आठ साल से जारी है किसानों का बांगड़-बिरला सीमेंट प्लांट के खिलाफ संघर्ष

29 अगस्त 2018 को राजस्थान के झुंझुनू जिले के नवलगढ़ शहर में भूमि अधिग्रहण विरोधी किसान संघर्ष समिति ने अपने धरने के आठ साल पूरे होने के अवसर पर इलाके में एक बड़ी रैली निकाली जिसका समापन नवलगढ़ तहसील के सामने एक विशाल जनसभा के रूप में किया गया। जनसभा में स्थानीय निवासियों समेत देश के प्रमुख जनांदोलनों के प्रतिनिधियों ने भागीदारी की।
गौरतलब है कि नवलगढ़ में पिछले सात सालों से सीमेंट प्लांट व खनन के विरोध में आंदोलन चल रहा है। 2007 में नवलगढ़ के 18 गांवों की 72 हजार बीघा जमीन को सीमेंट फैक्ट्री के लिए अधिग्रहित करने का नोटिस आया था। जमीन को रिको द्वारा अधिग्रहित किया जाना था। इस अधिग्रहण से न केवल इस इलाके 7000 परिवार तथा कृषि जो उनकी आजीविका का प्रमुख साधन प्रभावित हो रहा है। भूमि अधिग्रहण विरोधी किसान संघर्ष समिति के बैनर तले इस इलाके की आम जनता पिछले आठ सालों से अपने धरने को जारी रखे हुए है और हर साल इसका एक वर्ष पूरा होने पर एक विशाल रैली तथा जन सभा का आयोजन किया जाता है जिसमें न केवल राजस्थान अपितु देश के विभिन्न हिस्सों से जनसंघर्षों के प्रतिनिधि इस कार्यक्रम में शिरकत कर अपनी एकजुटता जाहिर करते हैं।
जन सभा में 9 राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया स्वराज अभियान से योगेन्द्र यादव, कल्याण आनंद, लोक शक्ती अभियान/ जन संघर्ष समन्वय समिति (सह सयोजक) ओडिसा, कुमार चन्द्र मार्डी सयोजक जन संघर्ष समन्वय समिति, झारखंड / विस्थापन विरोधी एकता मंच, राजेन्द्र मिश्रा गंगा एक्सप्रेस वे विरोधी आन्दोलन, उत्तर प्रदेश, राघवेन्द्र कुमार कृषी भूमि बचाओ मोर्चा उत्तर प्रदेश, दुलम सिंह सेज विरोधी आन्दोलन हिमाचल प्रदेश, प्रेम नाथ गुप्ता, गांव बचाओ आन्दोलन गजिपुर उत्तर प्रदेश, राजेंद्र शर्मा परमाणु प्लाण्ट विरोधी आन्दोलन हरियाणा और कैलाश मीणा ने अपनी बाते रखी तथा जनसभा के अंत में एसडीएम नवलगढ़ के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया गया;
प्रति, अगस्त 29, 2018
मुख्यमंत्री
राजस्थान सरकार
जयपुर (राजस्थान)
द्वारा- एस.डी.एम, नवलगढ़, जिला – झुंझुनु, राजस्थान।
विषय : नवलगढ़ में श्री सीमेंट, इंडिया सीमेंट लि. और अल्ट्राटेक सीमेंट के लिए प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण को रद्द करने के बाबत।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि हम नवलगढ़ के निवासी पहले भी कई बार आपसे अपनी जमीनें बचाने के लिए गुहार कर चुके हैं और नवलगढ़ एसडीएम कार्यालय के सामने पिछले 8 सालों से लगातार धरने पर बैठे हुए हैं। पिछले 8 सालों से जमीन अधिग्रहण के लिए किसानों के न तैयार होने के बावजूद सरकार लगातार एकतरफा कार्यवाही करती जा रही है।
हम आपको एक बार फिर याद दिलाना चाहते हैं कि श्री सीमेंट, अल्ट्राटेक सीमेंट तथा इंडिया सीमेंट लि. ने सीमेंट प्लांट और खनन के लिए नवलगढ़ की लगभग 72,000 बीघे भूमि का अधिग्रहण प्रस्तावित हैं। इस 72000 बीघे में 18 गांव व ढाणी है जिनमें 45000 से भी ज्यादा लोग पीढ़ीयों से यहां रह रहे हैं। यह जमीनें न सिर्फ उनकी जीविका का साधन है बल्कि उनके अस्तित्व की पहचान हैं। प्रस्तावित भूमि बहुफसलीय भूमि है जिसको प्रशासन द्वारा बंजर दिखाने का भी प्रयास किया गया।
बहुफसलीय जमीनों के साथ शमशान घाट, आम रास्ते, तीर्थ स्थल, गोचर भूमि भी श्री सीमेंट कंपनी के लिए रिको के नाम की जा चुकी है। इनके अलावा पर्यटन स्थल, पर्यावरण, जोहड़, खेजड़ी, मोर इत्यादि को हानि पहुंचेगी। इस भूमि अधिग्रहण में 45,000 लोगों के विस्थापन से इस पूरी आबादी का अस्तित्व संकट में आ जाएगा। अधिग्रहण में जा रही इस जमीन का लगभग 83 प्रतिशत हिस्सा कृषि भूमि का है और यहां के निवासी मुख्यतः किसान हैं जिनका उगाया अन्न इस देश की जनता का पेट भरता है।
किसान पिछले एक दशक से भी अधिक समय से अपनी जमीनों को सीमेंट फैक्ट्रियों से बचाने के लिए लड़ रहे हैं लेकिन प्रशासन भूमि जबरन अधिग्रहित करने पर तुला हुआ है। लगभग 700 बीघा मंदिर माफी की जमीन प्रस्तावित सीमेंट प्लांटो में आ रही है। इस बाबत प्रशासन को कई बार अवगत कराने के बावजूद अभी तक कोई संज्ञान नहीं लिया है।
इस अधिग्रहण के प्रस्ताव के समय से ही किसान अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं जिसके बावजूद प्रशासन बिना किसानों की सहमति और मुआवजा उठाए ही उनकी जमीनें राजस्थान इंडस्ट्रियल इन्वेसटमेंट कॉर्पोरेशन (रिको) के नाम कर चुका है जो कि संविधान का प्रत्यक्ष उल्लंघन है।
इस आंदोलन में वृद्ध से लेकर गांव के बच्चे और महिलाएं सभी सक्रिय हैं। यदि प्रशासन की तरफ से किसी भी तरह की जोर जबर्दस्ती की कार्रवाई होती है तो उसमें होने वाले नुकसान की जिम्मेदारी सीधी प्रशासन की होगी। आठ साल से अपना आंदोलन शांतिपूर्वक लड़ रहे यह किसान अपने देश के संविधान में पूरी तरह से भरोसा करते हैं और संविधान के तहत दिए गए अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के तहत ही अपने विरोध को दर्ज करवा रहे हैं। किंतु प्रशासन सभी संवैधानिक प्रावधानों को दर किनार कर चंद उद्योगपतियों के मुनाफे के लिए हजारों परिवारों के जीवन की बलि चढ़ाने पर तुला हुआ है।
हम प्रशासन के इस कृत्य का तीव्र विरोध करते हुए मांग करते हैं कि-
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- प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण तत्काल रद्द किया जाए।
- रिको के नाम दर्ज की गई जमीनों को वापस किसानों के नाम पर दर्ज किया जाए।
- रिको तथा कंपनियों के पक्ष में जमीनों की गलत रिपोर्ट बनाकर प्रस्तुत करने वाले कर्मचारियों तथा अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए जाएं।
कंपनियों द्वारा जिन जमीनों का अधिग्रहण किया जा चुका है उन जमीनों पर खेती न होने की वजह से खाली पड़ी हैं और आवारा पशुओं का अड्डा बन चुकी हैं। यह आवारा पशु आस-पास के खेतों और लोगों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। अत:
- प्रशासन द्वारा इन आवारा पशुओं से स्थानीय निवासियों को मुक्ति दिलवाई जाए।
इस अधिग्रहण की वजह से इस क्षेत्र के निवासियों तथा पर्यावरण के उपर आने वाले संकट के मद्देनजर आपसे निवेदन है कि उपरोक्त मांगों पर यथा शीघ्र कार्रवाई की जाए।
द्वारा
भूमि अधिग्रहण विरोधी किसान संघर्ष समिति, नवलगढ़ तथा प्रभावित किसान
( ये खबर संघर्ष संवाद से ली गई है )
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