5 सितंबर की महापंचायत से पहले बोले किसान नेता- मुज़फ़्फ़रनगर में दंगों की राजनीति को दफ़न कर देंगे

नई दिल्ली: हरियाणा के करनाल में लाठी चार्ज के खिलाफ़ लंबे संघर्ष के लिए किसान तैयारी कर रहे हैं, जिसमें एक किसान की मौत हो गई थी। लेकिन इस बीच 5 सितंबर को मुज़फ़्फ़र नगर में होने वाली "महापंचायत" की तैयारियां भी पूरे जोर-शोर से हो रही हैं।
प्रदर्शनकारी किसान तीन कृषि कानूनों, विद्युत (संशोधन) अधिनियम और न्यूनतम समर्थन मूल्य के नीचे अनाज खरीदने पर सजा देने वाले कानून के खिलाफ़ "शक्ति प्रदर्शन" के लिए तैयार हो रहे हैं। इन कानूनों के खिलाफ़ किसान पिछले 9 महीनों से प्रदर्शन कर रहे हैं।
40 किसान संगठनों का साझा मंच- सम्युक्त किसान मोर्चा (SKM) उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के हर संभाग में महापंचायत करने का फ़ैसला कर चुका है, बता दें अगले साल की शुरुआत में चुनाव होने वाले हैं। इन प्रदर्शनों का मक़सद लोगों को इन कानूनों के बारे में जागरुक बनाना और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर इनके प्रभाव के बारे में बताना है।
अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS) के वरिष्ठ नेता डॉ डी पी सिंह का कहना है कि यहां किसानों का बहुत कुछ दांव पर लगा हुआ है। न्यूज़क्लिक से बात करते हुए सिंह ने कहा कि SKM ने प्रदर्शन स्थल पर पड़ोसी जिलों से लोगों को लाने के लिए बड़े पैमाने पर प्रबंध किए हैं। उन्होंने कहा, "हालांकि हमारे पास सीमित संसाधन हैं, पर हमने सिर्फ़ बुलंदशहर से ही लोगों को लाने के लिए 100 बसों का इंतजाम किया है। दूसरे पड़ोसी जिलों में भी ऐसे ही प्रबंध किए गए हैं।"
डी पी सिंह के मुताबिक़ केंद्र में मोदी सरकार और प्रदेश में योगी सरकार की संवेदनहीनता के खिलाफ़ लोगों में बहुत गुस्सा है। उन्होंने कहा, "मोदी-योगी के खिलाफ़ गुस्से को देखते हुए मेरा अनुमान है कि प्रदर्शन स्थल पर जगह की कमी पड़ जाएगी। इन रैली के तीन बुनियादी उद्देश्य हैं- बड़े पैमाने पर लोगों का इकट्ठा करना, केंद्रीय कानूनों का पर्दाफाश करना और संसद में इन कानूनों को सुरक्षा देने वाली बीजेपी को हराना। हम घर-घर जाकर अभियान चला रहे हैं और प्रखंड व ग्राम स्तर पर बैठकें कर रहे हैं। 5 सितंबर को होने वाली महापंचायत पहली बैठक है, जिसके बाद दूसरे संभागों में ऐसी ही बैठकों का आयोजन किया जाएगा।"
SKM ने एक वक्तव्य में कहा कि मंगलवार को तैयारी के लिए हाथरस के सादाबाद में हुई बैठक में बड़ी भीड़ उमड़ी।
जब हमने पूछा कि इस तरह की बैठक सबसे पहले मुज़फ़्फ़रनगरमें क्यों आयोजित की जा रही है, तो सिंह ने कहा, "किसान संगठनों के बीच आम सहमति है कि इस तरह की बैठक के लिए मुज़फ़्फ़रनगरसही जगह है, क्योंकि देश में सांप्रदायिक तनाव फैलाने के लिए बीजेपी उसी जगह का इस्तेमाल करती रही है।"
AIKS के नेता ने कहा कि पिछले नौ महीनों में किसान आंदोलन एकजुटता को मजबूत करने वाला रहा है। इस आंदोलन ने जाति और धर्म की रुकावटों के परे जाकर लोगों को एकजुट करने का काम किया है। उन्होंने कहा, "इस महापंचायत और बाद की समग्र कार्रवाईयों के ज़रिए, हम तय करेंगे कि मुज़फ़्फ़र नगर में दंगों की राजनीति ख़त्म हो जाए।"
जब हमने पूछा कि क्या उन्हें बीजेपी के पारंपरिक गढ़ पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी ऐसी ही प्रतिक्रिया का अनुमान है तो सिंह ने कहा कि "पिछले कुछ महीनों में ज़मीन पर स्थिति में बहुत ज़्यादा बदलाव आया है।"
उन्होंने कहा, "गाजीपुर सीमा पर हमने गोरखपुर और बलिया जैसे जिलों से किसानों की भागीदारी देखी। तथ्य यह है कि लोगों को बहुत ज़्यादा दबाया जा रहा है और आंदोलन ने उन्हें एक आवाज़ दी है।"
SKM उत्तराखंड के एक अहम पदाधिकारी जगतार सिंह बाजवा ने न्यूज़क्लिक को बताया कि प्रदेश के तराई क्षेत्र और रामपुर, लखीमपुर खैरी व पीलीभीत के आसपास के जिलों में 5 सितंबर की रैली को लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं।
न्यूज़क्लिक से फोन पर बात करते हुए बाजवा ने कहा कि स्वयंसेवक ग्राम और प्रखंड स्तर पर लगातार बैठकों का आयोजन करते हुए इन जल्दबाजी में बनाए गए इन बेकार कानूनों की बारीकियां लोगों को समझा रहे हैं।
हर आंदोलन की अपनी विशेषता होती है। लोकतंत्र में जब शिकायतों को सुना नहीं जाता, तो आखिर में आप लोगों के पास जाते हैं और उनसे चुनावी ढंग से अपनी फ़ैसले को सही करने की अपील करते हैं। हम भी अपने भाईयों के पास जा रहे हैं और उन्हें अपने साथ हुए अन्याय के बारे में बता रहे हैं। हम उनसे कह रहे हैं कि आप "बीजेपी से अपना रवैया बदलने के लिए कहिए।"
करनाल लाठी चार्ज प्रदर्शन
एक अलग घटनाक्रम में हरियाणा की चार वामपंथी पार्टियों (सीपीआई(एम), सीपीआई, सीपीआईएमएल लिबरेशन, एसयूसीआई(कम्यूनिस्ट) ने घोषणा करते हुए कहा है कि वे 1 सितंबर से बासाताड़ा (करनाल) में हुए लाठी चार्ज के खिलाफ़ प्रदर्शन शुरू करेंगे, जिसमें करनाल के एसडीएम आयुष सिन्हा के खिलाफ़ कार्रवाई की मांग की जाएगी, जिन्होंने किसानों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर "बर्बर लाठी चार्ज" का आदेश दिया था।
चारों वामपंथी पार्टियों ने एक बैठक कर करनाल एसडीएम को निलंबित करने, उनके खिलाफ़ IPC की धारा 302, 120 B के तहत मुक़दमा दर्ज करने और मामले में हरियाणा सरकार द्वारा न्यायिक जांच का आदेश दिए जाने की मांग की। नेताओं ने शहीद किसान सुशील काजल के परिवार को ऊचित मुआवज़ा दिए जाने की भी मांग की।
वामपंथी पार्टियों ने अपनी जिला समितियों और ईकाईयों से 1 सितंबर को सरकार का पुतला जलाने और प्रदर्शन के बाद अपने उपायुक्त कार्यालय के ज़रिए राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने को कहा है।
एक अंतरिम मदद के तौर पर AIKS के नेता शहीद किसान के परिवार से मिले और उन्हें एक लाख रुपये का चेक सौंपा है।
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'Will Bury Politics of Riots in Muzaffarnagar’, says Farmer Leader Ahead of Sept 5 Mahapanchayat
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