बस सेवा में सुधार को लेकर सीपीएम की लड़ाई रंग लाई, HRTC ने मांगें मानीं

जनता की लड़ाई लड़ रही हिमाचल सीपीएम की बड़ी जीत हुई है। हिमाचल रोडवेज़ (HRTC) प्रबन्धन ने उसकी अधिकतर मांगों को मान लिया है, जिसके बाद बीते 24 घंटे से HRTC प्रबन्धन के कार्यलय में धरने पर बैठे सीपीएम के नेता और कार्यकर्ता ने अपना धरना खत्म कर दिया।
आपको बात दें कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) का बस सेवा को सुधारने के लिए HRTC प्रबन्ध निदेशक के कार्यालय के बाहर धरना मंगलवार दोपहर 12 बजे से चल रहा था।
मंगलवार रात 8 बजे सचिव परिवहन धरना स्थल पर आए थे तो उनसे सीपीएम नेतृत्व की बातचीत हुई। जिसमें ड्राइवर व कंडक्टर की भर्ती शीघ्र करने,स्कूलों व कॉलेजों में HRTC द्वारा चलाई जा रही बसों को जारी रखने, जहाँ एक बस जाती है उसे नियमित रूप से हर रोज चलाने, वर्षों से खड़ी सभी बसों को चलाने, बन्द किये गए सभी रूटों पर नियमित रूप से बस चलाने पर सहमति बनी है। आज, बुधवार को HRTC प्रबंधन द्वारा इन सभी मांगो को पूरा करने के आश्वासन के बाद धरना समाप्त कर दिया गया।
30 जुलाई को सीपीएम के द्वारा प्रदेश में चरमराई बस सेवा को लेकर HRTC प्रबंध निदेशक के कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया जा रहा था। हैरत की बात ये है थी कि दफ्तर में जब मालूम किया गया तो बताया गया कि कोई भी प्रबन्ध निदेशक नहीं है क्योंकि पुराने प्रबन्ध निदेशक का ट्रांसफर कर दिया गया है और नए प्रबन्ध निदेशक कोई भी अभी तक नहीं आए हैं। इससे पता चलता है कि प्रदेश की बीजेपी सरकार इस चरमराई बस सेवा में सुधार करने में कितनी संजीदा है।
इसके बाद प्रदर्शनकारियों का गुस्सा और भड़क गया और उन्होंने कहा धरना तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार का कोई जिम्मेवार अधिकारी इस मांग पत्र पर उचित कार्रवाई का आश्वासन नहीं दे देता। इस दौरान सीपीएम नेता और ठियोग से विधायक राकेश सिंघा, शिमला के पूर्व मेयर संजय चौहान मौजूद रहे। सभी प्रदर्शनकारी रात में प्रबंध कार्यालय में ही रहे।
सीपीएम ने कहा कि 21 जून को बंजार में दो और हाल ही में 1 जुलाई को खलिनी के पास झिंझरी में हुए दो बस हादसों ने न केवल सरकार की सुरक्षित आवागमन प्रदान करने में असमर्थता को उजागर किया है, बल्कि इन दुर्घटनाओं के पीछे के वास्तविक कारण को भी उजज़गर किया जिसे नजरंदाज किया जाता रहा है।
पूरे राज्य में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में यात्रियों और बस सेवाओं की संख्या में निरंतर अंतर बढ़ रहा है। सीपीएम द्वारा राज्य में बस सेवाओं के संबंध में 11 जुलाई 2019 को भी विरोध प्रदर्शन आयोजित किए जाने के बाद, परिवहन मंत्री ने माना था कि एचआरटीसी में कर्मचारियों की कमी है।
यदि सिर्फ़ जिला शिमला के परिवहन डिपो में से कुछ में रनिंग स्टाफ की कमी की जांच की जाती है, तो हिमाचल प्रदेश राज्य में मौजूदा गंभीर स्थिति के बारे में पता चल जाएगा। HRTC बसों के ख़राब होने में जबरदस्त वृद्धि हुई है। यदि अधिक बसों की आवश्यकता है तो यात्रियों को असुविधा से बचने के लिए HRTC द्वारा नई बसें खरीदी जानी चाहिए।
सार्वजनिक परिवहन की इस तरह की दयनीय स्थिति के साथ राज्य में बस सेवाओं को सुरक्षित और सुचारू रूप से चलाना संभव नहीं है। राज्य में लगातार हो रहे हादसों के लिए HRTC प्रबंधन जिम्मेदार है।
यात्रियों के बैठने की क्षमता से परे बसों को न चलने देने के एचआरटीसी के हालिया फैसले ने लोगों को अधिक असुविधा पैदा की है। हर दिन 3 लाख छात्र स्कूलों में आते-जाते हैं, लेकिन ताजा फैसले के बाद ऐसा नहीं कर पाते हैं। हजारों कर्मचारी अपने कार्यालयों तक पहुंचने में असमर्थ हैं।
HRTC ड्राइवरों और कंडक्टरों के रनिंग स्टाफ को भर्ती करने में विफल रहा है। इन समस्याओं का कोई अस्थायी या स्टॉप गैप समाधान नहीं हो सकता है।
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