तमिलनाडु: विकलांगता से ग्रस्त लोगों की केन्द्र से 'विशेष ट्रेनों' के दर्जे को ख़त्म करने और रियायतें बहाल करने की मांग

तमिलनाडु एसोसिएशन फ़ॉर राइट्स ऑफ़ ऑल टाइप्स ऑफ़ डिफ़रेंटली-एबल्ड एंड केयरगिवर्स (TARATDAC) ने 11 अगस्त को राज्य भर में विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें मांग की गयी कि रेलवे सभी ट्रेनों में विकलांगता से ग्रस्त लोगों को मिलने वाली रियायतों को बहाल करे।
इस संगठन की मांगों में यह मांग भी थी कि भारतीय रेलवे और भारत सरकार ट्रेनों के मूल नामों को बहाल करे और कोविड-19 महामारी के बाद शुरू की गयी ट्रेनों के विशेष दर्जे को छोड़े।
विकलांगता से ग्रस्त 8,000 से ज़्यादा लोगों ने अपने अधिकारों को बहाल करने की मांग को लेकर राज्य और केन्द्र के 72 दफ़्तरों के सामने विरोध प्रदर्शन किया। संगठन ने रेलवे पर अपने स्टेशनों पर आवश्यक सुविधाओं के काम नहीं करने के कारण विकलांगता से ग्रस्त लोगों की गिरती मुक्त आवाजाही का भी आरोप लगाया। प्रदर्शनकारियों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की उन नीतियों की भी आलोचना की, जिनके कारण रेलवे का निजीकरण हुआ है और ईंधन की क़ीमतों में बढ़ोतरी हुई है।
'ट्रेनों के विशेष दर्जे को हटायें'
महामारी की पहली लहर के बाद अनलॉक प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही भारतीय रेलवे अपनी ज़्यादातर नियमित ट्रेनों को 'विशेष' श्रेणी के तहत चला रहा है। कई एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेनों और मिलने वाली रियायतों पर रोक लगा दी गयी है। टीएआरएटीडीएसी के राज्य महासचिव एस नंबुराजन हैरत भरा सवाल करते हैं, "हमें समझ नहीं आता कि आख़िर इन ट्रेनों में क्या ख़ास है।"
वह आगे कहते हैं, "ज़्यादातर ट्रेनों को विशेष ट्रेनों के रूप में चलाया जा रहा है, जबकि कुछ को सुपर-स्पेशल कहा जा रहा है। वरिष्ठ नागरिकों और विकलांगता से ग्रस्त लोगों के लिए कोई रियायत नहीं है, उनके पास पूरा किराया देने के अलावा कोई चारा नहीं है। यह रक़म विकलांगता से ग्रस्त लोगों की मुक्त आवाजाही को कम कर देती है।"
नंबुराजन अन्य सुविधाओं में हुए बदलाव पर टिप्पणी करते हुए कहते हैं कि विकलांगता से ग्रस्त लोगों के लिए निर्धारित कोचों को या तो हटा दिया गया है या बंद कर दिया गया है।
नंबुराजन बताते हैं, “विकलांगता से ग्रस्त सभी लोग सामान्य कोच में नहीं चढ़ सकते हैं। कहीं आने-जाने की उनकी सीमाओं को देखते हुए विकलांगता से ग्रस्त लोगों की परेशानियां बहुत ज़्यादा हैं। रेलवे को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह जल्द से जल्द विशेष डिब्बें चलाये।”
'सरकार विकलांगता से ग्रस्त लोगों को छल रही है'
संगठन का आरोप है कि स्टेशनों पर एस्केलेटर, लिफ़्ट, इलेक्ट्रिक कार और व्हीलचेयर जैसी बुनियादी सुविधाओं से उन्हें वंचित किया जा रहा है। नंबूराजन बताते हैं, "ज़्यादातर रेलवे स्टेशनों पर इन सभी सुविधाओं को लेकर जो नोटिस चस्पा किया गया है, उसमें लिखा है 'ये सुविधायें सेवा में नहीं है'। ऐसे में भारत सरकार का यह फ़र्ज़ बनता है कि वह यह सुनिश्चित करे कि विकलांगता से ग्रस्त लोगों के लिए इन सुविधाओं को बहाल करे और अंतर्राष्ट्रीय संधियों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करे।”
टीएआरएटीडीएसी ने भारत सरकार की उस प्रतिबद्धता का हवाला देते हुए याद दिलाया कि इसने 2016 में यूनाइटेड नेशन्स कन्वेंशन ऑन राइट्स पर्सन्स विद डिजऐबिलिटीज़ (CRPD) और राइट ऑफ़ पर्सन्स विद डिज़ऐबिलिटीज़ (RPWD) अधिनियम पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन में हस्ताक्षर किये थे और इनकी पुष्टि की थी, जिसका मक़सद विकलांगता से ग्रस्त लोगों के अधिकारों को पूरा करना था।
नंबूराजन बताते हैं, “दक्षिणी रेलवे के तहत एक भी ऐसा रेलवे स्टेशन नहीं है, जिसे विकलांगता से ग्रस्त लोगों के लिए मॉडल स्टेशन के रूप में बताया जा सके। विकलांगता से ग्रस्त लोगों को बड़े-बड़े स्टेशनों पर पार्किंग सुविधाओं से लेकर मुफ़्त शौचालयों की उपलब्धता तक की कमी जैसे बेशुमार अनकही परेशानियों का सामना करना पड़ता है।” प्लेटफ़ॉर्म टिकट शुल्क में की गयी बढ़ोतरी की भी आलोचना इसलिए की जा रही है क्योंकि अकेले सफ़र करने वाले इन लोगों को ट्रेन में चढ़ने के लिए किसी दूसरे शख़्स की मदद की ज़रूरत पड़ती है।
'ईंधन के लिए सब्सिडी का ऐलान करे'
विकलांगता से ग्रस्त लोगों के अधिकारों को बहाल करने के अलावा, एसोसिएशन सब्सिडी वाले ईंधन की भी मांग भी कर रहा है।
नंबुराजन का कहना है, “केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी और चंडीगढ़ विकलांगता से ग्रस्त लोगों के लिए 50 प्रतिशत लागत पर 25 लीटर पेट्रोल सुनिश्चित कर रहे हैं। इसे पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए।"
टीएआरएटीडीएसी ने इस मांग के पीछे की वजह बताते हुए कहा कि दरअस्ल एक तरफ़ जहां विकलांगता से ग्रस्त लोगों की आय में कमी आयी है, वहीं पेट्रोल की क़ीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है।
नंबूराजन बताते हैं, “विकलांगता से ग्रस्त बहुत सारे लोग पूरी तरह से पेंशन और सरकार से मिलने वाली सहायता पर निर्भर हैं। उस आय के सहारे एक जगह से दूसरी जगह का सफ़र कर पाना मुश्किल होता है। इस तरह की सब्सिडी से ये विभिन्न सुविधायें हासिल कर पायेंगे और इससे उनकी आवाजाही निर्बाध हो सकेगी।”
अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें
TN: Drop 'Special Trains' Status And Restore Concessions, Differently-Abled Demand Centre
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