गोरखपुर में 60 बच्चो की मौत पर योगी आदित्यनाथ ने साधी चुप्पी

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित सरकारी अस्पताल में 60 बच्चों की मौत हो गयी है। कहा जा रहा है कि ये मौतें इन्फैक्शन और अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुई हैं । सरकार द्वारा संचालित बाबा राघव दास अस्पताल में पिछले 5 दिनों से लगातार इन मौतों की संख्या बढ़ती जा रही है। इनमें से ज्यादातर मौतें ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई हैं ऐसा माना जा रहा है, पर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने इस बात से इनकार किया है। गोरखपुर के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट राजीव रौतेला ने कहा " बाबा राघव दास अस्पताल में कोई भी मौत ऑक्सीजन की कमी की वजह से नहीं हुई है। बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में आज सिर्फ ७ मौतें हुई हैं और इन सबकी वजह दूसरी बीमारियां है. जहाँ तक बात है उस कम्प्लेन की, जिसमें कहा गया है कि ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई करने वाली कंपनी के पैसे बकाया थे, उसपर जाँच हो रही है। किन्तु वहां पर पहले से ही 50 ऑक्सीजन सिलेंडर थे जिनका इस्तेमाल हो रहा था। " इस मामले के तूल पकड़ने के बाद राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने बयान दिया कि "बच्चों की मौत बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और सरकार इस मामले की जांच के लिए जाँच कमेटी बैठा रही है। जो भी इस मामले में दोषी पाए जायेंगे उनपर कार्यवाही होगी ''. गौर करने वाली बात ये है की भयानक लापरवाही की वजह से घटी इस घटना के कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री योगी ने इस अस्पताल का दौरा किया था।
बताया जा रहा है कि वो एजेंसी , जो ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई करती थी उसने ये सप्लाई रोक दी क्योंकि अस्पताल पर उनके 70 लाख रुपये बकाया थे। खबर है कि एजेंसी ने इस बात की चेतावनी पहले भी दी थी पर अस्पताल प्रशासन ने इस चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया।
इस शर्मनाक घटना के बाद विपक्ष ने सरकार को घेरने की कोशिश की है और राज्य सरकार को इसके लिए दोषी ठहराया है। इसपर सरकार का कहना है की इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना को राजनैतिक रंग देना ठीक नहीं।
ये दर्दनाक घटना साफ़ तौर पर योगी सरकार के विकास के दावों को खोखला साबित करती है। उनकी इमेज को चमकदार बनाने के लिए किये जा रहे मीडिया प्रचार को भी ये निर्वस्त्र करती है । इसके लिए साफ़ तौर पर राज्य सरकार ज़िम्मेदार है, जो एक तरफ गौ रक्षा के नाम पर करोड़ों खर्च करने का दावा करती है और दूसरी तरफ इंसानो के लिए बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान में भी नाकाम है। इससे पहले सहारनपुर की घटनाएँ , रोमिओ स्क्वाड की मुहिम और गौ रक्षकों के हमले योगी सरकार के असली एजेंडे की ओर इशारा करते दिख रहे हैं। इससे साफ़ ज़ाहिर होता है कि यूपी में साम्प्रदायिकता इसीलिए बढ़ाई जा रही है , जिससे गरीब जनता का मूल भूत मुद्दों से ध्यान हटाया जा सके।
अगर स्वास्थ्य सुविधाओं की ही बात की जाये तो केंद्र सरकारें स्वास्थ्य बजट में लगातार कटौती कर रही हैं । भारत अपने जीडीपी का सिर्फ 1. 2 प्रतिशत स्वास्थ्य बजट पर खर्च करता है, जो और देशों के मुकाबले बहुत कम है , साफ़ तौर पर स्वास्थ्य सेवाओं की इस दुर्गति के लिए सरकारें ज़िम्मेदार हैं । साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं के निजी कारण से भी ये सेवाएं गरीबों से काफी दूर होती जा रही है। इस समस्या के बारे में गंभीरता से विचार करने की ज़रुरत है और इस इस व्यवस्था को भी चुनौती देने की ज़रुरत है , जहाँ मेहनतकश जनता की जान की कीमत इतनी सस्ती नज़र आती है।
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