डब्ल्यूएचओ द्वारा कोवैक्सिन का निलंबन भारत के टीका कार्यक्रम के लिए अवरोधक बन सकता है

02 अप्रैल के दिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने आधिकारिक तौर पर संयुक्त राष्ट्र की खरीद एजेंसियों के माध्यम से कोवैक्सिन की आपूर्ति को निलंबित करने की घोषणा की थी। कोविड-19 के खिलाफ भारत के पहले स्वदेशी टीके के रूप में विख्यात, कोवैक्सिन का निर्माण भारत बायोटेक इंडिया लिमिटेड (बीबीआईएल) के द्वारा अग्रणी शोध संस्थान - इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च के सहयोग से किया जाता है।
डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि “निलंबन 14 से 22 मार्च 2022 तक चले डब्ल्यूएचओ के निरीक्षण के निष्कर्ष के बतौर आया है, और हाल ही में गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज में जिन कमियों को पहचाना गया है को दूर करने के लिए प्रकिया और सुविधाओं को परिष्कृत किये जाने की जरूरत है।
हालाँकि, इस विकास-क्रम ने उत्साह को हतोत्साहित कर दिया होगा, विशेषकर जब कुछ दिनों पहले 28 मार्च को, बीबीआईएल के संस्थापकों को भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, पद्म भूषण से सम्मानित किया गया हो।
एक दिन पहले, बीबीआईएल ने घोषणा की थी कि इसने, “खरीद करने वाली संस्थाओं को अपनी आपूर्ति की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने और मांग में कमी को देखते हुए”, यह कोवैक्सिन के उत्पादन को अस्थाई रूप से धीमा करने जा रहा है।
जीएमपी एक गुणवत्ता को आश्वस्त करने वाला पहलू है जो इस बात को सुनिश्चित करता है कि औषधीय उत्पादों के सतत उत्पादन और समुचित गुणवत्ता वाले मानकों पर नियंत्रण किया जाता है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, जीएमपी उत्पादन एवं गुणवत्ता नियंत्रण दोनों के लिए गुणवत्ता उपायों को परिभाषित करता है और यह सुनिश्चित करने के लिए उन सामान्य उपायों को परिभाषित करता है कि उत्पादन और जांच के लिए आवश्यक प्रक्रियाएं स्पष्ट रूप से परिभाषित, वैध, समीक्षित एवं दस्तावेजित हैं, और यह कि कर्मचारियों, परिसर एवं समाग्रियों के लिए टीकों सहित दवाओं और जैविक उत्पादों के उत्पादन के लिए सर्वथा उपयुक्त हैं। इसमें क़ानूनी पहलू भी शामिल हैं, जिसमें वितरण, ठेके पर निर्माण, एवं परीक्षण और उत्पाद में खामियों और शिकायतों के लिए कार्यवाही की जिम्मेदारियां शामिल हैं।
कोवैक्सिन के मामले में, हालाँकि डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि जोखिम आकलन कहीं से भी जोखिम-लाभ अनुपात में बदलाव का संकेत नहीं देता है और यह कि आंकड़ा इस बात को दिखाता है कि टीका प्रभावी है, और इसमें सुरक्षा को लेकर चिंता करने की कोई वजह नहीं है। फिर भी इसने सिफारिश की है कि जो देश टीके का उपयोग कर रहे हैं, वे इस बारे में उचित कार्यवाही करें।
ट्विटर पर अपने जवाबी पत्र में, बीबीआईएल ने कहा है कि “सुविधा रख-रखाव, प्रकिया एवं सुविधा अनुकूलन गतिविधियाँ” लंबित पड़ी थीं, क्योंकि इसकी सभी सुविधायों को कोविड-19 आपातकालीन सेवाओं के लिए लगा दिया गया था। इसने कहा है कि यह अब “जितनी जल्दी संभव हो” इन सुविधाओं के उन्नयन पर ध्यान केंद्रित करेगा और नियोजित सुधार की गतिविधियों को लागू करेगा।
डब्ल्यूएचओ ईयूएल/पीक्यू मूल्यांकन प्रक्रिया की बाधाओं को पार करने और 3 नवंबर, 2021 को डब्ल्यूएचओ से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद भारत सरकार ने कथित तौर पर कोवैक्सिन के लिए और ज्यादा देशों से अनुमोदन हासिल करने के लिए कूटनीतिक चैनलों का इस्तेमाल किया था। यूनिसेफ मार्केट डैशबोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, अब तक ऐसे करीब 15 देश हैं जिन्होंने कोवैक्सिन के उपयोग को मंजूरी दे रखी है। इनमें कोमोरोस, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, इथियोपिया, मारीशस, पैराग्वे, फिलीपींस, बोत्सवाना, ईरान, बहरीन, नेपाल, जिम्बाब्वे, मेक्सिको, वियतनाम और मलेशिया और सबसे नवीनतम ओमान है जिसने मार्च 2022 में अनुमोदन दिया है।
इस मुद्दे पर प्रतिकिया देते हुए, मेडेसिंस साँस फ्रंटिएरेस (एमएसएफ) एक्सेस कैंपेन के लिए दक्षिण एशिया प्रमुख, लीना मेंघनी बताती हैं कि “डब्ल्यूएचओ पूर्व-योग्यता प्रणाली विकाशील देशों, विशेषकर निम्न-आय वाले देशों के लिए एक नियामक निकाय के तौर पर है, जिनके पास अन्य अधिकार क्षेत्रों में उत्पादित टीकों और दवाओं का मूल्यांकन करने की क्षमता नहीं है। जीएमपी निरीक्षण और इसमें सुधार के लिए पूछना एक रूटीन कार्यवाई है। फार्मा और बायो-फार्मा क्षेत्र में जीएमपी के मुद्दे नियमित रूप से उठते रहते हैं। वास्तव में, यदि कोई नियामक निकाय जीएमपी ऑडिट कर रहा है तो इसे भारतीय सीडीसीएसओ सहित अन्य नियामक निकायों द्वारा स्वचालित रूप से उपयोग में लेना चाहिए। गुणवत्ता आश्वासन आंशिक तौर पर तकनीकी मामला है लेकिन उत्पाद के प्रति लोगों की धारणा भी मायने रखती है। इसलिए, बीबीआईएल को घरेलू और निर्यात के संदर्भ में इसे तत्काल संबोधित करना चाहिए।
न्यूज़क्लिक ने इन मुद्दे पर कुछ प्रश्नों के जवाब खोजने के लिए बीबीआईएल को एक ईमेल भेजा था, लेकिन इस लेख के प्रकाशन तक इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
कोवैक्सिन विवाद एक बार से अधिक
इससे पहले मार्च 2021 में, डब्ल्यूएचओ के द्वारा ईयूएल अनुदान से काफी पहले, बीबीआईएल के कोवैक्सिन को एक खराब दौर से गुजरना पड़ा था, जब ब्राज़ील ने इसकी खेप को ख़ारिज कर दिया था और बीबीआईएल पर अनुबंध में अनियमितता बरतने और लॉबिंग करने का आरोप लगाया था। इस काण्ड को ब्राज़ील में “कोवैक्सिनगेट” के तौर पर जाना गया, और अंततः इस अनुबंध को रद्द कर दिया गया। इस पूरे विवाद के बारे में आधिकारिक सूत्रों से कुछ ख़ास निकलकर नहीं आया है।
जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय संकाय के प्रोफेसर बिस्वजीत धर की राय में, “कोवैक्सिन को लेकर पहले भी कुछ मुद्दे बने हुए थे, लेकिन अब डब्ल्यूएचओ ने हमें कह दिया है कि भारत बायोटेक “गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज” का पालन नहीं कर रहा था। डब्ल्यूएचओ के इस अवलोकन का भविष्य में भारत के टीका कार्यक्रम के लिए निहितार्थ यह हो सकता है जब तक कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम नहीं उठाती है कि भारत बायोटेक सभी जीएमपी जरुरतों को जल्द से जल्द पूरा करेगा। कई टिप्पणीकारों ने तर्क दिया है कि भारत न सिर्फ कोवाक्सिन का निर्यात कर सकता है, बल्कि अन्य देशों में निर्माताओं के साथ संयुक्त उद्यम भी लगा सकता है।”
उन्होंने आगे कहा, “भारत एवं अन्य विकाशील देशों में अभी भी आबादी का एक अच्छा-खासा अनुपात है, जिसका अभी पूरी तरह से टीकाकरण किया जाना शेष है। भारत सरकार के पास अब कोवैक्सिन की प्रभावकारिता और सुरक्षा के बारे में सभी चिंतित लोगों को समझाने का कार्यभार है। सरकार को लोगों के बीच में भरोसे जगाने की जरूरत है। और उन्हें आश्वस्त करना होगा कि भारत बायोटेक को सिर्फ प्रक्रियात्मक मुद्दों को हल करने की आवश्यकता है, और यह कि उत्पाद पूरी तरह से सुरक्षित है।”
भारत में, सुरक्षा संबंधी चिंताएं और भी अधिक महत्वपूर्ण मुद्दा इसलिए है क्योंकि दिशा-निर्देशों के मुताबिक, 15-18 आयुवर्ग के व्यक्तियों को सिर्फ कोवैक्सिन ही दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, जिन वयस्कों को कोवैक्सिन की 2-डोज दी गई है, उनको बूस्टर डोज के तौर पर कोवैक्सिन ही दी जा रही है।
07 अप्रैल तक, 15-18 वर्ष के आयु वर्ग समूह के करीब 9.9 करोड़ लोगों में से, करीब 3.9 करोड़ लोगों का पूर्ण टीकाकरण हो चुका था, और 1.8 करोड़ को सिर्फ पहली खुराक ही मिली थी। अभी भी एक बहुत बड़ा हिस्सा है जिसका टीकाकरण किये जाने की आवश्यकता है। सवाल यह है कि डब्ल्यूएचओ के द्वारा निलंबित किये जाने की स्थिति में, क्या भारत में इस आयु वर्ग के लिए कोवैक्सिन के इस्तेमाल और आगे के टीकाकरण को रोक दिया जायेगा?
कई प्रश्न अभी भी अनुत्तरित हैं। घरेलू स्तर पर और उन देशों में जहाँ कोवैक्सिन को उपयोग में लाया जा रहा है, वैक्सीन से सुरक्षा के संबंध में लोगों के बीच किसी भी संदेह या आशंकाओं को दूर करने के लिए, भारत सरकार और बीबीआईएल को पारदर्शिता को अपनाने की जरूरत है। उन्हें चीजों को सार्वजनिक दायरे में रखने और नियमित रूप से घटनाक्रम के बारे में संप्रेषित करने एवं डब्ल्यूएचओ द्वारा बताई गई कमियों को तत्काल दुरुस्त करने की आवश्यकता है।
अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें
WHO’s Suspension of Covaxin Could be Hindrance for India’s Vaccine Programme
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