भोपाल से प्रज्ञा ठाकुर की जीत के क्या मायने हैं?

भोपाल से बीजेपी प्रत्याशी और मालेगांव बम विस्फोट की आरोपी प्रज्ञा सिंह की जीत लगभग तय हो गई है। वे कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह से करीब साढ़े तीन लाख वोट से आगे हैं।
इस सीट पर पूरे देश की नज़र थी। वजह प्रज्ञा सिंह की उम्मीदवारी थी। जो एक आतंकी गतिविधि में शामिल होने की आरोपी हैं। साथ ही पिछले दिनों उनके बयानों ने पूरे देश को सदमें में डाल दिया। उन्होंने न सिर्फ महाराष्ट्र एटीएस के चीफ और 26/11 हमलों के शहीद शहीद हेमंत करकरे के बारे में ग़लतबयानी की बल्कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे गोडसे को देशभक्त बताकर बीजेपी को भी मुश्किल में डाल दिया।
प्रज्ञा की उम्मीदवारी का पहले ही सिविल सोसायटी और अन्य बुद्धिजीवियों ने विरोध किया था और बीजेपी पर ये आरोप लगाया था कि वो सांप्रदायिक हिंसा के आरोपियों को टिकट दे कर हिंसा को बढ़ावा दे रही है। लेकिन बीजेपी ने अपना फ़ैसला वापस नहीं लिया और ये तर्क दिया कि प्रज्ञा सिंह ठाकुर पर अभी जुर्म साबित नहीं हुआ है।
आज, जब नतीजे आए हैं तब दिखता है कि बीजेपी की ये रणनीति काम कर गई है। अब वे जीत रही हैं और बीजेपी की तरफ़ से संसद में जाएंगी।
बीजेपी पर पिछले पाँच सालों तक जो सांप्रदायिकता के इल्ज़ाम लग रहे थे, वो आज प्रज्ञा सिंह के जीतने के बाद से एकदम ताज़ा हो गए हैं। और अब सोचने वाली बात ये है कि हम इस लोकतंत्र की लड़ाई के बाद, अपनी संसद में ऐसे लोगों को देखने वाले हैं जो सांप्रदायिक हिंसा फैलाने में आरोपी हैं, राष्ट्रपिता के हत्यारे को शहीद कहते हैं, और धमाके करवाने के मामले में आरोपी हैं।
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