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"माइक्रोफाइनेंस: साहूकारी का बदला चेहरा, महिलाओं पर क़र्ज़ का शिकंजा"

भारत की करोड़ों महिलाएँ माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के कर्ज़ के जाल में फँसी हैं। ‘महिला सशक्तिकरण’ के नाम पर चल रही इस लूट में ऊँचे ब्याज, जबरन वसूली और शोषण की कहानियाँ छिपी हैं। एडवा के देशव्यापी सर्वे और दिल्ली में 23 और 24 अगस्त को जनसुनवाई से उजागर हो रही यह सच्चाई बताती है कि गरीबी को कर्ज़ नहीं, बल्कि नीतिगत बदलाव की ज़रूरत है। देखिए Newsclick की रिपोर्ट

 

भारत की करोड़ों महिलाएँ माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के कर्ज़ के जाल में फँसी हैं। ‘महिला सशक्तिकरण’ के नाम पर चल रही इस लूट में ऊँचे ब्याज, जबरन वसूली और शोषण की कहानियाँ छिपी हैं। एडवा के देशव्यापी सर्वे और दिल्ली में 23 और 24 अगस्त को जनसुनवाई से उजागर हो रही यह सच्चाई बताती है कि गरीबी को क़र्ज़ नहीं, बल्कि नीतिगत बदलाव की ज़रूरत है। देखिए Newsclick की रिपोर्ट

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