दक्षिण अफ्रीका : सबसे बड़ी डेयरी कंपनी में कोरोना के 5 मामले आने के बाद यूनियनों ने कंपनी बन्द करने को मजबूर किया

दक्षिण अफ्रीका की सबसे बड़ी डेयरी कंपनी क्लोवर इंडस्ट्रीज लिमिटेड के ब्लोम्फोनेटिन संयंत्र में पांच कर्मचारियों में COVID -19 पॉजिटिव पाए जाने के बाद जनरल इंडस्ट्रीज वर्कर्स यूनियन ऑफ साउथ अफ्रीका(जीआईडब्ल्यूयूएसए) के सदस्यों ने 29 अप्रैल को संयंत्र को बंद करने के लिए मजबूर किया।
संयंत्र में वायरस के प्रसार के लिए "नियोक्ता के लालच और लापरवाही" को दोषी ठहराते हुए यूनियन ने एक बयान में कहा कि "जब पहले मामले की सूचना सामने आई थी तो क्लोवर प्रबंधन ने शारीरिक दूरी को सुनिश्चित करने के लिए कुछ भी नहीं किया और... संक्रमित श्रमिकों को उनकी आय की गारंटी के साथ क्वारंटीन किया जा सकता था।"
दूसरे श्रमिक की जांच पॉजिटिव आने के बाद ही कंपनी के प्रबंधन ने इस संयंत्र में काम करने वाले लगभग 100श्रमिकों के परीक्षण की व्यवस्था की। इस बीच, जो कर्मचारी संक्रमित थे उन्हें सेल्फ-आईसोलेशन के बजाय काम करने के लिए रिपोर्ट करनी पड़ी जिससे अन्य श्रमिक संक्रमण की चपेट में आ गए। जीआईयूयूयूएसए ने कहा, "यही निश्चित रूप से अब संयंत्र में वायरस के तेज़ी से फैलने का कारण बना है।"
दूसरे मामले के बाद भी कंपनी ने उत्पादन जारी रखा और श्रमिकों को 28 अप्रैल की रात की शिफ्ट में करने को कहा।
यूनियन ने यह मांग की कि श्रम विभाग कंपनी को"स्वास्थ्य और सुरक्षा दायित्वों के घोर उल्लंघन के लिए ज़िम्मेदार ठहराए"। यूनियन ने "क्लोवर के आचरण कीआपराधिक जांच और इन अपराधों के लिए जिम्मेदारलोगों पर मुकदमा चलाने" की मांग की।
नियोक्ता द्वारा श्रमिकों की सुरक्षा के बदले मुनाफे को प्राथमिकता देने के चलते बनी स्थिति के अंतिम उपाय के रूप में यूनियन ने "सभी के लिए सुरक्षित कार्य स्थितियों की गारंटी देने" के लिए "क्लोवर के तत्काल राष्ट्रीयकरण"की भी मांग की।
हालांकि ब्लॉमफ़ोन्टेन प्लांट में लगभग 100 कर्मचारी ही कार्यरत हैं, जिनमें से 70 कर्मचारी जीआईडब्ल्यूयूएसएके सदस्य हैं। इस कंपनी का देश भर में कई संयंत्र है और इसका राष्ट्रीय पहचान है। यूनियनों ने धमकी दी है कि यदि कंपनी उनकी मांगों को पूरा नहीं करती है तो वे इसके सभी संयंत्रों में हड़ताल कर सकते हैं।
जीआईडब्ल्यूयूएसएए के अध्यक्ष मैमेत्लवे सेबी ने पीपल्स डिस्पैच से कहा, "हालांकि ऐसा लग सकता है कि उनके दृष्टिकोण से कोई फर्क नहीं पड़ता है, चाहे हमें हड़ताल करना हो या उन्हें बंद करना हो, वास्तव में वे हड़ताल से बहुत कुछ खोने वाले हैं"।
साभार : पीपल्स डिस्पैच
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