मध्य प्रदेश चुनावः कांग्रेस और बीजेपी के बड़े वादे, लेकिन फंड है कहां?

भोपाल: कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले अपना-अपना घोषणापत्र जारी कर दिया है। इनमें मतदाताओं को बड़े सपने दिखाए गए हैं, लेकिन इन घोषणापत्रों में राजस्व उत्पादन मॉडल को लेकर एक भी लाइन नहीं लिखी गई है।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि दोनों दलों द्वारा किए गए वादों के आधे हिस्से का भी यदि क्रियान्वयन हो जाता है तो ये प्रदेश इस पृथ्वी पर स्वर्ग बन जाएगा, लेकिन आकलन करने पर पता चलता है कि ऐसा करने के लिए 1.4 लाख करोड़ रुपये से अधिक राशि की आवश्यकता होगी।
अब यहां लाखों डॉलर का सवाल है कि इसके लिए पैसे कहां से मिलेगा? जब राज्य पर पहले से ही 1.11 लाख करोड़ रुपये का क़र्ज़ है तो निर्वाचित सरकार इतने बड़े वादों को कैसे पूरा करेगी? ज़ाहिर है, अर्थशास्त्र को राजनीति ने मात दे दिया!
न्यूज़़क्लिक ने कांग्रेस और बीजेपी के घोषणापत्र के इस वित्तीय औचित्य पर एक विश्लेषण किया।
कांग्रेस का घोषणापत्र
कांग्रेस का घोषणापत्र 112 पृष्ठों का है जिसमें 973 वादे किए गए हैं और इसका नाम 'वचन पत्र' रखा गया है। इसमें कृषि ऋणमाफी के वादे के साथ डेयरी किसानों को बोनस के रूप में 5 रुपये प्रति लीटर, प्रमुख 17 फसलों पर बोनस, छोटे किसानों की बेटियों की शादी के लिए 51,000 रुपये देने का वादा किया गया है। अन्य वादों में बूढ़ी और बिना मालिक वाली गायों के लिए प्रत्येक पंचायत में एक गोशाला, प्राथमिक विद्यालयों से पीएचडी तक लड़कियों के लिए मुफ्त शिक्षा, 60 वर्ष से अधिक सभी छोटे किसानों, व्यापारियों, कलाकारों, लेखकों और श्रमिकों लिए 1000 मासिक पेंशन के साथ 450 वर्ग वर्ग की भूमि और इस पर घर बनाने के लिए 2.5 लाख रुपये देने की सुविधा शामिल है।
किसान: सबसे बड़ा वादा यह है कि यदि सरकार बन जाती है तो सभी किसानों के 2 लाख रुपये से नीचे वाले सभी ऋण का कृषि ऋण माफ होगा। कांग्रेस पार्टी के प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार कृषि ऋण योजना से 81 लाख किसानों को फायदा होगा जिससे 94,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसका मतलब है कि सरकार को अपना वादा पूरा करने के लिए उसके वार्षिक राजस्व के आधे से ज़्यादा की आवश्यकता होगी।
सभी पंचायतों में गोशाला: 23,006 पंचायतों में लगभग 3 लाख रुपये की लागत से एक गाय का शेड बनाने पर लागत 700 करोड़ रुपये होगा।
5 रुपए प्रति लीटर बोनस: साल 2017 की केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्य प्रदेश 13.5 ट्रिलियन मीट्रिक टन या 1304 करोड़ लीटर के कुल दुग्ध उत्पादन के साथ भारत का तीसरा सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक राज्य है। यद्यपि इस दुग्ध का एक बड़ा हिस्सा दुग्ध निगम को बेच दिया जाता है तो वार्षिक बोनस 6,520 करोड़ रुपये होगा।
1000 रुपये मासिक पेंशन: हाल के एमपी के सरकारी सर्वेक्षण में 1.87 करोड़ लोगों ने खुद को असंगठित क्षेत्र में झोंक दिया है। फिर केंद्र सरकार का आंकड़ा बताता है कि भारत की आबादी में 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की संख्या का प्रतिशत 8.6 है। वैसी स्थिति में लगभग 16 लाख मध्य प्रदेश के असंगठित श्रमिक भी वरिष्ठ होंगे। उन्हें हर महीने 1,000 रुपये का भुगतान करने से लगभग 2,000 करोड़ रुपए वार्षिक ख़र्च होगा।
बीजेपी का दृष्टि पत्र
बीजेपी ने 'समृद्ध मध्य प्रदेश दृष्टि पत्र' नामक 80 पृष्ठ वाले घोषणा पत्र को 17 नवंबर, 2018 को जारी किया है जिसमें महिलाओं के लिए एक अलग घोषणापत्र है।
इस घोषणापत्र में बीजेपी ने हर साल 40,000 करोड़ रुपये के फसल ऋण का वादा किया है साथ ही हर साल 17 लाख छोटे किसानों को 7,000 रुपये के बोनस, किसानों के लिए 500 करोड़ रुपये का विशेष फंड, किसानों की फसल के क़ीमत के स्थिरीकरण के लिए 2,000 रुपये, 100 करोड़ रुपये मध्यप्रदेश में कृषि स्टार्टअप और राज्य भर में 100 नए पशु चिकित्सा अस्पतालों के खोलने का वादा किया है।
इसके अलावा बीजेपी ने हर साल युवा उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए 1,000 करोड़ रुपये, प्रति माह विधवाओं को 1000 रुपये पेशन, आशा कार्यकर्ताओं को स्मार्टफोन, इंटरमीडिएट में 75 फीसदी अंक हासिल करने वाली छात्राओं को बिना गियर वाला स्कूटर, हर गांव में गोशाला, मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़कों का निर्माण करने के लिए 4,000 करोड़ रुपये, छोटे शहरों में बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए 2,500 करोड़ रुपये, शहरी क्षेत्रों को स्वच्छ पानी प्रदान करने के लिए 7,000 करोड़ रुपए और इस तरह का कई और वादा किए हैं।
किसान: बीजेपी के घोषणापत्र में कृषि क्षेत्र का बड़ा हिस्सा है। पार्टी ने 17 लाख किसानों को 7,000 रुपये का बोनस देने का वादा किया है जिससे 2,000 करोड़ रुपये का ख़र्च आएगा। इसके अलावा, बीजेपी ने फसल स्थिरीकरण, किसानों के लिए विशेष निधि और फसल ऋण सहित कृषि क्षेत्र पर 60,600 करोड़ रुपए खर्च करने का वादा किया है। इसका मतलब है अगर बीजेपी सत्ता में लौटती है तो उसने कृषि क्षेत्र पर अपना चौथाई फंड खर्च करने की योजना बनाई है।
अपने पिछले बजट में बीजेपी सरकार ने 2,04,642 करोड़ रुपये का बजट पेश किया और 37,000 करोड़ रुपये के कृषि बजट को मंज़ूरी दिया लेकिन इस बार पार्टी इस क्षेत्र में बड़ा हिस्सा देने की योजना बना रही है जैसा कि उसने अपने घोषणापत्र में उल्लेख किया है।
गोशाला और पशु चिकित्सा अस्पताल
पार्टी ने राज्य के हर गांव में 100 पशु चिकित्सा अस्पताल और गोशाला खोलने का वादा किया है। प्रत्येक पशु चिकित्सा अस्पताल खोलने की लागत लगभग 2 करोड़ रुपए और प्रत्येक गोशाला निर्माण की लागत लगभग 3 लाख रुपये होगी। पशु चिकित्सा अस्पताल के खोलने के लिए 200 करोड़ रुपए खर्च होंगे और 51,527 गांवों के लिए गोशाला की लागत 1,800 करोड़ रुपये होगी।
आशा कार्यकर्ताओं को स्मार्टफोन और छात्राओं को स्कूटी
राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक़ 65,000 आशा कार्यकर्ता हैं, और प्रत्येक आशा कार्यकर्ता को एक स्मार्टफोन की लागत 6,000 रुपये होगी जिसका मतलब है कि सरकार आशा कार्यकर्ताओं को स्मार्टफोन बांटने के लिए 3,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
इटरमीडिएट में 75 से अधिक अंक प्राप्त करने वाली छात्राओं को स्कूटी देने के बारे में बात की जाए तो मध्य प्रदेश बोर्ड ऑफ सेकेंड्री एग्जामिनेशन के अनुसार इंटरमीडिएट में 75 से अधिक अंक प्राप्त करने वाली छात्राओं की संख्या 30,000 से अधिक थी। और एक स्कूटी की लागत लगभग 60,000 रुपये है। इसका मतलब है कि सरकार 2,500 करोड़ रुपये की स्कूटी के लिए बांटेगी।
1000 रुपये मासिक पेंशन: राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक़ राज्य में लगभग 16 लाख विधवाएं हैं और हर महीने 1000 रुपये के भुगतान का मतलब सालाना 2000 करोड़ रुपये ख़र्च आएगा।
अन्य: इसके अलावा भगवा पार्टी ने शहरी क्षेत्रों के लिए सड़कों के रखरखाव, इंदौर, भोपाल में मेट्रो और छोटे शहरों में बुनियादी ढांचे का विकास करने और पेयजल पर21,695 करोड़ रुपए ख़र्च करने का वादा किया है।
वित्तीय विसंगति
1.4 लाख करोड़ रुपये के अनुमानों की तुलना करें जो कांग्रेस और बीजेपी सरकार को 2018-19 के लिए राज्य के वार्षिक बजट की वास्तविकता के विपरीत अपने-अपने वादों को पूरा करने की आवश्यकता होगी। कुल वार्षिक व्यय 2.4 लाख करोड़ रुपए था।
31 मार्च 2018 तक राज्य सरकार पर 1,87,637 करोड़ रुपये का कर्ज था। इसलिए राज्य के हर नागरिक का औसत ऋण 23,454 रुपए है। और उधर विधानसभा चुनाव की घोषणा से कुछ दिन पहले राज्य मंत्रिमंडल ने बाज़ार से 2,000 करोड़ रुपए का ऋण लेने के लिए एक बिल को मंज़ूरी दी है।
इस तरह आख़िरी सवाल यह है कि राज्य जो गहरे वित्तीय संकट में रहा है और उसके पास 1.13 लाख करोड़ रुपये (हाल में लिया गया ऋण सहित) का कर्ज़ है तो ऐसे में कैसे कोई जीती हुई पार्टी (चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस) वादों की इस लंबी सूची को पूरा करेगी? अगर वे किसी तरह ऐसा करने में कामयाब होते हैं तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि सरकार दिवालिया हो जाएगी।
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