प. बंगाल के जूनियर डॉक्टरों के समर्थन में देशभर में डॉक्टरों ने किया काम का बहिष्कार

पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के समर्थन में शुक्रवार को लगभग पूरे देश के डॉक्टरों ने अपनी एकजुटता दिखाई। उधर, अदालत ने इस हड़ताल पर अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने भी मुख्यमंत्री को इस संवेदनशील मामले को प्रतिष्ठा का मुद्दा नहीं बनाने और सौहार्द्रपूर्ण तरीके से आंदोलन खत्म कराने का अनुरोध किया।
इसी के साथ हड़ताली डॉक्टरों ने आंदोलन वापस लेने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा बिना शर्त माफी मांगे जाने के अलावा छह और शर्तें रखी हैं।
शुक्रवार को पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल का चौथा दिन था। हड़ताल के कारण सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों तथा कई निजी अस्पतालों में नियमित सेवा प्रभावित हो रही है।
हालांकि, यहां नील रतन सरकार (एनआरएस) मेडिकल कॉलेज और अस्पताल सहित एक या दो अस्पतालों में आपात सेवा शुक्रवार सुबह में उपलब्ध रही।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा फिर से सेवा शुरू नहीं करने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दिये जाने के बावजूद जूनियर डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल जारी रखी है।
सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों तथा कई निजी मेडिकल संस्थानों में ओपीडी और अन्य विभागों में सेवाएं पूरी तरह बाधित है।
एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक मरीज की मौत के बाद जूनियर डॉक्टरों के दो सहयोगियों पर कथित रूप से हमला करने और उनके गंभीर रूप से घायल होने के बाद वे मंगलवार से सरकारी अस्पतालों में खुद की सुरक्षा की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।
(फोटो साभार : Hindustan Times)
जूनियर डॉक्टरों के संयुक्त फोरम के प्रवक्ता डॉक्टर अरिंदम दत्ता ने पीटीआई-भाषा को बताया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा।
दत्ता ने बताया, ‘‘मुख्यमंत्री ने जिस तरीके से जूनियर डॉक्टरों को धमकी दी है वह अप्रत्याशित है... यह हमारे समुदाय का अपमान है। हम इसकी भी निंदा करते हैं... उन्होंने कल जो कहा इसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए।’’
उन्होंने बताया, ‘‘हम बाहरी नहीं हैं और यह आंदोलन स्वत: स्फूर्त है... हम सामूहिक त्यागपत्र पर विचार कर रहे हैं।’’
राज्य के कई हिस्सों में चिकित्सा सेवाओं के बाधित होने के मद्देनजर बृहस्पतिवार को राजकीय एसएसकेएम अस्पताल का दौरा करने वाली बनर्जी ने डॉक्टरों को चेतावनी दी थी कि अगर वे काम पर नहीं आएंगे तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि आंदोलनकारी एसएसकेएम अस्पताल के डॉक्टरों के बीच मौजूद ‘बाहरी लोगों’ ने उन्हें ‘गाली’ दी।
वरिष्ठ डॉक्टरों ने अपने जूनियर सहयोगियों के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी मांग काफी न्यायसंगत है।
इस बीच, एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रिंसिपल और मेडिकल सुपरिटेंडेंट ने बृहस्पतिवार रात को अपना इस्तीफा सौंप दिया।
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर सैबल मुखर्जी और मेडिकल सुपरिंटेंडेंट सह उप-प्राचार्य प्रोफेसर सौरभ चट्टोपाध्याय ने मेडिकल संस्थान में संकट को दूर करने में विफल रहने के लिए चिकित्सा शिक्षा निदेशक (डीएमई) को अपना इस्तीफा सौंप दिया।
राज्य के डीएमई प्रोफेसर डॉ. प्रदीप कुमार डे ने बृहस्पतिवार रात को सभी मेडिकल कॉलेजों के प्रिंसिपलों और निदेशकों को निर्देश जारी किया था कि वे रोगी और आपातकालीन विभागों में तुरंत सामान्य सेवाओं की बहाली सुनिश्चित करें।
राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने बृहस्पतिवार को जूनियर डॉक्टरों से अपने कर्तव्यों का पालन करने की अपील की थी।
डॉक्टरों की एक टीम ने बृहस्पतिवार को राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात की और एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में दम तोड़ने वाले एक मरीज के परिजनों द्वारा कथित तौर पर डॉक्टरों पर किए गए हमले के बारे में उन्हें अवगत कराया।
अधिकारियों ने बताया कि जूनियर डॉक्टरों की ओर से राज्यपाल को सौंपे गए एक ज्ञापन को उपयुक्त कार्रवाई के लिए राज्य सरकार को भेजा जा रहा है।
कई विशिष्ट जन भी आंदोलन के साथ
आंदोलनकारी डॉक्टरों के समर्थन में शुक्रवार को शहर के कई प्रबुद्ध लोग भी आ गए और उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से गतिरोध का समाधान निकालने का अनुरोध किया।
फिल्मकार अपर्णा सेन, कलाकार कौशिक सेन, संगीतकार देवज्योति मिश्रा समेत कई वरिष्ठ चिकित्सक हड़ताली डॉक्टरों से मिलने एनआरएस मेडिकल कॉलेज अस्पताल गए।
अदालत ने चिकित्सकों की हड़ताल पर अंतरिम आदेश देने से किया इनकार
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कनिष्ठ चिकित्सकों की हड़ताल पर कोई अंतरिम आदेश देने से शुक्रवार को इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश टीबीएन राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति सुव्रा घोष की खंडपीठ ने राज्य सरकार से कहा कि वह हड़ताल कर रहे चिकित्सकों को काम पर लौटने और मरीजों को सामान्य सेवाएं देने के लिए राजी करे।
अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार को यह भी निर्देश दिया कि वह सोमवार रात को अस्पताल में कनिष्ठ चिकित्सकों पर हमले के बाद उठाए गए कदमों के बारे में उसे बताए।
जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने हड़ताल कर रहे चिकित्सकों को याद दिलाया कि उन्होंने सभी मरीजों की भलाई सुनिश्चित करने की शपथ ली थी।
पीठ ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 21 जून की तिथि तय की है।
(फोटो साभार : BBC)
दिल्ली ने भी साथ दिया
दिल्ली में कुछ सरकारी एवं निजी अस्पतालों के कई डॉक्टरों ने कोलकाता में आंदोलनरत चिकित्सकों के प्रति एकजुटता जताने के लिए शुक्रवार को काम का बहिष्कार करते हुये नारेबाजी की और मार्च निकाला।
डॉक्टरों के एक समूह ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन से मुलाकात करके कहा कि अस्पतालों में मारपीट की हालत में डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिये। वर्धन ने उन्हें भरोसा दिलाया कि वे उनकी मांग पर विचार करेंगे।
रेजिडेंट चिकित्सक संघ (आरडीए) के बैनर तले चिकित्सकों ने अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान (एम्स) परिसर में मार्च निकाला। कई चिकित्सकों ने विरोध में सिर पर पट्टियां बांधीं या हेलमेट लगाए।
केंद्र सरकार के तहत आने वाले सफदरजंग अस्पताल अैर लेडी हार्डिंग मेडीकल कॉलेज एवं अस्पताल के चिकित्सक भी इसमें शामिल हुये। इसके अलावा लोकनायक जयप्रकाश (एलएनजेपी)अस्पताल, डॉ. बीआर आम्बेडकर मेडीकल कॉलेज एवं अस्पताल, डीडीयू अस्पताल, संजय गांधी मैमोरियल अस्पताल, इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यमून बिहैवियर एडं एलायड साइंस और निजी अस्पताल सर गंगा राम अस्पताल के डॉक्टरों ने भी इसमें हिस्सा लिया।
इस सिलसिले में इंडियन मेडिकल ऐसोसिएशन (आईएमए) ने सभी राज्यों की अपनी शाखाओं को निर्देश दिया था कि वे विरोध प्रदर्शन का आयोजन करें और काले बैज लगाएं। आईएमए ने कहा था कि जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष शुक्रवार दस बजे से दोपहर तक विरोध प्रदर्शन आयोजित किए जाएं और जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपा जाए।
आईएमए प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री से अपील करेगी कि डाक्टरों के प्रति हिंसा को रोकने के लिए केंद्रीय स्तर पर कानून बनाया जाए।
कोलकाता के अस्पताल में हिंसा पर दिल्ली में चिकित्सकों ने किया विरोध प्रदर्शन
यूपी में डॉक्टरों ने काले फीते बांधे
उत्तर प्रदेश में सरकारी डॉक्टरों ने शुक्रवार को विरोधस्वरूप काले फीते बांधकर काम किया। प्रोविंशियल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन, यूपी के महासचिव डॉ. अमित सिंह ने बताया कि सरकारी डॉक्टरों ने कामकाज करते समय काले फीते बांधे। दोपहर में डॉक्टरों के एक प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी के जरिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में डॉक्टरों के लिए सुरक्षा की मांग की गयी है।
सिंह ने बताया कि पीएमएस एसोसिएशन से जुडे़ 18, 700 से अधिक डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शन किया ।
छत्तीसगढ़ में डाक्टरों का प्रदर्शन
छत्तीसगढ़ के अनेक जिलों में जूनियर डॉक्टरों ने शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन किया। रायपुर के डॉक्टर भीमराव अंबेडकर अस्पताल के जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष भगवती चंद्र वर्मा ने पीटीआई-भाषा को बताया कि कोलकाता में चिकित्सकों के साथ मारपीट के विरोध में तथा अपनी मांगों को लेकर जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के सदस्यों ने आज प्रदर्शन किया।
राज्य के अंबिकापुर और राजनांदगांव स्थित मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों ने भी विरोध प्रदर्शन किया।
राजस्थान: चिकित्सकों ने हेलमेट लगाकर रोगियों को देखा
भारतीय चिकित्सा परिषद (आईएमए) के आह्वान पर राजस्थान में चिकित्सकों ने शुक्रवार को सांकेतिक विरोध प्रदर्शन में भाग लिया। अनेक जगह पर चिकित्सकों ने काली पट्टी लगाकर व काले हेलमेट पहनकर रोगियों को देखा।
आईएमए, राजस्थान के महासचिव वीके जैन ने कहा कि राज्यभर के हजारों सरकारी व निजी चिकित्सक इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। राज्य में कई जगह चिकित्सकों ने दो घंटे ओपीडी का बहिष्कार भी किया।
केरल और हैदराबाद के कई सरकारी अस्पतालों में रेजिडेंट चिकित्सकों ने भी विरोध प्रदर्शन किया। महाराष्ट्र एसोसिशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (एमएआरडी) के चिकित्सकों ने 26 सरकारी अस्पतालों में एक साथ शुक्रवार को मरीजों को देखना बंद कर दिया।
केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने पत्र लिखा
ममता बनर्जी को एक पत्र में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने उनसे सौहार्द्रपूर्ण तरीके से प्रदर्शन खत्म कराने और डॉक्टरों के लिए काम-काज का सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराने का अनुरोध किया।
उन्होंने खासकर पश्चिम बंगाल के हड़ताली डॉक्टरों से सांकेतिक प्रदर्शन करने और काम पर लौटने की अपील की ताकि मरीजों को दिक्कतें नहीं हो।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘‘डॉक्टरों को दूसरे सामान्य या सांकेतिक तरीके से प्रदर्शन करना चाहिए। चिकित्सा पेशेवर होने के नाते अपने मरीजों की रक्षा करना उनका दायित्व है। हड़ताल प्रदर्शन का श्रेष्ठ तरीका नहीं है। मरीजों को त्वरित और आपात चिकित्सा सुविधा से वंचित नहीं करना चाहिए।’’
उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से अपील करते हुये कहा कि वह इस संवेदनशील मामले को ‘प्रतिष्ठा का मुद्दा’ न बनाएं।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
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