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मुंबई पुल हादसा: आखिर कब तक होते रहेंगे ऐसे हादसे

मुंबई के अंधेरी स्टेशन के पास गोखले रोड स्थित ओवरब्रिज का एक हिस्सा सुबह तकरीबन 7:30 ढह गयाI इस हादसे में 5 लोग घायल हो गये।
अँधेरी ब्रिज

मुंबई के अंधेरी इलाके में आज सुबह प्रशासन की लापरवाही के कारण एक बड़ा हादसा हुआ।अंधेरी स्टेशन के पास गोखले रोड स्थित ओवरब्रिज का एक हिस्सा सुबह तकरीबन 7:30 ढेह गयाI यह ब्रिज अंधेरी ईस्ट को अंधेरी वेस्ट से जोड़ता है। इस हादसे में 5लोग घायल हुए हैं, जिनमें से दो लोग गंभीर रूप से घायल हैंI अन्य 4 पर मलवा गिरने से उन्हे गंभीर फ्रैक्चर हुए।

ब्रिज ढ़हने के कारण अंधेरी से विरार जाने वाली ट्रेनों के संचालन को बंद कर दिया गया।साथ ही अंधेरी से विले पार्ले जाने वाली सभी 4 लाइनें बंद कर दी गयीं। ब्रिज गिरने से मुंबई के मशहूर डब्बावालों का काम भी ठप हो गया।

ब्रिज के दूसरी तरफ ही दो स्कूल हैं और पास में ही रेलवे स्टेशन है। यही कारण है कि यह ब्रिज काफी इस्तेमाल में आता है, हालांकि क्योंकि ये हादसा काफी सुबह हुआ इसलिए ब्रिज पर अधिक संख्या में लोग नहीं थे।

यह पहला मौका नहीं है जब मुंबई में पुल ढ़हने के कारण लोगों की जान पर बन आई हो। इससे पहले भी  सितंबर 2017 में मुंबई के एलफिस्टन रोड और परेल उपनगरीय रेलवे स्टेशनों को जोड़ने वाले फुटओवर ब्रिज पर व्यस्त समय पर मची भगदड़ में 22 लोगों की मौत हो गई और 38 घायल हो गए थे। जिसके बाद ब्रिज की मरम्मत का ज़िम्मा सेना को सौंपा गया था।

मौजूदा हादसे पर रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर कहा है कि “आने वाले 6 महीने के दौरान रेल मंत्रालय और बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बी.एम.सी) आई.आई.टी (मुंबई) के विशेषज्ञों की देख-रेख में मुंबई के 445 पुलों की सुरक्षा जाँच करेगा।"

सितंबर 2017 कि  घटना के बाद भी रेल मंत्री ने मामले की जाँच के आदेश देते हुए भविष्य में ऐसी घटना न दोहराये इसके लिए उचित कदम उठाने का आश्वासन दिया था। मगर ताज़ा हादसा ये साफ कर देता है कि वे सारे दावे खोखले थे, और ज़मीन पर हालात जस के तस बने हुए है।

हादसे में  घायल 5 लोगों को रेल मंत्री ने 1 लाख रुपये का मुआवज़ा देने का एलान किया है और साथ ही  उनके इलाज का खर्च रेल मंत्रालय वहन करेगा।

आपको बता दें कि पुल के गिरने के समय मोटरमैन की सूझ-बूझ से बड़ी दुर्घटना टल गई थी। जिसके बाद रेल मंत्री पीयूष गोयल ने मोटरमैन का धन्यवाद देते हुए उन्हें पांच लाख रुपये का ईनाम देने का ऐलान किया है।

मुम्बई में 1980 के दशक से पहले तक 56 मिल हुआ करती थी। लेकिन इसे नेताओं, उद्योगपतियों व बिल्डर माफियाओं ने बर्बाद कर के रख दिया। यहां 1980 के बाद से मिलों को बंद करने व उसे उद्योगपतियों को बेचने का सिलसिला शुरू हो गया था और अब तक बदस्तूर जारी है। सरकार ने एक-एक कर के लगभग तमाम मिलों को बंद कर दिया और ज़मीनो को उद्योगपतियों के हाथों सौंप दिया। बिल्डर माफियाओं ने इस पर मॉल्स व बार व अन्य ऐशोआराम के साधन खोल दिये। इन जगहों में मॉल्स व बार के खुलने के बाद इन इलाकों में लोगों कि आवाजाही में भारी बढ़ोतरी होने लगी, लेकिन सरकार ने यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने के लिए उचित कदम नहीं उठाए रूप। काफी समय पहले के बने हुए पुल व ओवरब्रिज बढ़ी हुई भीड़ को संभाल नहीं पा रहें हैं जिसकी वजह से यहाँ आए-दिन हादसे होते रहते हैं।

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