कोलकाता : टैक्सी चालकों की हड़ताल

आज सुबह कलकत्ता शहर में एक अलग तरह का नज़ारा था। आमतौर पर सुबह 11 बजे तक राज्य की 85% तक टैक्सी सड़कों पर उतर जाती हैं लेकिन एक अंदाज़े के मुताबिक़ आज यह संख्या केवल 35 से 40% थी। इसके कारण आम नागरिकों को दिक़्क़तों का समना करना पड़ा। साथ ही सड़कों पर गाड़ी की कमी के कारण ऐप आधारित टैक्सी की क़ीमतों में भी भारी वृद्धि देखी गई। लेकिन सवाल यह है कि इतनी बड़ी संख्या में गाड़ियाँ ग़ायब क्यों हैं?
कैब चालकों और पीली टैक्सी की हड़ताल
केंद्र सरकार के नए परिवहन नियम, किराये में वृद्धि, टैक्सी स्टैंड व आए दिन बढ़ रहे पुलिसिया अत्याचार के विरोध में आज यानी 6 अगस्त से वाम समर्थित श्रमिक संगठन सीटू के आह्वान पर ऐप कैब चालकों और पीली टैक्सी ने सेवा ठप कर विरोध प्रदर्शन किया। सीटू संचालित ओला-उबर ऐप कैब संचालक व ड्राइवर यूनियन के अध्यक्ष इंद्रजीत घोष ने कहा, "लगातार बढ़ रहे पुलिसिया अत्याचार से हम ख़ासा परेशान हैं, क्योंकि बिना कारण बताए जुर्माना और चालकों के आइडी रद्द किए जाने से हम टैक्सी चालकों के सामने रोज़ी रोटी का गंभीर संकट आ गया है।”
किराया वृद्धि समेत अन्य सात सूत्री मांगों को लेकर पश्चिम बंगाल टैक्सी वर्कर फ़ेडरेशन ने आज से 48 घंटे की टैक्सी हड़ताल का आह्वान किया है। इस हड़ताल में क़रीब 20 हज़ार से अधिक टैक्सी चालक शामिल हैं। वहीं मांग की गई है कि टैक्सी चालक की मृत्यु होने पर सरकार को उसके परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने के साथ ही त्वरित सहायता के रूप में उन्हें पांच लाख रुपये देने होंगे। इधर, वाम श्रमिक संगठन सीटू ने भी इनकी इस हड़ताल को नैतिक समर्थन दिया है।
कोलकाता महानगर में टैक्सी स्टैंड न होने के कारण चालकों को जहां-तहां टैक्सी खड़ी करनी पड़ती है। जिस कारण पुलिस टैक्सी चालकों पर जुर्माना लगाती है। टैक्सी यूनियनों ने यह भी कहा है कि मदन मित्रा के परिवहन मंत्री रहने के दौरान महानगर में 12 जगहों पर टैक्सी स्टैंड तैयार करने का आश्वासन दिया गया था। लेकिन अब तक कोई स्टैंड तैयार नहीं किया गया है। सरकार की तरफ़ से एक बार फिर टैक्सी स्टैंड तैयार करने का आश्वासन दिया गया है।
इसके साथ ही नए क़ानून के मुतबिक़ चार पहिया वाहन चलाने वाले चालक पहले प्रथम लाइसेंस प्राप्त करने के बाद तीन वर्ष बाद हेवी लाइसेंस को ले सकते थे, लेकिन अब इसकी समय सीमा को बढ़ा कर तीन वर्ष कर दिया गया है।
इसी के विरोध में वाम समर्थित श्रमिक संगठन सीटू के आह्वान पर मंगलवार को ऐप कैब चालकों ने सेवा ठप कर विरोध प्रदर्शन का निर्णय लिया है।
इस हड़ताल में हज़ारो की संख्या में ओला-उबर समेत अन्य ऐप आधारित कैब चालक शामिल हुए। ओला-उबर ऐप कैब संचालक व ड्राइवर यूनियन के अध्यक्ष इंद्रजीत घोष ने कहा कि पहले कैब कंपनियों से 25 फ़ीसद बतौर कमीशन मिला करता था, जिसे कम कर के 15 फ़ीसद कर दिया गया है। ऐसे में दोहरी मार झेल रहे वाहन मालिक व चालक इससे बहुत परेशान हैं।
उन्होंने कहा, "अगर चालक किसी प्रकार की ग़लती या दुर्व्यवहार करता है तो उसके ख़िलाफ़ एक्शन लिया जाता है, लेकिन कई बार परिस्थिति उलटी होती है और यात्री द्वारा दुर्व्यहार होता है लेकिन उस मामले में कुछ नहीं किया जाता। अधिकंश मामलों में कंपनियां चालक के ख़िलाफ़ एक्शन लेती हैं और इस दौरन चालक का पक्ष भी नहीं सुना जाता।
ओला उबर एप कैब ऑपरेटर्स एंड ड्राइवर्स यूनियन कहा कि हड़ताल के समर्थन में दोपहर दो बजे सीटू समर्थन टैक्सी संगठनों की ओर सियालदह से सियालदह ओसी ट्रेफ़िक गार्ड दफ्तर तक रैली निकाली जायेगी, जहां ओसी ट्रेफ़िक गार्ड को ज्ञापन सौंपा जायेगा।
मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक 2019 का विरोध क्यों ?
यूनियनों ने कहा है, "किराया व वेटिंग चार्ज में वृद्धि हमारी प्रमुख मांग है। यह बिल पूरी तरह से परिवहन श्रमिकों के ख़िलाफ़ है। पहले तो हमारे किराये में बढ़ोतरी नहीं की फिर नए परिवाहन क़ानूनों को पास कर मोदी और ममता सरकार ने हमारे घावों पर नमक रगड़ने का काम किया है।"
इससे पहले बीते एक व दो जुलाई को ऐप कैब मालिकों द्वारा बंद का आह्वान किया गया था।
मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक 2019, अगस्त की शुरुआत में संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया था। यूनियनों के अनुसार, यह नया संसोधित बिल परिवहन क्षेत्र में निजीकरण को बढ़ाएगा।
पश्चिम बंगाल सीटू के महासचिव अनादि साहू ने बिल में हाल ही में संशोधित भारी जुर्माने की आलोचना करते हुए कहा, "केवल टैक्सी चालकों को दंड क्यों?"
उनके अनुसार, बिल द्वारा यातायात दोषों या दुर्घटनाओं के लिए ड्राइवरों पर सारा दोष मढ़ दिया गया है। साहू ने कहा, "कोई भी चालक दुर्घटना में शामिल नहीं होना चाहता है, और दुर्घटनाएं न केवल ड्राइवर की लापरवाही के कारण होती हैं, बल्कि ख़राब सड़क की गुणवत्ता और यातायात रखरखाव की कमी के कारण भी होती हैं।"
इस तरह के जुर्माने में बढ़ोतरी होने के साथ ही ऐसा लगता है कि सरकार अपनी ज़िम्मेदारियों से ख़ुद को दूर करने की कोशिश कर रही है।
इन टैक्सी चालकों की दुर्दशा पर ध्यान देना भी महत्वपूर्ण है जो प्रति दिन 300 से 400 तक कमाते हैं और इसके लिए भी इन्हें पुलिस का उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।
कुछ टैक्सी ड्राइवरों के अनुसार, शहर में स्थिति इतनी ख़राब है कि राज्य सरकार के लिए राजस्व पैदा करने के लिए पुलिस टैक्सी ड्राइवरों को बिना किसी ग़लती के अपनी मर्ज़ी से रोककर दंडित करती है और जुर्मान वसूलती है। ये लगभग सभी महानगरों में एक सामान्य प्रथा है।
शहर में सड़कों की स्थिति और पार्किंग की कमी को देखते हुए यह कह पाना मुश्किल है कि भारी जुर्माना सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। हालांकि, यह निश्चित रूप से टैक्सी ड्राइवरों की लागत पर राज्य सरकार की जेब भर देगा, जो आमतौर पर आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों से आते हैं।
अंतिम बार 2018 में संशोधित किया गया, टैक्सी चालक पेट्रोल और डीज़ल और अन्य बुनियादी वस्तुओं की बढ़ी हुई दरों को शामिल करने के लिए किराया संरचनाओं में वृद्धि की मांग करते हैं।
स्थति इतनी गंभीर है की प्रति दिन 15-16 घंटे की ड्यूटी कर एक टैक्सी चालक अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए भी पर्याप्त संसाधन नहीं जुटा पाता है इसलिए टैक्सी चालक उम्मीद कर रहे हैं कि इस हड़ताल से केंद्र और राज्य सरकार दोनों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर पाएंगे।
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