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सुब्रह्मण्यम स्वामी, मोदी, चीन और अमेरिका

सुब्रह्मण्यम स्वामी के आरोप कोई कम गंभीर नहीं हैं। लेकिन बीजेपी और मोदी जी उधर ध्यान ही नहीं दे रहे।
swami and modi

आजकल बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंह सिल लिये हैं। बाकी मुद्दों पर तो वे हवा में तलवारबाजी कर भी ले रहे हैं, लेकिन अपने ही पूर्व सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी के उठाये सवालों पर चुप्पी साध ली है। कुछ इस मुहावरे के अंदाज में कि “हाथी अपनी चाल चलता रहता है, कुत्ते भौंकते रहते हैं”। लेकिन स्वामी जी को इतना कम करके आंकना भी ठीक नहीं। 

स्वामी जी जिसके पीछे लगते हैं चाणक्य की तरह उसका सर्वस्व नाश भले न कर पायें पर उसकी तकलीफ बहुत बढ़ा देते हैं। नेशनल हेराल्ड मामले में गांधी परिवार की जो तकलीफ बढ़ी हुई है उसकी जड़ में सुब्रह्मण्यम स्वामी ही हैं। उन्होंने ही इस मुद्दे को उठाया और अदालत ले गये। राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर आदालतों में जो मुकदमे हैं वो भी सुब्रह्मण्यम स्वामी की ही देन हैं। ये अलग बात है कि इन दोनों ही मामलों में उनकी बंदरकूद के बावजूद कुछ खास नहीं हो पा रहा क्योंकि मामलों में ही दम नहीं है। लेकिन मोदी जी का मामला थोड़ा अलग है।

जानकारों को पता है कि सुब्रह्मण्यम स्वामी अमेरिका और कई प्रभावशाली लोगों के संपर्क में रहे हैं। इनको वहां के बारे में अच्छी-खासी जानकारी भी है। वे खुद भी कहते हैं कि वे वहां जब कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे तो उनकी वहां के कई लोगों से बातचीत होती थी। चीन को लेकर भी वे वैसा ही दावा करते हैं। तो वही सुब्रह्मण्यम स्वामी आजकल मोदी जी के पीछे पड़े हुए हैं। वे एक से एक गंभीर आरोप मोदी जी पर लगा रहे हैं। पहले वे कहते थे कि मोदी के राज चीन के पास हैं, इसलिए मोदी जी चीन का नाम नहीं लेते। फिर वे कहने लगे कि मोदी का राज अमेरिका के पास भी है, इसलिए मोदी ट्रंप का नाम नहीं लेते। 

उन्होंने अपनी बात को और आगे बढ़ाते हुए कहा कि मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो अमेरिका ने उनके खिलाफ एक फाइल तैयार की थी। वो तो मोदी जी प्रधानमंत्री बन गये इसलिए इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। 

अब स्वामी एक कदम और आगे बढ़े हैं। वे कह रहे हैं कि अगर मोदी जी प्रधानमंत्री पद से हटे तो उनका बाकी का जीवन सलाखों के पीछे जेल में गुजरेगा। 

ये आरोप कोई कम गंभीर नहीं हैं। लेकिन बीजेपी और मोदी जी उधर ध्यान ही नहीं दे रहे। जबकि इसके उलट अगर कोई सोशल मीडिया पर मोदी जी या इनकी सरकार या बीजेपी की किसी सरकार के खिलाफ थोड़ा नकारात्मक भी लिख दे रहा है तो उसके खिलाफ एफआईआर कराई जा रही है और उसे जेल भेज दिया जा रहा है। आखिर क्या वजह है कि मोदी जी सुब्रह्मण्यम स्वामी के इतने गंभीर आरोपों पर चुप हैं ? क्या इसलिए कि सुब्रह्मण्यम स्वामी बीजेपी के नेता हैं या कोई और बात है?

बीजेपी से जुड़े हैं इसलिए इनको माफ किया जा रहा है, ऐसा तो नहीं लगता। क्योंकि यह सर्व विदित है कि मोदी जी के खिलाफ इस समय पार्टी यहां तक कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में भी किसी की बोलने की हिम्मत नहीं है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की खूब चर्चा होती है कि उन्होंने सरकार के खिलाफ ये बोल दिया, वो बोल दिया पर आपने ध्यान दिया होगा कि वे भी संकेतों में ही बात करते हैं। सीधे कभी मोदी या सरकार का नाम नहीं लेते। इसी तरह आपने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत को भी देखा होगा। उन्होंने भी सरकार को बहुत सारे उपदेश दिये। परोक्ष तौर पर मोदी जी को भी बहुत सारे उपदेश दिये। लेकिन कभी खुलकर उनका या उनकी सरकार का नाम नहीं लिया। इससे पहले महाराष्ट्र के सांसद नाना पटोले ने जब एक बैठक में मोदी जी की आलोचना की तो उन्हें पार्टी छोड़नी पड़ी।

अभी हाल ही में सुब्रह्मण्यम स्वामी ने एक पॉडकास्ट पर बात की। इसमें उन्होंने चीन को लेकर बात करते हुए कहा कि “लाल आंख किसको दिखाया? चीन को दिखाया? तुम्हें दिखाया, अखबार वालों को दिखाया। चीन को तो नहीं दिखाया। चीन को दिखाएगा तो वो बोलेगा कि जब तुम मुख्यमंत्री थे, तब तुमने जो भी किया, उसका वीडियो है मेरे पास। वो दे देंगे। आप जानते नहीं हम कितने चीन के निकट थे। इसके बारे में उनके पास इतने बड़े ( हाथ से इशारा करते हुए ) दस्तावेज हैं। 

पॉडकॉस्ट के पत्रकार ने पूछा क्या अमेरिका के पास भी दस्तावेज हैं? तो सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि हां हैं। इसीलिए तो ये दोनों के सामने कुछ नहीं बोल सकता। वो कहता...युद्ध विराम तो ये कहता है भाई युद्ध विराम...वो कहता दोनों बैठो तो ये हां भाई बैठ गए। क्या बैठना पाकिस्तान के साथ। हम तो चीन और अमेरिका से अपने संबंध समझते थे। लेकिन अब तो वो हमारा नाम ही नहीं लेते। अब तो चीन और अमेरिका बस।” 

सुब्रह्मण्यम स्वामी जो कह रहे हैं उसका साफ-साफ मतलब यह निकलता है कि प्रधानमंत्री चीन और अमेरिका के द्वारा ब्लैक मेल किये जा रहे हैं। ये बहुत गंभीर मामला है। अब यहां सवाल सिर्फ नरेंद्र मोदी का नहीं है। बल्कि 143 करोड़ देशवासियों के प्रधानमंत्री का है। यह मामला अब व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप से बहुत आगे बढ़कर देश के हित को गंभीर रूप से प्रभावित करने वाला बन गया है। अभी तक माना जाता था कि जो भी नीतियां केंद्र सरकार बनाती है वह इस देश की कैबिनेट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश हित को ध्यान में रखकर बनाती है। लेकिन सुब्रह्मण्यम स्वामी जो कह रहे हैं उससे तो ऐसा लग रहा है कि सरकार चीन और अमेरिका से ब्लैक मेल होने के दबाव में ऐसे फैसले ले रही है। आखिर मोदी जी की कौन सी फाइल चीन और अमेरिका के पास है ? कौन सा उनका वीडियो दोनों देशों के पास है? 

प्रधानमंत्री या फिर बीजेपी को सामने आना चाहिए। बोलना चाहिए कि सुब्रह्मण्यम स्वामी झूठ बोल रहे हैं। इतना ही नहीं इतने गंभीर आरोप लगाने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। और अगर कोई वीडियो या दस्तावेज चीन, अमेरिका के पास है भी तो भी मोदी जी को डरना नहीं चाहिए। वो देश के हैं। देश के लोग उनके अपने हैं। अपनी बात अपने लोगों के सामने रखनी चाहिए। गलती किसी से भी हो सकती है। अगर हुई है तो देश के लोग उसे माफ करेंगे और चीन और अमेरिका के सामने खुद खड़े होंगे। आखिर अगर कोई महिला या अपराधी गैंग किसी का आपत्ति जनक वीडियो बना लेता है या कोई फाइल उसके खिलाफ तैयार कर लेता है तो वह व्यक्ति क्या करता है ? डरता है तो ब्लैक मेल होता है और हिम्मत दिखाता है तो वह पुलिस के पास जाता है। साइबर सेल के पास जाता है। ऐसे अपराधियों को पकड़वाता है। अगर चीन और अमेरिका ब्लैक मेल कर रहे हैं तो वो भी किसी अपराधी से कम नहीं हैं। मोदी जी को देश की जनता के सामने आना चाहिए, चीन और अमेरिका का डट कर मुकाबला करना चाहिए। देश के 143 करोड़ लोग उनका साथ देंगे। मुझे इसमें रत्ती भर भी संदेह नहीं।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

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