कश्मीर पर सरकार के फैसले के ख़िलाफ़ दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन

जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने संबंधी अनुच्छेद 370 समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने मोदी सरकार के फैसले के खिलाफ दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में लेफ्ट समेत दूसरे कई नागरिक संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया है।
दिल्ली में यह प्रदर्शन जंतर मंतर पर आयोजित किया गया। प्रदर्शन में सीताराम येचुरी, प्रकाश करात, डी. राजा, दीपांकर भट्टाचार्य समेत वाम दलों के वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। इस दौरान दूसरे तमाम नागरिक संगठनों से जुड़े लोग और बड़ी संख्या में छात्र भी मौजूद रहे।
इस दौरान वामदलों ने जम्मू कश्मीर से जुड़े संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाने के मोदी सरकार के फैसले को जनविरोधी बताते हुये कहा है कि सरकार के इस कदम से लोकतंत्र और संघीय ढांचे की हत्या हुयी है।
प्रदर्शन को संबोधित करते हुए भारत की कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी (सीपीआई-एम) नेता बृंदा करात ने कहा कि कश्मीर में जो हो रहा है वह सिर्फ संविधान से छेड़छाड़ ही नहीं बल्कि संविधान पर हमला किया जा रहा है।
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) महासचिव डी राजा ने कहा कि भाजपा सरकार देश को फासीवाद के दौर में लेकर चली गई है। लोकतांत्रिक मूल्यों की बात करना इस सरकार में बेमानी है।
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (सीपीआई-एमएल) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि जम्मू कश्मीर की जनता शुरू से ही सभी प्रकार की विषम परिस्थितियों के बावजूद भारत के साथ एकजुटता से खड़ी रही। जम्मू कश्मीर का इस प्रकार से बंटवारा करना वहां की जनता पर जालिमाना हमला है।
सीपीआई-एमएल की ही नेता कविता कृष्णन ने कहा, ‘मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 खत्म कर लोकतंत्र और संविधान पर कुठाराघात किया है। कश्मीर के लोगों ने इस विश्वास के साथ खुद को भारत के साथ हमेशा एकजुट रखा कि उनके राज्य को मिली स्वायत्तता और विशेष राज्य का दर्जा बरकरार रहेगा।'
इस दौरान मौजूद सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने कहा कि यह सरकार लगातार हमें अंधेरे की तरफ ढकेल रही है। एनआरसी, राम मंदिर, कश्मीर जैसे मुद्दों पर सरकार का कदम संघ की योजना के अनुसार उठाया जा रहा है। यह संविधान और गांधी जैसे दूसरे स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा दिखाए गए राह से बहुत दूर है।
आपको बता दें कि पहले जंतर मंतर से लेकर संसद मार्ग तक मार्च निकालने की योजना थी लेकिन पुलिस ने भीड़ को बैरिकेड लगाकर अलग अलग हिस्सों में रोक दिया।
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया है। सरकार ने सोमवार को राज्यसभा में एक संकल्प पेश किया, जिसमें अनुच्छेद 370 को हटाने के साथ ही राज्य का विभाजन जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख के दो केंद्र शासित क्षेत्रों के रूप में करने का प्रस्ताव किया गया। जम्मू कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र में अपनी विधायिका होगी, जबकि लद्दाख बिना विधानसभा वाला केंद्रशासित क्षेत्र होगा।
यह संकल्प गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य सभा में पेश किया, इसमें कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 370 के सभी खंड जम्मू कश्मीर में लागू नहीं होंगे। शाह ने कहा कि 1950 और 1960 के दशकों में तत्कालीन कांग्रेस सरकारों ने इसी तरीके से अनुच्छेद 370 में संशोधन किया था। हमने भी यही तरीका अपनाया है। शाह ने बताया कि राष्ट्रपति धारा 370 को खत्म करने वाले राजपत्र पर हस्ताक्षर कर चुके हैं।
मोदी सरकार के इस फैसले के विरोध में केरल, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, बंगाल समेत देश के दूसरे कई हिस्सों में प्रदर्शन आयोजित हुए हैं।
लखनऊ में बड़ा प्रदर्शन
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सोमवार को माकपा ने केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए पार्टी की पोलित ब्यूरो की वरिष्ठ सदस्य सुभाषनी अली ने कहा की केंद्र सरकार देश के संविधान को ख़त्म करना चाहती है। सरकार ने संवैधानिक मूल्यों को नज़र अन्दाज़ कर के कश्मीर में जनता के प्रतिनिधियों को गिरफ़्तार किया है। धारा 370 से कश्मीर और भारत के बीच मज़बूत रिश्ता बना हुआ था। इसके हटने से कश्मीर के हालत और ख़राब होंगे।
सुभाषनी अली ने सोनभद्र में हुए आदिवासियों के नरसंहार और उन्नाव रेप पीड़िता के ऐक्सिडेंट लिए प्रदेश की भाजपा सरकार को ज़िम्मेदार बताया है। उन्होंने कहा कि उन्नाव रेप केस में आरोपित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को योगी सरकार जेल में वीआईपी सुविधाएं दे रही है।
वहीं पार्टी नेता मुकुट सिंह ने कहा कि देश की राजधानी दिल्ली में संविधान को ख़त्म का आज पहला क़दम उठाया गया है। कश्मीर से धारा 370 और 35 (अ) को हटाकर मोदी सरकार ने लोकतंत्र के साथ धोखा किया है। डॉ आंबेडकर के लिखे संविधान में खिलाफ जा कर केंद्र सरकार ने कश्मीर राज्य को टुकड़ों में बांट दिया है।
इस विरोध प्रदर्शन में अकबरपुर, जौनपुर, कानपुर और उन्नाव आदि से भी प्रदर्शनकरी आए थे। प्रदर्शनकारी के हाथों में बैनर-पोस्ट लिए हुए थे जिन पर केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार के विरोध में नारे लिखे थे। प्रदर्शन में कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के साथ सोनभद्र में आदिवासियों के नरसंहार और लिंचिंग की घटनाओं का भी विरोध किया गया। इसके अलावा प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि सोनभद्र में भूमिगत दलितों को ज़मीन के पट्टे दिए जायें।
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