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श्रीलंका में ग़ायब हुए लोगों का परिवार छह साल से कर रहा है संघर्ष 

उत्तरी श्रीलंका के किलिनोच्ची शहर में ग़ायब हुए लोगों के सैकड़ों रिश्तेदार बैनर और काला झंडा लिए इंसाफ़ और जवाबदेही की मांग कर रहे हैं।  
sri lanka

ग़ायब हुए लोगों के तमिल रिश्तेदारों ने 20 फरवरी यानी सोमवार को श्रीलंका के उत्तरी किलिनोच्ची में कंडासामी मंदिर से डिपार्टमेंट जंक्शन तक मार्च निकाला। वे न्याय और अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग कर रहे थे।

ये रिश्तेदार नार्थ-ईस्ट एसोसिएशन ऑफ़ रिलेटिव्स ऑफ़ एन्फोर्सड डिसएपीरेंसेस के बैनर तले अपने गायब हुए रिश्तेदारों को ढूंढने के लिए पिछले 6 साल से संघर्ष कर रहे हैं। ये लोग देश भर में इस मुद्दे को उठा रहे हैं। इस मार्च में भाग लेने वाली दर्जनों महिलाएं हाथों में बैनर और काले झंडे लिए विरोध प्रदर्शन कर रही थीं। उनके बैनरों पर गायब हुए अपने प्रियजनों की जानकारी और उनके वर्षों के संघर्ष के बारे में लिखा हुआ था।

वे जवाबदेही की मांग के साथ इस बात की भी मांग कर रहे थे कि उन्हें धमकाना और उनका उत्पीड़न रोका जाए। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “हमें सरकार द्वारा दिया गया मुआवजा 2 लाख (श्रीलंका रुपये) हमने ठुकरा दिया। हमें पैसा नहीं चाहिए बल्कि गायब हुए लोगों के कार्यालय (OMP- Office of missing person) से जवाब चाहिए।

इस कार्यालय की स्थापना वर्ष 2016 में हुई थी पर यह एक निष्क्रिय कार्यालय है। हम उन पर अंतर्राष्ट्रीय अधिकार निकायों से भी दबाब बना रहे हैं जिसमें संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार परिषद भी शामिल है।

गायब हुए लोगों के मामले में श्रीलंका दूसरे स्थान पर है। संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह के एक अनुमान के अनुसार जबरन या अनिच्छा से गायब लोगों की संख्या 1980 से अब तक 1 लाख हैं जिनमें से अधिकांश आंतरिक शस्त्र संघर्ष में लापता हुए हैं। कई मानवाधिकार संगठनों, जिसमें एमनेस्टी इंटरनेशनल भी शामिल है, ने बताया है कि श्रीलंका में अधिकारियों ने "असंतोष को शांत करने के लिए एक उपकरण के रूप में" गायब होने के दमनकारी कार्रवाई को अंजाम दिया है।

जिन्हें जबरन गायब किया गया है, जो गायब हो गए हैं, उनके कम से कम 132 रिश्तेदार संघर्ष करते हुए मारे जा चुके हैं। पीड़ितों के परिवार के सदस्य इंसाफ के लिए संघर्ष करते हुए मानसिक आघात से गुजर रहे हैं।

साभार : पीपल्स डिस्पैच

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