कटाक्ष: तीसरी लहर को आने दो, लगे रहो छोटा भाई!

शुक्रिया, शुक्रिया, शुक्रिया। छोटा भाई का तहे दिल से शुक्रिया। आखिर, छोटा भाई बोले तो सही। क्या हुआ कि परायी दिल्ली में नहीं, अपने गुजरात में ही जाकर बोले, मगर बोले तो सही। माना कि सीना तानकर नहीं, जरा दबी जुबान में बोले, मगर बोले तो सही। माना कि जीत का एलान नहीं किया, फिर भी कम से कम इतना तो कहा कि कोरोना की दूसरी लहर को ‘‘नियंत्रित’’ कर लिया गया है। वर्ना ऐसा लगता था कि पहली लहर ने मोटा भाई को जो धोखा दिया था, उसके बाद अब कोई कोरोना की लहर के इशारों पर विश्वास ही नहीं करेगा। तेजी से चढऩे के बाद, केस चाहे नीचे खिसकने भी लग जाएं, पर अब कोई जल्दी से कोरोना की छुट्टी होने का एलान नहीं करेगा। भागवत जी के असीम पॉजिटिविटी की डिमांड करने के बाद भी, मोटा भाई को फिर से जीत का एलान करने के लिए, अभी और न जाने कितना इंतजार करना पड़ेगा।
पर अब और नहीं। छोटा भाई के मैदान संभालने के बाद नहीं। अब तो धड़का खुल चुका है। अब क्या है: अब तो हरेक प्रवक्ता, हरेक भक्त, हरेक ट्रोल, नियंत्रित किया, काबू किया का गीत गाएगा और हरेक गोदी चैनल उसे चौबीसो घंटे दोहराएगा। कहने की जरूरत तो नहीं थी, फिर भी छोटा भाई ने किसी गफलत की गुंजाइश नहीं छोड़ी और शुरू में ही साफ कर दिया है कि मोटा भाई के ही नेतृत्व में, दूसरी लहर को नियंत्रित किया गया है। और मोटा भाई कोई भी काम करेंगे, तो विश्व रिकार्ड से कम तो क्या बनेगा? सो फिलहाल बहुत कम समय में नियंत्रित करने के दावे से शुरू जरूर किया है, लेकिन जल्दी ही रिकार्ड समय में और फिर विश्व में सबसे कम समय में, नियंत्रित करने का माहौल बन जाएगा। जब हम टीकों की भारी किल्लत के बाद भी दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण कार्यक्रम के ऊपर से, अब दुनिया के सबसे तेज टीकाकरण का भी चमत्कार कर सकते हैं, तो दूसरी लहर में दुनिया में सबसे ज्यादा सक्रमणों और मौतों के बाद, कोरोना की दूसरी लहर पर सबसे कम समय में नियंत्रण क्यों नहीं पा सकते हैं! टीके, बैड, दवाओं, आक्सीजन, श्मशान/ कब्रिस्तान को छोडक़र, हमारे पास किस चीज की कमी है। एक सौ तीस करोड़ लोगों का आशीर्वाद है, दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है और सबसे बड़ी बात, दुनिया का सबसे लोकप्रिय नेता है हमारे पास। और तो और, एशिया के धन्ना सेठ नंबर वन और धन्नासेठ नंबर टू भी हैं। फिर हमें कोविड की दूसरी लहर में विश्व रिकार्ड बनाने से कौन रोकेगा!
क्या कहा, लहर पर लहर? पहली के बाद दूसरी लहर का कहर! इस लहर के कहर के सबक! एक बात हम साफ कहे देते हैं कि हम मोटा भाई के न्यू इंडिया वाले, किसी लहर-वहर से डरने वाले हैं नहीं। हम न दूसरी से डरे और न किसी तीसरी-चौथी लहर से डरने वाले हैं। पहली को तो खैर हमने नोटिस लेते-लेते ही हरा दिया था। सो आएं जितनी भी लहरें आती हैं, हमें किसी लहर-वहर का डर नहीं है। हम तो लहरों से खेलने वालों में से हैं। सच पूछिए तो दूसरी लहर पर काबू पाने और उसे खत्म करने की जल्दी हमें कोई इसलिए नहीं है कि, इस वाली लहर ने नुकसान की अति कर दी है। माना कि लाशों की अति ने बाहर के देशों में मोटा भाई की तस्वीर बिगाड़ दी है, पर हम इस बार की तबाही के पॉजिटिव पहलू को क्यों भूल रहे हैं। हर रोज के केसों और मौतों में हमें नंबर वन भी तो इसी लहर ने बनाया है। नंबर वन की ऊंचाई तक पहुंचाने वाली लहर पर नियंत्रण पाने वाला तो, वैसे ही वर्ल्ड नंबर वन मान लिया जाएगा। हम तो इस दूसरी लहर की विदाई इसलिए चाहते हैं कि हम अब इससे बोर हो गए हैं। हम तो तीसरी लहर का स्वागत करने के लिए उतावले हो रहे हैं। पर दूसरी जाएगी, तभी तो तीसरी आएगी। अपने योगी जी ने तो पहले ही एलान कर दिया था कि दूसरी को छोड़ो, अब तो तीसरी को आने दो। अब तो खैर छोटा भाई ने, मोटा भाई के दूसरी लहर पर काबू पाने का बाकायदा एलान ही कर दिया है। टीकाकरण दुनिया में सबसे तेज है, पर टीके नहीं हैं। अब हमें तीसरी लहर से दो-दो हाथ करने से कोई नहीं रोक सकता है।
जाहिर है कि तीसरी लहर का स्वागत करने की हमारी उतावली को, मोटा भाई की नाकामी का मामला बनाने की कोशिश कोई नहीं करे। बेशक, दूसरी लहर में बहुत नुकसान हुआ है। दूसरी लहर में, पहली लहर से कई गुना ज्यादा नुकसान हुआ है। तीसरी लहर में, दूसरी लहर से भी ज्यादा नुकसान हो सकता है। लेकिन, इसका मोटा भाई की किसी नकामी से क्या लेना-देना है? अगर पहली लहर की नाकामी से दूसरी आयी है, तो अमरीका, इंग्लेंड में दूसरी लहर आने को क्या कहेंगे? उनके मोटा भाइयों की नाकामी! हम तो कहते हैं कि महामारी के मामले में पॉलिटिक्स को घुसाना ही नहीं चाहिए। लहर के बाद लहर आती है, यह तो प्रकृति का नियम है; इसमें राजनीति को क्यों लाना? और इसमें टीके लगने न लगने को भी क्यों लाना! हां सरकार यानी मोटा भाई को तो इसमें लाना ही पड़ेगा, आखिर उनके इशारे के बिना तो पत्ता वैसे भी नहीं हिलता है। ऊपर से देश में आपदा नियंत्रण कानून भी लागू है। पर नो राजनीति, नो सवाल-जवाब, ओन्ली मोटा भाई का हुक्म। उसके पालन में पंद्रह मिनट की देरी भी नहीं चलेगी। वर्ना छोटा भाई का डंडा चलेगा, जैसे अलपन बाबू पर चल रहा है।
तीसरी लहर को आने दो। अब यूपी के चुनाव मैं जुट जाने दो। लगे रहो छोटा भाई!
(इस व्यंग्य आलेख के लेखक वरिष्ठ पत्रकार और लोकलहर के संपादक हैं।)
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