Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

केंद्र ने की 10 लाख पेट्रोल पम्प कर्मचारियों के निजी डेटा की माँग

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना पूरी तरह नाकामियाब रही है, यही वजह है कि एनडीए ने एक नयी प्रक्रिया शुरू की है ,जिससे शायद लाभार्थियों की संख्या को बढ़ा चढ़ा के दिखाया जायेगा।
petrol

प्रधानमंत्री की कौशल विकास योजना के अंतर्गत केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री का देश भर के विभिन्न पेट्रोल पम्पों के 10 लाख कर्मचारियों का व्यक्तिगत डेटा  प्राप्त करने की कोशिश का कर्मचारी और मालिक दोनों विरोध कर रहे हैं। 
 
उनका विरोध कई वजहों से है इसमें निजता के मूलभूत अधिकारों के हनन और डराए धमकाये जाने के आरोप शामिल हैं।एनडीए सरकार की कौशल विकास योजना पूरी तरह से नाकामयाब रही है क्योंकि उसमें पिछले तीन सालों में सिर्फ 15 % लोगों की नौकरियाँ लगीं हैं (41.3 लाख लोगों को विभिन्न चीज़ों के लिए प्रशिक्षित किया गया था लेकिन उनमें से सिर्फ 6.15 लाख लोगों की नौकरियाँ मिली), शायद इसीलिए सरकार ने पहले से ही काम कर रहे लोगों को सर्टिफिकेट देने का कार्यक्रम शुरू किया है। 

21 अगस्त को एनडीटीवी ने एक खबर चलाई  कि सरकारी तेल कम्पनियाँ डीलरों को धमकी दे रहीं हैं कि अगर उन्होंने कर्मचारियों का डेटा नहीं दिया तो उनकी सप्लाई काट दी जाएगी। जाति , धर्म , बैंक अकाउंट नंबर , आधार नंबर और चुनाव क्षेत्र जैसी निजी जानकारियां प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत  रेकॉगनेशन ऑफ़ प्रायर लर्निंग (RPL) की स्कीम के तहत माँगी जा रही हैं। 

6 जून को हिंदुस्तान पेट्रोलियम लिमिटेड, इंडियन ऑइल कॉपोरेशन लिमिटेड और भारत पेट्रोलियम लिमिटेड जैसी तीन सरकारी कम्पनियों ने देश भर के 59,000 पेट्रोलियम और एलपीजी डीलरों को RPLस्कीम के तहत अपने कर्मचारियों का डेटा भेजने को कहा। डेटा भरने का फॉर्म पेट्रोलियम मंत्रालय की हाइड्रोकार्बन सेक्टर स्किल काउंसिल ने बनाया हैI

स्कीम के मुताबिक इस काम को पूरा करने के बाद उन्हें RPL का सर्टिफिकेट मिलेगा और सरकार उनके खाते में 500 रूपये डाल देगी। सरकार ने 2020 के अंत तक 40 लाख लोगों को इस स्कीम के अंतर्गत लाने का लक्ष्य रखा है। सर्टिफिकेट पर आधार कार्ड का नंबर कर्मचारी के नाम के साथ आएगा। PMKVY के सर्टिफिकेट के अनुसार कर्मचारी का ग्रेड भी इसपर लिखा जायेगा। 

लेकिन सरकार ने एक महत्वपूर्ण सवाल का जवाब नहीं दिया I क्या कर्मचारियों के सर्टिफिकेट के लिए आधार कार्ड नंबर , जाति और दूसरे विवरण ज़रूरी हैं ? अधिसूचना मिलने के कुछ ही दिनों बाद कंसोर्टियम ऑफ़ इंडियन पेट्रोलियम डीलर्स  (CIPD) ने सभी तेल कंपनियों को लिखा कि इस तरह निजी जानकारी देना मूलभूत अधिकारों का हनन है। यह निजी जानकारी मालिकों और कर्मचारियों के बीच ही रहनी चाहिए। CIPD के महासचिव  सुरेश कुमार ने एनडीटीवी को बताया कि 

सीपीडी के महासचिव के सुरेश कुमार ने एनडीटीवी को बताया कि "इस तरह की सूचना मालिकों और कर्मचारियों के बीच ही रहनी चाहिए। यह समझते हुए कि यह मामला गरिमा और गोपनीयता से सम्बंधित है , हमने तेल कंपनियों को लिखा है कि हम यह सूचना देने में रुचि नहीं रखते।"

जहाँ एक तरफ सरकार ने कहा था कि यह विवादास्पद स्कीम सिर्फ संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए है , यह अभी तक साफ़ नहीं हुआ है कि क्या इस तरह का कोई काम पेट्रोलियम के अलावा किसी और क्षेत्र में शुरू हुआ है। 
 

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest