेतन मिलता था वह इस क़र्ज़ को चुकाने के लिए पर्याप्त नहीं था। लेकिन मुझे इस क्षेत्र में विदेश जाने के लिए पर्याप्त अनुभव हासिल करने के लिए मजबूर होना पड़ा।"

यह न केवल प्रिया का अनुभव है बल्कि बहुत से लोगों को अनुभव हासिल करने के लिए बहुत कम वेतन पर काम करना पड़ता है। ज़्यादातर छात्र अपने परिवार के बेहतर भरण पोषण के लिए विदेश जाने की कोशिश करते हैं। ये छात्र विशेषकर खाड़ी देशों, पश्चिमी यूरोपियन देशों और उत्तरी अमेरिकी देश जाने की कोशिश करते हैं।

अरुणजीत ने केरल के वाम मोर्चे वाली सरकार से उम्मीद जताते हुए कहा कि "निजी अस्पताल प्रबंधन के अटल रवैये को नज़रअंदाज़ करते हुए अगर नए वेतन संशोधन प्रस्ताव को लागू किया जाता है तो संघर्षरत वर्ग के लिए बड़ी जीत साबित होगी।"

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