पेगासस खुलासे के बाद वायर के दफ़्तर में पुलिस जांच: यह रूटीन चेकअप तो नहीं है जनाब!

दिल्ली स्थित समाचार पोर्टल ‘द वायर’ के संस्थापक एवं संपादक सिद्धार्थ वरदराजन ने अपने ट्विटर अकाउंट पर खुलासा किया कि उनके कार्यालय का शुक्रवार को एक पुलिसकर्मी ने दौरा किया और उनसे कुछ पूछताछ की। याद रहे है ये वही समाचार पोर्टल है जिसने भारत में पेगासस जासूसी कांड की रिपोर्ट जारी की है।
सिद्धार्थ ने कहा कि पुलिस ने अभिनेत्री स्वरा भास्कर और वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ के अलावा वायर की पत्रकार आरफा खानम शेरवानी के संबंध में भी सवाल पूछे।
उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “पेगासस प्रोजेक्ट के बाद द वायर के लिए कार्यालय में यह सिर्फ़ एक और दिन नहीं है। आज पुलिसकर्मी पहुँचे और बेहूदा पूछताछ की। उन्होंने पूछा- ‘विनोद दुआ कौन है?’ ‘स्वरा भास्कर कौन है?’ ‘क्या मैं आपका रेंट अग्रीमेंट देख सकता हूँ??’ ‘क्या मैं आरफ़ा से बात कर सकता हूँ?’
Not just another day at the office for @thewire_in after #PegasusProject
Policeman arrived today with inane inquiries. 'Who's Vinod Dua?' 'Who's Swara Bhaskar?' 'Can I see your rent agreement?' 'Can I speak to Arfa?'
Asked why he'd come: "Routine check for Aug 15"
Strange. pic.twitter.com/jk0a2dDIuS
— Siddharth (@svaradarajan) July 23, 2021
ये अपने आप में अजीब और गंभीर है कि पुलिस बिना किसी मज़बूत वजह के समाचार संस्थान के ऑफिस में जाती और पूछताछ करती है। इस पर दिल्ली पुलिस ने जो जवाब दिया वो बिल्कुल ही अटपटा और हास्यपद है।
सिद्धार्थ के ट्वीट पर DCP नई दिल्ली ने स्पष्टीकरण देते हुआ कहा कि पुलिसकर्मी 15 अगस्त, स्वतंत्रता दिवस से पहले नियमित पूछताछ के लिए उनके ऑफिस गए थे।
In the run up to Independence Day,security and anti-terrorist measures such as tenant verification,checking of guest houses etc are being taken throughout Delhi.Local beat officer had gone to verify an office which didn't bear any signboard at the entrance. Please see the photo. pic.twitter.com/tmQObWIXmq
— DCP New Delhi (@DCPNewDelhi) July 23, 2021
पुलिस ने लिखा, “स्वतंत्रता दिवस से पहले, सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी उपाय, जैसे- किरायेदार सत्यापन, गेस्ट हाउस की जाँच आदि पूरे दिल्ली में किए जा रहे हैं। स्थानीय पुलिस अधिकारी एक कार्यालय का सत्यापन करने गए थे, जिसके प्रवेश द्वार पर कोई साइनबोर्ड नहीं था। कृपया फोटो देखें।”
अब ये जबाब सुनने के बाद किसी भी तार्किक व्यक्ति के जहन में सवाल उठेगा कि आपने ऑफिस देखा और आपको पता चल गया कि ये समाचार संस्थान का ऑफिस है। फिर जो बेतुके सवाल पूछे उसका क्या मतलब है।
खैर पुलिस के इस स्पष्टीकरण पर सिदार्थ ने ट्वीट का रिप्लाई देते हुए सवाल किया कि आपके कांस्टेबल महेश चाहते थे कि द वायर के ऑफिस से कोई उन्हें लिखकर दे कि "विनोद दुआ, आसिफ़ खान और स्वरा भास्कर यहाँ काम नहीं करते है।" आपने जो पूछताछ का कारण बतया उससे इसका क्या लेना देना है।
The Mandir Marg PS knows The Wire office. That sign is for the other half of the building which is locked. But pls speak to Ct Mahesh, as I did, and find out why he was asking about Vinod Dua, Swara, Arfa, some Asif, & mumbling something about “koi kanpur case”. All very strange.
— Siddharth (@svaradarajan) July 23, 2021
वायर के पूर्व कर्मचारी और वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण कान्त ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि "... मैं अपने जीवन में पहली बार सुन रहा हूं कि 15 अगस्त के पहले मीडिया संस्थानों के दफ्तर में पुलिस रूटीन चेकअप के लिए जाती है। न्यू इंडिया में कुछ भी मुमकिन है। हैरानी की बात है।"
पुलिस पूछताछ की कुछ भी वजह बताए, लेकिन पुलिसकर्मी के वहाँ जाने से इसलिए संदेह उठने लगे हैं कि एक दिन पहले ही कोरोनाकाल में ग्राउंड रिपोर्ट करने वाले तीखे सवाल पूछने वाले अख़बार दैनिक भास्कर और न्यूज़ चैनल भारत समाचार चैनल के कार्यालयों पर छापे पड़े हैं। एडिटर्स गिल्ड ने भी शुक्रवार को ही कहा है कि पेगासस के मामले के बीच मीडिया घरानों पर छापे की कार्रवाई चिंता पैदा करने वाली है।
बता दें कि इजराइली कंपनी एनएसओ के पेगासस स्पाइवेयर पर हंगामा मचा है। द वायर दुनियाभर के उन 16 मीडिया संस्थानों में से एक है, जो पेगासस प्रोजेक्ट में शामिल थे। इसी वेबसाइट ने फ्रांस स्थित गैर-लाभकारी फॉरबिडन स्टोरीज और मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल के साथ मिलकर पेगासस की मदद से सबसे पहले जासूसी की खबर का खुलासा किया था। आरोप लगाए जा रहे हैं कि इसके माध्यम से दुनिया भर में लोगों पर जासूसी कराई गई। 'द गार्डियन', 'वाशिंगटन पोस्ट', 'द वायर' सहित दुनिया भर के 17 मीडिया संस्थानों ने पेगासस स्पाइवेयर के बारे में खुलासा किया है। एक लीक हुए डेटाबेस के अनुसार इजरायली निगरानी प्रौद्योगिकी फर्म एनएसओ के कई सरकारी ग्राहकों द्वारा हज़ारों टेलीफोन नंबरों को सूचीबद्ध किया गया था। द वायर के अनुसार इसमें 300 से अधिक सत्यापित भारतीय मोबाइल टेलीफोन नंबर शामिल हैं। ये नंबर मंत्री, विपक्ष के नेता, पत्रकार, क़ानूनी पेशे से जुड़े, व्यवसायी, सरकारी अधिकारी, वैज्ञानिक, अधिकार कार्यकर्ता और अन्य से जुड़े हैं।
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