समझिए: बर्ड फ़्लू क्या है; क्या यह इंसानों को नुकसान पहुंचा सकता है?

भारत के कम से कम चार राज्यों में बर्ड फ़्लू संक्रमण के ताज़ा मामले सामने आए हैं। ताजा संक्रमण बर्ड फ़्लू वायरस के "H5N8 स्ट्रेन" की वज़ह से फैला है। ICAR के "नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनीमल डिसीज़ (NIHSAD)" ने भी इसकी पुष्टि की है।
जिन राज्यों में यह मामले आए हैं, वहां प्रवासी पक्षियों, कौवों और घरेलू बतखों की मौतें हुई हैं। केरल में सरकार ने बतखों में बर्ड फ़्लू फैलने के बाद कुक्कुट (पॉल्ट्री) को खत्म करने के आदेश दिए थे। वहीं हिमाचल में करीब 2000 पक्षियों की मौत हो जाने के बाद 21,000 पक्षियों को मारा जा चुका है।
इस प्रसार की खबर ने आम लोगों और कुक्कुट पालन से जुड़े लोगों में भय पैदा कर दिया है। भारत में 2006 के बाद से ही कई बार बर्ड फ़्लू आया है, जिसके चलते कुक्कुट पालन में लगे किसानों को काफ़ी नुकसान हो चुका है।
बर्ड फ़्लू क्या है?
बर्ड फ़्लू या एविएन इनफ़्लूएंजा एक संक्रमण फैलाने वाली बीमारी है। यह बीमारी आमतौर पर मुर्गियों, बतखों या टुर्की जैसे कुक्कुट पालन के पक्षियों को प्रभावित करती है। इस वायरस के कई स्ट्रेन हैं, जिनमें से कुछ से पक्षियों में हल्के-फुल्के लक्षण सामने आते हैं। वहीं कुछ स्ट्रेन जानलेवा होते हैं।
इंफ़्लूएंजा A वायरस जंगली जीवों, खासकर बतखों और कलहंस (गीज़) में स्वाभाविक तौर पर पैदा होता है। यह प्रजातियां वायरस के प्राकृतिक संरक्षणगृह के तौर पर काम कर सकती हैं। कई पक्षियों में बिना कोई लक्षण के यह वायरस मौजूद हो सकता है। यही पक्षी शरीर से गिराए जाने वाले द्रव्य से वायरस को फैला भी सकते हैं।
भारत में कौन से राज्य हुए हैं प्रभावित
भारत में चार राज्यों- राजस्थान, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश और केरल में बर्ड फ़्लू के मामले सामने आए हैं। राजस्थान में मुख्यत: कौवों में यह फ़्लू पाया गया है, बताया गया है कि राज्य के 33 जिलों में से 16 में बर्ड फ़्लू से मौतें हुई हैं।
मध्यप्रदेश में कौवों की बड़े स्तर पर हुई मौतों के लिए भी बर्ड फ़्लू को जिम्मेदार बताया जा रहा है। मंदसौर, इंदौर, आगर मालवा समेत कुल 10 जिलों में 400 पक्षियों की मौत की खबर है।
हिमाचल प्रदेश में प्रवासी पक्षियों, खासकर बड़ा हंस (बार हेडेड गीज़) में बर्ड फ़्लू के चलते मौतें हुई हैं। कांगड़ा जिले के पान्ग बांध में ऐसे हजारों पक्षी मृत पाए गए हैं।
केरल में कोट्टायम और अलाप्पुझा में करीब़ 1700 बतखों की मौत हुई है। राज्य सरकार ने घरेलू कुक्कुट को खत्म करने का आदेश दिया है।
क्या यह इंसानों को नुकसान पहुंचा सकता है
एविएन इंफ़्लूएंजा वायरस आसानी से इंसानों में नहीं फैलता। वायरस के दर्जन भर स्ट्रेन में से हाल में सिर्फ़ दो- H5N1 और H7N9 ने ही इंसानों को संक्रमित किया है। आमतौर पर वायरस उन इंसानों में प्रसारित होता है, जो संक्रमित पक्षियों के बेहद करीब से संपर्क में आते हैं। WHO की सलाह के मुताबिक़, "मानवों में संक्रमण प्राथमिक तौर पर संक्रमित जानवरों या संक्रमित पर्यावरण से सीधे संपर्क की वज़ह से फैलता है, इन वायरस में इंसानों से इंसानों में संक्रमण फैलाने की क्षमता नहीं होती।"
लेकिन कुछ मामलों में यह पाया गया है कि वायरस एक इंसान से दूसरे में पहुंचा। हालांकि 2015 से अब तक छुटपुट मामले ही सामने आए हैं। प्राथमिक सावधानी उन्हें बरतने की जरूरत होती है, जो कुक्टुट पालन केंद्रों में काम करते हैं और जिनके संक्रमित पक्षियों के सीधे संपर्क में आने की संभावना ज्यादा होती है।
जब बर्ड फ़्लू इंसानों में संक्रमण फैलाता है, तो यह जानलेवा हो सकता है। यह पाया गया है कि "वायरस संक्रमण से इंसानों में कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं, इनमें ऊपरी श्वसन नलिका में हल्के संक्रमण (बुखार और खांसी), बलगम निर्माण से गंभीर न्यूमोनिया, झटकों के साथ सेप्सिस, गंभीर रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम तक शामिल हैं। यहां तक कि इससे मौत भी हो सकती है। वायरस के उपप्रकारों पर निर्भर करते हुए लोगों में आंखो का आना (कंजंक्टिवाइटिस), जठरांत्र (ग्रैस्ट्रोइंटेस्टिनल) लक्षण, मस्तिष्क की सूजन जैसे लक्षण भी देखे गए हैं।"
H5N1 द्वारा फैलाए गए संक्रमण के मामले में 10 में से 6 इंसानों की मौत हो गई थी।
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