‘मैडलीन’ पर इज़रायली हमले के विरोध में प्रदर्शन, वैश्विक नेताओं की चुप्पी पर सवाल

सोमवार, 9 जून की सुबह-सुबह इज़रायली बलों ने फ़्रीडम फ़्लोटिला के जहाज़ ‘मैडलीन’ को जबरन रोक लिया। यह जहाज़ ग़ज़ा पट्टी में फंसे लोगों के लिए ज़रूरी राहत सामग्री और 12 अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवकों को लेकर रवाना हुआ था, जिनमें अधिकांश यूरोपीय देशों से थे। पूरी रात ड्रोन और नौसेना के जहाज़ ‘मैडलीन’ पर नजर रखे हुए थे, और चालक दल को इज़रायली बलों से धमकियाँ मिल रही थीं। अंततः गंतव्य से लगभग 170 किलोमीटर पहले इज़रायली सैनिकों ने अभियान को बलपूर्वक रोक दिया।
इस जहाज़ के दल में शामिल हैं—ब्राज़ील से थियागो एविला, जर्मनी से यासेमिन अकार, फ्रांस से बैप्टिस्ट आंद्रे, ओमार फ़ैयाद, पास्कल म्यूरिएरास, यानिस मोहाम्दी, और रेवा वियार्द, नीदरलैंड्स से मार्को वान रैन्स, स्पेन से सेरजियो तोरिबियो, और तुर्की से शुआएब ओर्दु। इनके अलावा जहाज़ पर फ्रांसीसी यूरोपीय सांसद रीमा हसन और स्वीडन की जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग भी मौजूद थीं।
फ़्रीडम फ़्लोटिला कोएलिशन की हुवैदा अर्राफ़ ने स्वयंसेवकों की गिरफ़्तारी के तुरंत बाद कहा, “ये स्वयंसेवक इज़राइल के न्यायिक अधिकार क्षेत्र में नहीं आते। न ही राहत पहुँचाने या अवैध नाकेबंदी को चुनौती देने के लिए उन्हें अपराधी ठहराया जा सकता है। उनकी गिरफ़्तारी मनमानी, अवैध और तुरंत खत्म की जानी चाहिए।”
इज़रायली हमले की पुष्टि होते ही दुनिया भर से चालक दल की तत्काल रिहाई की मांगें उठने लगीं—हालांकि कई स्वयंसेवकों की अपनी सरकारें ख़ामोश रहीं। मध्य यूरोपीय समयानुसार दोपहर तक, कई घंटे बीत जाने के बावजूद सिर्फ़ तुर्की के विदेश मंत्रालय ने इज़रायली कार्रवाई की खुलकर निंदा की, जबकि स्पेन ने इज़रायली राजनयिकों को तलब किया।
उधर, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लायन, और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीयर स्टारमर—जिनके देश का झंडा जहाज़ पर लगा था—ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
बाद में फ्रांस और स्वीडन के विदेश मंत्रालयों की ओर से जारी सूचनाएं बेहद अस्पष्ट रहीं—जिनमें सिर्फ़ "कार्यकर्ताओं से मिलने", "उनकी स्थिति जानने" और "तेज़ वापसी सुनिश्चित करने" जैसे इरादे जताए गए।
फ़्रीडम फ़्लोटिला से जुड़े तन सफ़ी ने कहा: “जब जमीर (Conscience) पर बम बरसाए गए, तब दुनिया की सरकारें चुप थीं। अब इज़राइल एक बार फिर उस चुप्पी की परीक्षा ले रहा है। हर वह घंटा जिसमें कोई सज़ा नहीं मिलती, इज़राइल को आम नागरिकों, राहतकर्मियों और अंतरराष्ट्रीय क़ानून की बुनियादों पर और ज़ोरदार हमले करने का हौसला देता है।”
यूरोप की वामपंथी राजनीति से जुड़े नेताओं ने न केवल 'मैडलीन' के सफर को बलपूर्वक रोके जाने की निंदा की, बल्कि यूरोपीय नेताओं की चुप्पी पर भी तीखा विरोध जताया। फ्रांस की पार्टी ‘फ्रांस अनबाउड’ की नेता और यूरोपीय संसद में वाम गठबंधन की सह-अध्यक्ष मानों ऑब्री ने कहा:
“इतिहास उन्हें देख रहा है। इस जनसंहार को रोकने में उनकी निष्क्रियता, सीधी मिलीभगत है। हम यूरोपीय अधिकारियों से चालक दल की सुरक्षा सुनिश्चित करने और मानवीय राहत पहुँचाने की इजाज़त दिलवाने की तत्काल कार्रवाई की माँग करते हैं।”
नाकेबंदी तोड़ने की पुकार
इज़रायली अधिकारियों ने घोषणा की है कि ‘मैडलीन’ की राहत सामग्री जब्त की जाएगी और सभी कार्यकर्ताओं को अशदोद बंदरगाह ले जाया जाएगा। वहीं बताया गया है कि उन्हें वहां अक्टूबर 7, 2023 की ‘अल-अक्सा फ्लड ऑपरेशन’ का वीडियो दिखाकर पूछताछ की जाएगी।
इज़राइल के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतामार बेन-गवीर ने कहा है कि चालक दल को उनके देशों में निर्वासित किए जाने से पहले अलग-अलग क़ैदियों की तरह बंद किया जाएगा और उन्हें किसी तरह के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों तक पहुंच नहीं दी जाएगी।
इज़राइल के इतिहास को देखते हुए—जहां राहतकर्मियों और एकजुटता दिखाने वाले कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया गया है—इस समय इस दल की सुरक्षा गारंटी से बहुत दूर है। यही कारण है कि फ़्रीडम फ़्लोटिला और उसके सहयोगी संगठनों ने तत्काल अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की माँग की है, ताकि चालक दल को बचाया जा सके और राहत सामग्री को बिना किसी रुकावट ग़ज़ा पहुँचाया जा सके, जिसे इज़राइल ने मार्च की शुरुआत से ही बंद कर रखा है।
संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि फ्रांसेस्का अल्बानीज़ ने एक्स (X) पर लिखा:
“जहां ‘मैडलीन’ को तुरंत रिहा किया जाना चाहिए, वहीं हर भूमध्यसागरीय बंदरगाह से राहत, एकजुटता और मानवता से भरी नावें ग़ज़ा के लिए रवाना होनी चाहिए। वे एक साथ चलें—एकजुट होकर, उन्हें कोई नहीं रोक सकता। नाकेबंदी तोड़ना राष्ट्रों का कानूनी दायित्व और हम सभी के लिए नैतिक imperative है।”
‘मैडलीन’ पर इज़रायली हमले के जवाब में पूरे यूरोप में प्रदर्शन और जनसभाएं घोषित की गई हैं।
साभार: पीपल्स डिस्पैच
मूल रूप से अंग्रेज़ी में प्रकाशित रिपोर्ट को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें--
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