विकासशील देशों पर ग़ैरमुनासिब तरीक़े से चोट पहुंचाता नया वैश्विक कर समझौता

"ऐतिहासिक" और "खोखलापन" उस ऐतिहासिक वैश्विक कॉर्पोरेट कर समझौते के दो विरोधाभासी,मगर एक दूसरे से सबसे विपरीत छोर हैं, जिसे 8 अक्टूबर को लंबे और वार्ताओं से भरे कई सालों के बाद आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) की ओर से सामने रखा गया था।
पाकिस्तान, श्रीलंका, नाइजीरिया और केन्या को छोड़कर ओईसीडी/जी-20 आधार क्षरण और लाभ हस्तांतरण (Base Erosion and Profit Shifting) परियोजना वाले 140 देशों के इस समूह ने अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण से पैदा होने वाली टैक्स चुनौतियों का समाधान करने वाले द्वी आधारीय हल(Two-Pillar Solution) को लेकर वक्तव्य पर हस्ताक्षर कर दिये हैं,ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बहुराष्ट्रीय उद्यम अपने-अपने क्षेत्राधिकार में 15% कॉर्पोरेट कर का भुगतान करे।
15% कर की दर, जो कि बड़ी कंपनियों से 866 मिलियन डॉलर से ज़्यादा के वार्षिक राजस्व के साथ वसूल की जायेगी, भले ही वे इन देशों में भौतिक मौजूदगी के बिना अपने सामान और सेवाओं को बेच रहे हों,यह कर ज़्यादतर औद्योगिक देशों में लगाये गये औसत कर,यानी 23.5% से बहुत ही कम है।
वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 90% से ज़्यादा का प्रतिनिधित्व करते हुए बहुराष्ट्रीय कंपनियों (MNC) की ओर से या तो नाम मात्र या किसी तरह के कोई कॉर्पोरेट कर का भुगतान नहीं करने को लेकर पनामा, केमैन आइलैंड्स, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स और आयरलैंड जैसे कर के लिहाज़ से सुरक्षित स्थान के इस्तेमाल को ख़त्म करने और दुनिया भर के देशों को ऐसी तक़रीबन 100 बहुराष्ट्रीय कंपनियों की अर्जित 125 बिलियन डॉलर से ज़्यादा के मुनाफ़े का अलग-अलग तरीक़े से आवंटित किये जाने की उम्मीद है। इससे सालाना अतिरिक्त वैश्विक कर राजस्व में 150 बिलियन डॉलर के सृजित होने का अनुमान है।
'ऐतिहासिक' या 'ख़तरनाक़' जीत
इस समझौते की सराहना करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि "यह मज़बूत वैश्विक न्यूनतम कर आख़िरकार अमेरिकी श्रमिकों और करदाताओं के साथ-साथ दुनिया के बाक़ी हिस्सों के लिए भी एक समान स्तर का होगा।" अमेरिकी वित्तमंत्री जेनेट येलेन ने कहा कि पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था ने "कॉर्पोरेट कराधान पर इस प्रतिस्पर्धा को नीचे तक ख़त्म करने का फ़ैसला कर लिया है।"
ओईसीडी के महासचिव माथियस कॉर्नमैन ने कहा, "आज का यह समझौता हमारी अंतर्राष्ट्रीय कर व्यवस्था को बेहतर बनायेगा और बेहतर ढंग से काम करेगा" जबकि यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने इसे "ऐतिहासिक पल" बताया, क्योंकि "सभी कंपनियों को अब से अपने उचित हिस्से का भुगतान करना होगा।"
"पाखंडी", "बेशर्म" और "ख़तरनाक" क़रार दिया जाने के बाद इस समझौते की आलोचना होने लगी है। ऑक्सफ़ैम ने कहा कि यह कर समझौता, जिसे लेकर आरोप लगाया गया था कि बेहद कम कर लगाने वाले देशों ने ख़ुद ही इसे "तैयार" किया है,दरअस्ल "आयरलैंड जैसे देशों के कम कर मॉडल के सामने शर्मनाक और ख़तरनाक तरीक़े से हथियार डाल देने" जैसा था। ऑक्सफ़ैम की कर नीति प्रमुख सुज़ाना रुइज़ ने कहा कि यह टैक्स समझौता "बेहतरी के लिए बेहद कम कर लगाये वाले देशों की हैसियत को ख़त्म करने के लिए थी; मगर ऐसा कर पाने के बजाय, यह समझौते को उनकी ही ओर से तैयार किया गया।"
मसलन, आयरलैंड, जो पहले 12.5% कॉर्पोरेट टैक्स वसूलता था, तकनीकी दिग्गज कंपनियों-एप्पल और गूगल और सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी फ़ेसबुक को वहां अपना यूरोपीय मुख्यालय स्थापित करने के लिए प्रेरित करता था, वह आख़िरी समय में गुरुवार को समझौते में शामिल हो गया। "कम से कम 15%" की जगह "15%" किये जाने के उसके आग्रह पर इस समझौते के मूल स्वरूप को संशोधित करने के बाद डबलिन इसमें शामिल हो गया।
ब्रिटिश धर्मार्थ संगठन ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, यह समझौता,जिसमें "व्यावहारिक रूप से कोई ताक़त नहीं रह गयी है", असल में "निष्पक्षता का एक तरह से मज़ाक है, क्योंकि अस्पतालों और शिक्षकों और बेहतर नौकरियों के लिए बुरी तरह जूझ रहे और महामारी से तबाह विकासशील देशों के राजस्व की एक तरह से लूट है।"
इस समझौते के दो आधार
इस दो आधार वाले समझौते के मुताबिक़, 100 अरब डॉलर से ज़्यादा के मुनाफ़े पर कर अधिकार हर साल पहले आधार के तहत बाज़ार के क्षेत्राधिकार में फिर से आवंटित होने की उम्मीद है।
इस पहले आधार के मुताबिक़"इसके दायरे में आने वाली कंपनियां वे बहुराष्ट्रीय उद्यम (MNE) हैं, जिनका वैश्विक कारोबार 20 बिलियन यूरो से ऊपर है और कामायबी के साथ लागू किये जाने पर 10% से ज़्यादा की लाभप्रदता (यानी कर/राजस्व से होने वाले पूर्व लाभ) पर टर्नओवर सीमा को घटाकर आकस्मिक तौर पर 10 बिलियन यूरो कर दिया जायेगा। इस समझौते के लागू होने के सात साल बाद शुरू होने वाली प्रासंगिक समीक्षा वाली राशि A पर कर की निश्चितता और की जा रही समीक्षा शामिल है। इस समझौते से नवीकरण के प्रावधान के बिना प्राकृतिक संसाधनों का व्यापक निष्कर्षण और विनियमित वित्तीय सेवाओं को बाहर रखा जायेगा।
आधार एक के तहत, ऐसी कंपनियों के राजस्व के 10% से ज़्यादा मुनाफ़े के तौर पर परिभाषित अवशिष्ट मुनाफ़े का 20-30% बाज़ार क्षेत्राधिकारों को आवंटित किया जायेगा। बुनियादी तौर पर यह कर कंपनी के 10% से ज़्यादा के प्रोफ़िट मार्जिन पर लागू होगा। ओईसीडी के मुताबिक़, यह "डिजिटल कंपनियों सहित सबसे बड़े एमएनई के सिलसिले में देशों के बीच मुनाफ़े और कर अधिकारों का उचित वितरण को सुनिश्चित करेगा"।
इस समझौते का दूसरे आधार ने 866 मिलियन डॉलर या 750 मिलियन यूरो से ज़्यादा के वार्षिक राजस्व वाली कंपनियों पर 15% की वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर दर को शुरू कर दिया है, जिसमें कि कर प्रतिस्पर्धा को लेकर एक बहस का प्रावधान है।
ओईसीडी का दावा है कि यह समझौता “ज़रूरी सार्वजनिक सेवाओं, बुनियादी ढांचे में निवेश करते हुए अपने बजट और अपनी बैलेंस शीट को दुरुस्त करने के सिलसिले में ज़रूरी राजस्व जुटाने की आवश्यकता वाली सरकारों को बहुत ज़रूरी मदद पहुंचायेगा और कोविड से उबरने के बाद की ताकत और गुणवत्ता को अनुकूलित करने में मदद करने के लिहाज़ से ज़रूरी उपाय करेगा।"
हालांकि, 'करीने से तैयार की गयी' यह धारा ऐसे बहुराष्ट्रीय कंपनियों को बेहद कम करों के प्रावधान रखने वाले देशों में 15% से कम कर का भुगतान करने की अनुमति देता है, जहां उनके पास कई कर्मचारी और कारखाने, मशीनरी और अन्य उपकरण जैसी ठोस परिसंपत्तियां हैं। यह नियम "एक ऐसे सूत्रीय पदार्थ के लिए प्राधान करता है, जो मूर्त संपत्ति के वहन मूल्य के कम से कम 5% (पांच साल की संक्रमण अवधि में कम से कम, 7.5%) की आय की राशि को बाहर कर देगा।
यह धारा इस बात को सुनिश्चित करती है कि सिर्फ़ अमूर्त संपत्ति से अर्जित अतिरिक्त आय, जिसे आसानी से बेहद कम कर वाले देशों में स्थानांतरित किया जा सकता है, जो कि मूर्त संपत्ति नहीं है, उस पर कर लगाया जाता है।
ओईसीडी के टैक्स पॉलिसी एंड एडमिनिस्ट्रेटिव सेंटर के निदेशक पास्कल सेंट-अमन्स ने मई में कहा, “मुझे लगता है कि वैश्विक स्तर पर यह सोचना यथार्थवादी सोच नहीं है कि हम ऐसी किसी भी बारीक़ तैयारी के बिना आगे बढ़ सकते हैं, जो इन गतिविधियों, इस तरह की चीज़ों को स्वीकार कर पायेगा।” उन्होंने कहा कि ओईसीडी पहले से ही किसी न किसी रूप में यह चिह्नित करने के लिए काम कर रहा था कि कई देश अनुसंधान और विकास (R & D) को प्रोत्साहित करना चाहते हैं और इसे दूसरे आधार के उद्देश्य को हटाये बिना मान्यता दी जानी चाहिए।
इस धारा का फ़ायदा उठाते हुए ऐसी बहुराष्ट्रीय कंपनियां ज़्यादा कर्मचारियों को काम पर रखने और अपनी मूर्त संपत्ति में बढ़ोत्तरी करते हुए अपतटीय क्षेत्राधिकार में 15% कर का भुगतान करने से बच सकती हैं। आरएंडडी के नाम पर अतिरिक्त कर्मचारियों को काम पर रखा जा सकता है और ज़्यादा से ज़्यादा मूर्त संपत्ति अर्जित की जा सकती है, जिससे कर प्रतिशत कम हो जायेगा। संक्षेप में कहा जाये, तो कंपनियां 15% टैक्स देने से बचने के लिए नये तरीक़े ईजाद कर सकती हैं।
जुलाई में ऑक्सफ़ैम कर नीति के प्रमुख क्रिश्चियन हॉलम ने सीएनबीसी को बताया कि ओईसीडी उन दूसरे तरह के बेहद कम कर वाले देशों में गतिविधियों को बढ़ा सकता है,जिसमें कंपनियां 15% से कम कर का भुगतान करती हों। “मुझे लगता है कि न्यूनतम कर पर जिस बात को समझना अहम है, वह यह है कि 15% कॉर्पोरेट टैक्स ही हर जगह लागू नहीं होगा। इसके अपवाद भी हैं।" हॉलम के मुताबिक़,इस धारा के परिणामस्वरूप नये तरह की टैक्स प्लानिंग होगी और "कर प्रतिस्पर्धा को 15% से नीचे जारी रखने की अनुमति होगी। "कॉर्पोरेट आयकर पर 15% के स्तर से मुनाफ़े को स्थानांतरित करने के लिए मूल मांग को हटाया नहीं गया है।"
इसके अलावा, यह समझौता 2023 में लागू होगा और वह भी 10 साल की छूट अवधि के साथ लागू होगा। रुइज़ ने कहा, "आख़िरी समय में 10 साल की एक विशाल छूट अवधि को 15% के वैश्विक कॉर्पोरेट टैक्स पर लगाया गया था और अतिरिक्त कमियों की वजह से व्यावहारिक रूप से इसमें किसी तरह की अपनी ताक़त नहीं रहने देती।"
ऑक्सफ़ैम का आकलन है, जैसा कि ओईसीडी की तरफ़ से दावा किया गया है कि यह समझौता 100 बहुराष्ट्रीय कंपनियों को प्रभावित करेगा,लेकिन ऐसा नहीं है,इससे महज़ 69 बहुराष्ट्रीय कंपनियां ही प्रभावित होंगी। "ये इस तरह की खामियां अमेज़ॉन जैसी कंपनियों और लंदन शहर जैसे 'अपतटीय' गोपनीयता क्षेत्राधिकार वाले शहर को इसकी पकड़ से से दूर कर सकती हैं। नवीकरण के प्रावधान के बिना प्राकृतिक संसाधनों का व्यापक निष्कर्षण और विनियमित वित्तीय सेवाओं को इस समझौते से बाहर रखा गया है।”
रुइज़ का कहना है, “इस समझौते को 'ऐतिहासिक' कहना तो एक तरह का पाखंड है और यहां तक कि छोटी से छोटी जांच-पड़ताल करने पर ही यह नहीं टिक पाता है। यह टैक्स वाला शैतान ऊपर से नीचे तक फैला हुआ है, जिसमें छूट का एक ऐसा जटिल जाल बुना गया है, जो अमेज़ॅन जैसे बड़े कसूरवारों को इसकी पकड़ से बाहर कर सकता है।”
यूरोपीय नेटवर्क फ़ॉर इकोनॉमिक एंड फ़िस्कल पॉलिसी रिसर्च, इकोनपोल की तरफ़ से जारी एक रिपोर्ट के लेखकों में से एक माइकल डेवरेक्स ने जुलाई में बताया था कि कम से कम प्रभावित होने वाली यूरोपीय कंपनियों की संख्या 37 है। उन्होंने लिखा, "तक़रीबन 64% पहले आधार वाले कर का श्रेय यूएस-मुख्यालय वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों को दिया जायेगा,इससे महज़ 37 यूरोपीय कंपनियों के ही प्रभावित होने की संभावना है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए राजस्व सीमा को 20 अरब डॉलर से घटाकर 750 मिलियन यूरो करने से प्रभावित कंपनियों की संख्या 13 हो जायेगी।
विकासशील देशों पर सबसे ज़्यादा असर पड़ेगा
बड़ी कंपनियां,जिनका मुख्यालय ज़्यादातर अमेरिका, फ़्रांस और जर्मनी में है, वे कम कर वसूल करने वाले देशों को भारी मुनाफ़ा देती हैं। फ़्रांस की आधिकारिक आर्थिक विश्लेषण परिषद के मुताबिक़, फ़्रांसीसी कंपनियां 34 बिलियन यूरो, जर्मन 46 बिलियन यूरो और अमेरिकी 95 बिलियन यूरो स्थानांतरित करती हैं।
नयी कर दर फ़्रांस, जर्मनी और अमेरिका में से प्रत्येक देश के लिए 6 बिलियन यूरो से लेकर 15 बिलियन यूरो तक कॉर्पोरेट कर राजस्व बढ़ा सकती है। दूसरी ओर, अगर नाजीरिया ने इस सौदे पर हस्ताक्षर किया होता,तो नाइजीरिया को अतिरिक्त धन के रूप में अपने सकल घरेलू उत्पाद का महज़ 0.02% ही हर साल मिल रहा होता।
इकॉनपोल का कहना था कि 87 बिलियन डॉलर के कुल आवंटन में से लगभग 45% (39 बिलियन डॉलर) एप्पल,माइक्रोसॉफ़्ट,अल्फ़ाबेट,इंटेल जैसी प्रौद्योगिकी कंपनियों की तरफ़ से सृजित किया जायेगा और फ़ेसबुक जैसी अमेरिकी टेक दिग्गज अकेले तक़रीबन 28 बिलियन डॉलर का उत्पादन करती है।
आयरलैंड की सरकारी निवेश एजेंसी आईडीए के प्रमुख मार्टिन शानहन के बयान में कहा गया है कि डबलिन "बड़े पैमाने पर समान क्षेत्राअधिकार वाली प्रतिस्पर्धा को जारी रखेगा" और बहुराष्ट्रीय कंपनियों की तरफ़ से छह आयरिश नौकरियों में से एक के लिए निवेश से पता चलता है कि यह समौझौता किस तरह मुश्किल से विकसित देशों को प्रभावित कर पायेगा। आयरलैंड हमेशा यह कहता रहा है कि उसकी कम कॉर्पोरेट कर दर निवेश को आकर्षित करने वाला कारक नहीं है।
मिसाल के तौर पर, ऑनलाइन गिफ़्ट मुहैया कराने वाला अमेरिकी प्लेट़ॉर्म सेंडोसो, जिसने हाल ही में आयरलैंड में एक यूरोपीय मुख्यालय स्थापित किया है, उसने कहा कि कम कर दर इस फ़ैसले की मुख्य वजह नहीं थी। आयरलैंड की राष्ट्रीय ट्रेजरी प्रबंधन एजेंसी के प्रमुख के मुताबिक़, डिजिटल भुगतान की दिग्गज कंपनी स्ट्राइप ने आयरलैंड में और ज़्यादा भाड़े पर रखने की योजना बनाते समय कभी भी कर की दर पर चर्चा ही नहीं की।
7 अक्टूबर को इंटरनेशनल कॉरपोरेट टैक्सेशन (ICRICT) के सुधार को लेकर स्थापित स्वतंत्र आयोग की ओर से आयोजित एक वर्चुअल बहस में इसके सदस्यों ने "देशों के बीच नुक़सानदेह कर प्रतियोगिता" को ख़त्म करने और "बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मुनाफ़े को टैक्स हैवन में स्थानांतरित करने के लिए प्रोत्साहन" को कम करने के लिए 25% वैश्विक कॉर्पोरेट कर दर का सुझाव दिया था।
इस समझौते की आलोचना करते हुए इंटरनेशनल कॉरपोरेट टैक्सेशन (ICRICT) ने कहा कि G-7 राष्ट्र वैश्विक आबादी का महज़ 10% है,लेकिन इसके बावजूद, नये कर समझौते से पैदा होने वाले अतिरिक्त राजस्व का सबसे ज़्यादा,यानी कि 60% उसे ही हासिल होगा। दूसरी तरफ़ ऑक्सफैम का कहना है कि 52 विकासशील देशों को अपने सामूहिक सकल घरेलू उत्पाद का मात्र 0.02% अतिरिक्त वार्षिक कर राजस्व में पहले आधार के तहत हासिल होगा।
जी-24 और वाद-विवाद में भाग लेने वाले देशों का भागीदार अर्जेंटीना के अर्थव्यवस्था मंत्री मार्टिन गुज़मैन ने कहा कि विकासशील देशों की स्थिति को दर्शाने वाले जी-24 सदस्यों के प्रस्तावों को अब तक व्यवस्थित रूप से बाहर रखा गया है। अगर विकासशील देशों की चिंताओं को पर्याप्त रूप से सम्बोधित नहीं किया जाता है और उनके लिए सार्थक राजस्व को सुनिश्चित नहीं किया जाता है, तो यह समझौता टिकाऊ नहीं हो सकता।
ऑक्सफैम का कहना है कि दुनिया की आबादी की महज़ 15% आबादी वाले देश 25% वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर दर "दुनिया के उन 38 सबसे ग़रीब देशों से तक़रीबन 17 बिलियन डॉलर ज़्यादा जुटाएगी, जहां दुनिया की आबादी का 38.6% लोग रहते है।" रुइज़ इसी बात को आगे बढ़ाते हुए कहती हैं,"जी -7 और यूरोपीय संघ इस नयी नक़दी का दो-तिहाई हिस्सा अपने घर ले जायेंगे, जबकि दुनिया की एक तिहाई से ज़्यादा आबादी वाले सबसे ग़रीब देश के हिस्से में इस नक़द का महज़ 3% से भी कम हिस्सा होगा।"
मार्च में वित्तीय पारदर्शिता, जवाबदेही और अखंडता (FACTI) पैनल का संयुक्त राष्ट्र पैनल ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि गोपनीयता क्षेत्राधिकार और बेहद कम टैक्स वाले देशों में अनुमानित निजी संपत्ति 7 ट्रिलियन डॉलर है और वैश्विक जीडीपी की 10% परिसंपत्तियां अपतटीय देशों में है। इसके अलावा, कॉर्पोरेट लाभ-स्थानांतरण जैसे अवैध वित्तीय प्रवाह से देशों को 500 बिलियन डॉलर से लेकर 650 बिलियन डॉलर तक की सालाना क़ीमन चुकानी होती है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में सालाना कर से बचने के चलते होने वाले नुक़सान की राशि 55 मिलियन है,जिस राशि से कम आय वाले रोगियों का अस्पताल में इलाज किया जा सकता है। वहीं चाड को सालाना 343 मिलियन डॉलर का कर राजस्व घाटा होता है,जिससे कि वहां 38,000 कक्षाओं का निर्माण किया जा सकता है।
20% -30% की एक नयी वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर दर का प्रस्ताव करते हुए वित्तीय पारदर्शिता, जवाबदेही और अखंडता (FACTI) ने कहा कि जहां कॉर्पोरेट अब भी "मुनाफ़े जैसी चीज़ों को दर्ज करने को लकर अन्य क्षेत्राधिकारों की तलाश करने के लिए आज़ाद होंगे, वहीं एक वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर यह सुनिश्चित करेगा कि यह इकाई अपनी वैश्विक आय पर न्यूनतम दर वाले कर के अधीन होगी, चाहे उसका मुख्यालय कहीं भी हो।"
रुइज़ ने कहा, “टैक्स हेवन के युग को ख़त्म करने को लेकर जिस समझौते को ऐतिहासिक बनाया जा सकता था, उसके बजाय यह समझौता तेज़ी से समृद्ध देशों को फ़ायदा पहुंचाने का ज़रिया बन रहा है।” इस समझौते की भयावहता को बताते हुए ऑक्सफ़ैम का कहना है कि जहां दुनिया का ज़्यादतर हिस्सा दुर्लभ वैक्सीनकी आपूर्ति और भूख की बिगड़ती स्थिति और ग़रीबी से जूझ रहा है, वहीं अमीर देश पाई-पाई करके एक बड़े हिस्से को हड़प रहे हैं।
(अनिंदो डे एक स्वतंत्र पत्रकार हैं। इनके व्यक्त विचार निजी हैं।)
अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें
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