बीआईटीएस छात्र: यह कॉलेज है, कोई धंधा नहीं

बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी साइंस के सैकड़ों छात्र भारी फीस-बढ़ोतरी के खिलाफ पिलानी, गोवा और हैदराबाद के कैंपस में विरोध पर्दर्शन कर रहे हैं| बीआइटीएस प्रशासन ने हर वर्ष 15% फीस बढ़ोतरी की घोषणा की जिसके बाद से ही छात्र लगतार विरोध कर रहें है|
बीआईटीएस पिलानी के लगभग 3,000 छात्रों ने संस्थान के ऑडिटोरियम में रविवार को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन शुरू किया। लेकिन घंटों के भीतर, गोवा और हैदराबाद परिसरों के छात्रों ने भी अपने-अपने परिसरों में प्रदर्शन शुरू कर दिया| ‘यह कॉलेज है, कोई धंधा नहीं’ और ‘हम छात्र है, कोई एटीएम नहीं’ इन नारों के साथ छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं|
हैदराबाद के डायरेक्टर ने अपने अन्य सहयोगियों के साथ छात्रों को आश्वस्त किया कि वो उनकी चिन्ताओं की प्रशासन के अन्य सदस्यों के साथ चर्चा करेंगे।
हलांकि, छात्रों ने इसके बाबजूद भी अपना शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी रखा है | इसमें महत्वपूर्ण यह है कि अंतिम परीक्षाओं के बीच भी छात्र भारी संख्या में इस विरोध प्रदर्शन में भागा ले रहे हैं।
रिपोर्टों के अनुसार बीआईटीएस के तीनों परिसरों के छात्र 2018-19 के बढ़ी हुई फीस संरचना के खिलाफ एकजुट होकर अपने-अपने परिसरों में प्रदर्शन कर रहें है | वहाँ के छात्रों के अनुसार 2011 से फीस दोगुनी हो गई है | वर्ष 2011 में बीआइटीएस की फीस में 56% की वृद्धि हुई और इसके बाद से लगतार फीस में बढ़ोतरी जारी है | अब बीआईटीएस में शिक्षा तक पहुँच (affordability) का सवाल पैदा हो गया हैं |
छात्रों ने फीस-बढ़ोतरी को लेकर एक सोशल मीडिया पर एक आन्दोलन #'rollbackBITSPilaniFeeHike' और #‘BITSagainstfeehike’ के साथ शुरू किया जो कुछ ही समय में सोशल मिडिया पर फैल गया और उस पर अपनी प्रतिक्रिया देने लगे|
सोशल मिडिया पर कुछ छात्रों ने कहा कि परीक्षा के दौरान बिजली काट दी जाती है, इंटरनेट बहुत धीरे चलता है | कुछ डिपार्टमेंट ऐसे है जिनके छात्र केवल ऑनलाईन पढ़ाई पर ही निर्भर हैं | ऐसी हालत में सिर्फ डिग्री के लिए एक समेस्टर का लगभग 2 लाख रूपये मुझसे देने के लिए कहा जा रहा है| हैदराबाद परिसर एक छात्र ने ट्वीट कर अपना रोष प्रकट किया |
ये कोई पहली बार नहीं है निजी शिक्षणसंस्थान ने मनमानी फीस बढ़ोतरी की हो, इस प्रकार की घटनाएँ आए दिन सामने आती रहती हैं | इन संस्थानों को समझना होगा कि वो निजी ज़रुर हैं, परन्तु उनको छात्रों के प्रति जबाबदेह होना पड़ेगा कि वो हर वर्ष 15% की बढ़ोतरी क्यों कर रहे हैं? जबकि किसी प्रकार की सुविधाओं में कोई परिवर्तन नहीं है | यहाँ सवाल शिक्षा के बाज़ारीकरण के साथ-साथ, प्रक्रियाओं की पारदर्शिता का भी है, क्योंकि ये संस्थान कभी नहीं बताते कि पैसे कहाँ जा रहे है और वो छात्रों के लिए कैसे मददगार होगा |
इस आन्दोलन को लगतार सोशल मिडिया पर समर्थन मिल रहा है, आने वाले समय में इस आंदोलन के और विस्तार की संभवना है |
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