यूपी: छह माह से वेतन न मिलने से नाराज़ आशा कार्यकर्ताओं ने की अनिश्चितकालीन हड़ताल

लखनऊ: छह महीने से वेतन न मिलने से नाराज़ आशा कार्यकर्ता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के क्षेत्र गोरखपुर समेत पूर्वी उत्तर प्रदेश में 15 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। बकाया वेतन की मांग करने के साथ साथ वे वेतन बढ़ाकर 21,000 रुपये करने और सरकारी कर्मचारियों का दर्जा देने की मांग कर रही हैं।
आशा कार्यकर्ताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने कुशीनगर, महराजगंज, देवरिया, गोरखपुर और बस्ती में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) पर विरोध प्रदर्शन करते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारियों और जिलाधिकारियों को अपनी दस मांगों का एक ज्ञापन सौंपा जिसमें उन्होंने समस्याओं को उजागर किया है।
आशा कार्यकर्ता मीरा ने न्यूज़क्लिक को बताया कि, "उन्होंने आश्वासन दिया है कि 30 सितंबर तक बकाया भुगतान कर दिया जाएगा। यदि नहीं हुआ तो हम फिर से राज्य-व्यापी आंदोलन शुरू करेंगे और इस बार जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होती हैं तब तक हम काम का बहिष्कार करेंगे।"
कुशीनगर ज़िले में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के बाहर बैठी सैकड़ों साथियों के साथ राजकुमारी देवी, मीरा और अनु देवी ने कहा कि पिछले छह महीने से एक पैसा नहीं मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति बदतर हो गई है।
इस प्रदर्शन में शामिल आशा कार्यकर्ता अनु देवी ने न्यूज़क्लिक को बताया कि "हम भीषण गर्मी में घर-घर जाते हैं। हम में से कुछ बीमार भी पड़ जाते हैं लेकिन हम अपना काम जारी रखते हैं क्योंकि हम जानते हैं कि अगर हम वापस बैठते हैं तो कई लोग परेशान होंगे। हमें मार्च के बाद से हमारा वेतन नहीं मिला है।" उन्होंने आगे कहा कि परिवार के रोज़मर्रा के ख़र्च के लिए ज़ेवर गिरवी रखने पड़े थे।
आशा कार्यकर्ताओं के लिए 21,000 रुपये मासिक वेतन की मांग करते हुए महराजगंज की ज़मीरुन निसा ने न्यूज़क्लिक को बताया, "हमारा विरोध ज़िला मुख्यालय से राज्य की राजधानी की सड़कों पर तब तक जारी रहेगा जब तक कि राज्य सरकार छह महीने का बकाया वेतन नहीं दे देती और मासिक वेतन की घोषणा नहीं कर देती है।"
बता दें कि प्रदर्शन कर रही आशा कार्यकर्ताओं ने 21,000 रुपये मासिक वेतन और सरकारी कर्मचारियों का दर्जा देने की मांग की है।
गोरखपुर स्थित एक स्वास्थ्य अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर न्यूज़क्लिक को बताया, "हमारे पास कुछ धनराशि है जो आशा कार्यकर्ताओं को दी जाएगी लेकिन शेष बकाया राशि तब तक नहीं दी जाएगी जब तक कि सरकार पैसा जारी नहीं करती।"
इससे पहले, राज्य भर से आशा कार्यकर्ता न्यूनतम वेतन और कर्मचारी लाभ की मांग को लेकर लखनऊ की विधानसभा के पास इकट्ठा हुई थीं। आशा कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि सरकार महामारी के दौरान उनके निस्वार्थ कार्य को मानने और उन्हें स्थायी कर्मचारियों के रूप में नियमित करने के लिए तैयार नहीं है।
आशा कार्यकर्ताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय को दस मांगों का ज्ञापन सौंपा जिसमें उनकी समस्याओं पर प्रकाश डाला गया था। हालांकि, सरकार द्वारा किए गए वादे अब तक पूरे नहीं किए गए हैं।
बहराइच में विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रही आशा कार्यकर्ता सीमा यादव ने कहा कि स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा बेहतर काम करने के बावजूद राज्य सरकार की उदासीनता लगातार जारी है।
उन्होंने न्यूज़क्लिक से बताया कि "हमने अपनी जान जोखिम में डालकर कोविड-19 के दौरान चौबीसों घंटे काम किया। हमारे कई साथियों की मृत्यु कोरोना के कारण हुई। राज्य सरकार को इन आशा कार्यकर्ताओं को मासिक मानदेय और उन्हें सरकारी कर्मचारियों का दर्जा देना चाहिए। लेकिन हमारी वाजिब मांगों पर ध्यान देने के बजाय उन्होंने मार्च से हमारा वेतन जारी नहीं किया है।"
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UP: ASHA Workers Protest Again, not Paid Salaries for Six Months
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