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कटाक्ष: 2026; हिंदू राष्ट्र आ रहा है...आ ही गया, कोई शक!

“बहनो, भाइयों, 31 दिसंबर की रात को आप सोएंगे धर्मनिरपेक्ष भारत में, और 1 जनवरी की सुबह आप जागेंगे, हिंदू राष्ट्र में। न धर्मनिरपेक्ष, न समाजवादी, जनतांत्रिक, संघात्मक वगैरह कुछ भी नहीं, बस खालिस हिंदू राष्ट्र।”
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तस्वीर प्रतीकात्मक प्रयोग के लिए।

 

साल का आखिरी दिन था। रात आठ बजे थे। देश के सारे टेलीविजनों पर अचानक एक अति, परम, घनघोर विशेष प्रसारण शुरू हो गया। राष्ट्र के नाम संदेश। किस का संदेश? और किस का, सर्वोच्च नेता का संदेश!

मेरे प्यारे परिवारी जनों,

नव वर्ष की पूर्व-संध्या में मैं आप सब को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं और आपके तथा राष्ट्र के मंगल की कामना करता हूं। आप कहेंगे, बस इतना? इसी के लिए राष्ट्र के नाम संबोधन, वह भी रात आठ बजे वाला? अपने परिवारी जनों का यही अति-आकांक्षी होना मुझे सबसे ज्यादा पसंद है! जो है, हमेशा उससे ज्यादा की आकांक्षा करना। और तो और मुफ्त की रेवड़ियां भी मिल रही हों, तो भी मेरे देशवासियों को एक्स्ट्रा चाहिए। 

सुना है कि बिहार में खातों में दस हजार पहुंचने के बाद, जीविका दीदियां अब नीतीश बाबू से दो लाख की उम्मीद ही नहीं बाकायदा मांग कर रही हैं। मध्य प्रदेश में तो तीन हजार का वादा पूरा नहीं हुआ तो लाडली बहनाएं, लड़ाकी बहनाएं ही बन गयीं ; बेचारे अमित शाह को काले झंडे दिखाने पर उतर आयीं। मेरे देश के नौजवान तो इतने आकांक्षी हैं, इतने आकांक्षी हैं कि उनके बल पर हम  राष्ट्र को तेज रफ्तार नहीं, तूफानी उड़ान देने जा रहे हैं। मस्जिदों के आगे नाचने-गाने का, गिरजों में तोड़फोड़ मचाने का, कभी गोरक्षा, तो कभी बांग्लादेशी भगाओ के नाम पर लिंचिंग का रोजगार मिला हुआ है और इसमें बोदी-बोदी करना भी जोड़ दें तो, लगभग फुल टाइम रोजगार मिला हुआ है। फिर भी मेरे नौजवान आए दिन नौकरी नहीं तो भर्ती परीक्षा के रिजल्ट की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आते हैं और कभी लखनऊ तो कभी पटना, कभी भोपाल तो, कभी दिल्ली में लाठियां खाकर ही वापस जाते हैं। पर लाठियां खाने के बाद मेरे भाई और भी जोर से बोदी-बोदी चिल्लाते हैं!

मेरे प्यारे बहनो, भाइयों,

आपका यह बेटा, आज आपको सचमुच की शुभकामना देने आया है। आपका यह भाई आपका नया वर्ष सचमुच शुभ बनाने आया है। आपका यह प्रधान सेवक आपको एक बहुत बड़ा गिफ्ट देने आया है। सचमुच बड़ी खुशखबरी। एक खुशखबरी, जिसका हम और आप सब, एक हजार साल से ज्यादा से इंतजार कर रहे थे। बेशक, राम मंदिर की खुशखबरी का भी आपने एक हजार साल इंतजार किया था। वह पल वाकई युग परिवर्तन का पल था, जब हजारों वर्ष के वनवास के बाद, प्रभु श्रीराम की अयोध्या वापसी हुई थी। आप सब के आशीर्वाद से आपके इस सेवक को इधर-उधर भटकते रामलला को उंगली पकड़ाकर, अयोध्या में उनके नये आवास में पहुंचाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। पर वह खुशखबरी तो आपका यह सेवक आपको दो साल पहले ही दे चुका था। उसके बाद हुए चुनाव में तो आप खुशी से ऐसे मगन हुए, ऐसे मगन हुए कि, चुनाव में अपने इस सेवक के निशान पर बटन दबाना तक भूल गए। रामलला आए के साथ, रामभक्त वनवास पर धाए की तुक मिलते-मिलते रह गयी। खैर, वे सब बातें तो पुरानी पड़ चुकीं। और तो और मंदिर पर धर्म ध्वजा फहराने की खुशखबरी भी पुरानी पड़ चुकी। मैं आपके लिए एकदम नयी खुशखबरी लाया हूं। नया साल, नयी खुशखबरी। 2026, नया गिफ्ट!

बहनो, भाइयों,

31 दिसंबर की रात को आप सोएंगे धर्मनिरपेक्ष भारत में, और 1 जनवरी की सुबह आप जागेंगे, हिंदू राष्ट्र में। न धर्मनिरपेक्ष, न समाजवादी, जनतांत्रिक, संघात्मक वगैरह कुछ भी नहीं, बस खालिस हिंदू राष्ट्र। मुझे पता है कि आप में बहुत से तो नये साल को लाने के बाद ही सोने जाएंगे। आप इस बार नये साल के साथ एक नये भारत का स्वागत करेंगे--हिंदू भारत। माने भारत हिंदू तो पहले से ही था, हमेशा से। इसीलिए, तो सनातन को सनातन कहते हैं। पर बीच में हिंदू भारत कहीं खो सा गया था। वैसे ही जैसे रामलला खो से गए थे। और आप का जो बोदी राम को लाया है, वही बोदी हिंदू राष्ट्र को लाएगा। दो साल पहले राम जी की वापसी। अब हिंदू राष्ट्र की वापसी। आप देख लीजिएगा यह बोदी एक-एक कर हर उस चीज को वापस लाएगा, जो एक हजार सालों में या उससे भी ज्यादा में कहीं खो सी गयी थी। चतुर्वर्ण व्यवस्था भी। ब्राह्मण की सर्वोच्चता और शूद्र की नीचाई भी। औरतों को अनुशासन में रखने की पुख्ता व्यवस्था भी। जरूरत पड़ी तो सती प्रथा भी। बस आप अपना आशीर्वाद बनाए रखिएगा। और हां! चुनाव में वोट भी देते रहिएगा। ऐसा नहीं हो कि इस बार की तरह, फिर से इतने ज्यादा खुश हो जाएं, कि अपने प्रधान सेवक को वोट देना ही भूल जाएं। आप तो समझते ही हैं, वोट नहीं मिलेगा तो आपके सेवक को आपकी सेवा करते रहने का मौका कैसे मिलेगा? क्या कहा दूसरे तरीकों से! पर भारत को पहले वहां तक पहुंचने तो दीजिए।

बहनो, भाइयों,

यह मत भूलना कि राम लला की वापसी हो या हिंदू राष्ट्र की, कोई भी वापसी आसान नहीं थी। आपके आशीर्वाद से कामयाबी मिली जरूर है, पर इसके लिए आपके इस सेवक को बहुत संघर्ष करना पड़ा है। अठारह-अठारह घंटे काम करना पड़ा है। देश-दुनिया में लगातार भटकना पड़ा है। हर वक्त चुनावी मुद्रा में रहना पड़ा है। और बहुत बार तो विरोधियों तो विरोधियों, अपनों के विरोध का भी गरल पीना पड़ा है। पर बाबा विश्वनाथ की कृपा से, अपका यह सेवक भी नीलकंठ बनकर सारा विष पी गया है और हिंदू राष्ट्र खींचकर लाने वालों को अमृत का कलश मिल गया है। तभी तो विरोधी तो विरोधी, संविधान, अदालतें, मीडिया कोई कुछ नहीं कर पाया, और हिंदू राष्ट्र बनता चला गया। और अब वह घड़ी आ गयी है जब मां भारती का यह बेटा, गर्व के साथ यह घोषणा कर सकता है कि 2025 के साथ, पुराने भारत का अंत हो  रहा है और 2026 की भोर की किरणों के साथ, यह विश्व एक नये राष्ट्र का उदय देखेगा--हिंदू राष्ट्र का।

बहनो, भाइयों,

आपके इस सेवक की भी हार्दिक इच्छा थी कि 2025 के आखिरी दिन और 2026 के पहले दिन की मध्य रात्रि में, संसद का विशेष सत्र होता और उसमें हिंदू राष्ट्र के जन्म की घोषणा की जाती। मौके के लिए उपयुक्त भाषण भी तैयार ही था। पर नेहरू जी ने नजर लगा दी। पता नहीं कैसे यह अफवाह फैल गयी कि हू ब हू 15  अगस्त 1947 के नेहरू की नकल करने की तैयारी है। पुराने साल के साथ नेहरू का भारत जा रहा था और बोदी का भारत आ रहा था, फिर भी नेहरू की नकल का इल्जाम ! साहित्यिक चोरी का इल्जाम यह बोदी कभी बर्दाश्त नहीं करेगा। मैंने भी कहा सब कैंसल। बस रात 8 बजे का प्रसारण होगा और होगा हिंदू राष्ट्र का एलान। बोदी की गारंटी है, 2026 आएगा, हिंदू राष्ट्र लाएगा। जय भारत, जय हिंदू राष्ट्र!

(2026 आया, पर हिंदू राष्ट्र साथ में नहीं आया। सरकार ने हिंदू राष्ट्र की घोषणा का साफ खंडन कर दिया। कहा कि जब खुद भागवत ने कह दिया है कि हिंदू राष्ट्र की घोषणा नहीं भी हो तो फर्क नहीं पड़ेगा, फिर फोदी हिंदू राष्ट्र की घोषणा क्यों करेंगे? रात 8 बजे वाला प्रसारण ही नहीं हुआ। नफो चैनल, प्रसारण समेत डिजिटल अंधेरे में गायब हो गया।)

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और लोक लहर के संपादक हैं।)

 

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