केन्या: आंदोलनरत कार्यकर्ताओं ने महिला हत्या संकट की बढ़ती घटनाओं पर सरकार को आड़े हाथों लिया

10 दिसंबर को केन्या के नैरोबी में महिला हत्या के खिलाफ़ विशाल विरोध प्रदर्शन का दृश्य। फोटो: इनोसेंट ओनयांगो
10 दिसंबर को, अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर, महिलाओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने केन्या में महिलाओं की हत्या के मामलों में खतरनाक वृद्धि का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतर आए। 27 जनवरी को नैरोबी और अन्य शहरों में महिलाओं के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने की मांग को लेकर हजारों लोगों ने मार्च किया था, जिसके बाद यह इस साल का दूसरा ऐसा विरोध प्रदर्शन था। हाल ही में हुए विरोध प्रदर्शन, लैंगिक आधारित हिंसा (GBV) के खिलाफ 16 दिनों के सक्रिय अभियान के समापन के साथ हुए, जो महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए एक वैश्विक अभियान है।
इन प्रदर्शनों की तात्कालिकता, पुलिस उप-महानिरीक्षक (डीआईजी) एलिउड लैगट की एक भयावह रिपोर्ट से पता चलता है, जिसमें खुलासा किया गया है कि पिछले तीन महीनों में 97 महिला हत्या के मुक़दमे दर्ज किए गए हैं - यानी हर दिन लगभग एक महिला की हत्या की दर है। यह इस तथ्य से और भी जटिल हो जाता है कि अकेले जनवरी 2024 में कम से कम दस महिलाओं की हत्या की गई, जो एक गहराते संकट और एक चिंताजनक पैटर्न को दर्शाता है।
जनवरी में हुए विरोध प्रदर्शन, जो शांतिपूर्ण और निर्बाध थे, जागरूकता बढ़ाने और महिला हत्या के पीड़ितों के लिए न्याय की मांग करने के लिए किए गए थे। प्रदर्शनकारियों ने सरकार से महिला हत्या को राष्ट्रीय संकट के रूप में मान्यता देने और इस महामारी को समाप्त करने के लिए संसाधन आवंटित करने का आह्वान किया था। वादों के बावजूद, ठोस प्रगति नहीं हुई है। हाल ही में राष्ट्रपति विलियम रूटो ने सुरक्षित घर, सुरक्षित स्थान अभियान की घोषणा की, जिसे 100 मिलियन केश के बजट से समर्थन मिला, लेकिन अभी तक इसके स्पष्ट परिणाम सामने नहीं आए हैं।
हालांकि, 10 दिसंबर के विरोध प्रदर्शनों को अलग तरह से देखा गया। पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागकर शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को रोकने की कोशिश की और नैरोबी के सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट (CBD) में कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया। इन कार्रवाइयों की नागरिक समाज संगठनों ने व्यापक निंदा की, जिसमें केन्या मानवाधिकार आयोग, एमनेस्टी केन्या, लॉ सोसाइटी ऑफ केन्या, ह्यूमन इज माई आईडी अलायंस और एंड फेमिसाइड केई मूवमेंट शामिल हैं। एक संयुक्त बयान में, उन्होंने गिरफ्तारियों और हिंसक पुलिस प्रतिक्रिया की निंदा करते हुए इसे "केन्या के लोकतांत्रिक सिद्धांतों और उसके नागरिकों के मानवाधिकारों पर सीधा हमला" बताया है।
10 दिसंबर को केन्या के नैरोबी में महिला हत्या के खिलाफ़ विशाल विरोध प्रदर्शन का दृश्य। फोटो: इनोसेंट ओनयांगो
नारीवादी कार्यकर्ता और कायोले सामुदायिक न्याय केंद्र की समन्वयक फेथ ने स्थिति की गंभीरता पर जोर देते हुए कहा कि, "केन्या महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है," उन्होंने पीपल्स डिस्पैच को बताया, डेटा इशारा करते हैं कि 75 फीसदी महिला हत्या के मामले पति और प्रेमी जैसे अंतरंग साथी शामिल हैं। "महिलाएं अपने घरों में, सड़कों पर या कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं।" फेथ ने जून के उस भयानक मामलों का उल्लेख किया, जहां जंगलों और मुकुरु में एक खदान में महिलाओं के क्षत-विक्षत शव पाए गए थे। फेथ ने 42 महिलाओं की हत्या के आरोपी एक संदिग्ध को पकड़ने में सरकार की विफलता की भी निंदा की, जो बाद में हिरासत से भाग गया था। "कितने और मामले अनसुलझे या यहां तक कि अपंजीकृत रहे हैं?" वे व्यवस्थागत उपेक्षा और असफलता की ओर इशारा करते हुए उक्त सवाल पूछती हैं।
विरोध प्रदर्शनों ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा को सामान्य बनाने और निर्वाचित नेताओं की जवाबदेही की कमी की ओर भी इशारा किया। फेथ ने सरकार में महिला प्रतिनिधियों की चुप्पी की आलोचना की, प्रदर्शनकारियों के खिलाफ राज्य की हिंसा के सामने उनकी अनुपस्थिति को नोट किया गया। उन्होंने कहा कि, "राज्य न केवल महिलाओं बल्कि सभी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बहुत कम काम कर रहा है।" "सरकार की हिंसक प्रतिक्रिया से पता चलता है कि उसे इस बात का डर है कि यह बातचीत जवाबदेही के बड़े विमर्श में बदल जाएगी।"
विरोध प्रदर्शनों के दौरान, महिलाओं ने “महिलाओं की हत्या बंद करो” के नारे लगाए और “किसी भी तरह की हिंसा उचित नहीं है” और “महिलाओं से दूर रहो” जैसे संदेशों वाली तख्तियाँ थामे रहीं। अफ्रीका डेटा हब के अनुसार, 2016 से 2023 के बीच लिंग आधारित हिंसा के कारण कम से कम 500 केन्याई महिलाओं और लड़कियों की जान चली गई है।
केन्याई महिलाएँ तत्काल कार्रवाई की मांग कर रही हैं, जिसकी शुरुआत नीतिगत सुधारों और महिला हत्या तथा जी.बी.वी. से निपटने के लिए मज़बूत क्रियान्वयन से हो। इसमें महिला हत्या को राष्ट्रीय संकट के रूप में मान्यता देना, अपराधियों को जवाबदेह ठहराने के लिए कानून प्रवर्तन में सुधार करना, पीड़ितों की सुरक्षा सुनिश्चित करना, जी.बी.वी. के मूल कारणों को संबोधित करने के लिए सामुदायिक शिक्षा और हिंसा को बढ़ावा देने वाले पितृसत्तात्मक मानदंडों को खत्म करना, तथा पीड़ितों के लिए आश्रय, परामर्श और कानूनी सहायता के लिए धन में वृद्धि करना शामिल है।
महिला-हत्या को समाप्त करने की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है, लेकिन यह बढ़ता हुआ आंदोलन महिलाओं के लिए सुरक्षित केन्या की लड़ाई में सही दिशा में उठाया गया एक कदम है।
निकोलस म्वांगी केन्या में उकोम्बोज़ी लाइब्रेरी के सदस्य हैं।
सौजन्य: पीपल्स डिस्पैच
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