भारत की तरह पौलेंड में भी पेगासस पर मचा हंगामा, विपक्षी नेताओं के फोन हैक करने का आरोप

जुलाई 2021 में, पत्रकारों के एक अंतरराष्ट्रीय कॉन्सॉर्टियम ने एक गहन जांच कर खुलासा किया था कि कैसे अज़रबैजान, सऊदी अरब, रवांडा और मोरक्को जैसे निरंकुश हुकूमत अपने देश के राजनेताओं, संवाददाताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी करने के लिए इजरायली पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर रहे थे। यूरोपीय यूनियन के देशों में इस सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल करने वाला एकमात्र देश हंगरी था।
अब, करीब आधे साल बाद, इसके विवरण सामने आ रहे हैं जो इशारा करते हैं कि पोलैंड की मौजूदा सरकार, राष्ट्रीय-रूढ़िवादी कानून और न्याय (पीआईएस) पार्टी के नेतृत्व में, खुद के तैयार किए पेगासस घोटाले में फंस सकती है। विपक्षी सिविक प्लेटफॉर्म (पीओ) के एक प्रमुख सांसद क्रिज़्सटॉफ़ ब्रेज़ा ने दिसंबर 2021 के अंत में कहा था कि अप्रैल और अक्टूबर 2019 के बीच उनके स्मार्टफोन को 33 बार हैक किया गया था।
इस ही समय के दौरान, ब्रेज़ा ने 13 अक्टूबर, 2019 को हुए संसदीय चुनावों से पहले अपनी पार्टी की चुनावी टीम का नेतृत्व किया था। इस अवधि के दौरान, पोलिश सार्वजनिक प्रसारक टीवीपी ने ब्रेज़ा पर आरोप लगाया था और एक नकली ईमेल का हवाला देते हुए कहा था उन्होने राजनीतिक दुश्मनों के खिलाफ एक अपमानजनक अभियान चलाने की कोशिश की थी। ब्रेजा ने कहा कि उन्हें लगता है कि उन पर आरोप लगाने का समय "कोई संयोग नहीं था।" 38 वर्षीय ब्रेजा ने कहा कि इस दौरान उनके फोन से ईमेल डाउनलोड किए गए और बाद में उन्हें षडयंत्रकारी बनाने के लिए उनमें हेरफेर किया गया था।

ब्रेजा एकमात्र पोलिश राजनेता नहीं थे जिनके ऊपर निगरानी की जा रही थी। किसी समय गृह मंत्री के रूप में काम कर चुकी एक प्रमुख विपक्षी वकील रोमन गीर्टिक का कहना है कि उनका फोन 18 बार हैक किया गया था। जून और अगस्त 2021 के बीच छह बार हैक के निशान पोलिश प्रासीक्यूटर इवा व्रज़ोसेक के फोन पर भी पाए गए हैं, जिन्होंने 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान डाक मतदान शुरू करने की पोलिश सरकार की
विवादास्पद योजनाओं की आलोचना की थी, और वे विपक्षी एसोसिएशन,पोलिश स्वतंत्र प्रासीक्यूटर, "लेक्स सुपर ओम्निया” के लिए भी काम करते हैं।
पेगासस क्या है?
पेगासस स्पाइवेयर को इजरायली प्रौद्योगिकी फर्म एनएसओ द्वारा विकसित किया गया था। इसे दुनिया भर के देशों को आतंकवाद और संगठित अपराध के खिलाफ लड़ाई में मदद करने के लिए बेचा जाता है। पेगासस वास्तविक समय में आईफोन (iPhones) और एंडरोइड-आधारित स्मार्टफ़ोन की जासूसी करने में काफी सक्षम है। यह बातचीत रिकॉर्ड कर सकता है, स्थान, डेटा को दर्ज़ कर सकता है और गुप्त रूप से सक्रिय कैमरों की निगरानी भी कर सकता है।

एसोसिएटेड प्रेस की एक समाचार रिपोर्ट से ब्रेजा को पता चला कि उन्हें हैक कर लिया गया है। व्रज़ोसेक को पता चला कि उनके डिवाइस को स्मार्टफोन निर्माता एप्पल ने खतरे में डाला था। टोरंटो विश्वविद्यालय में स्थित एक सिटिज़न लैब ने हैक की पुष्टि की है। पोलिश विपक्षी नेता इसे "पोलिश वाटरगेट" घोटाले का पल बता रहे हैं और एक विशेष संसदीय जांच की मांग कर रहे हैं, क्योंकि उन्हे इस बात का भी अंदेशा है कि पिछले चुनावों में नेताओं और अन्य प्रमुख सार्वजनिक हस्तियों पर निगरानी की गई हो सकती है।
सरकार किसी भी ऐसी जानकारी से कर रही है इनकार
इस बीच, सरकार ने कहा है कि उसे इस किस्म के गलत काम की जानकारी नहीं है। 2021 के अंत में पत्रकारों से बात करते हुए उप न्याय मंत्री माइकल वोस ने कहा, "मुझे नहीं पता कि आप किस प्रणाली के बारे में पूछ रहे हैं, मुझे नहीं पता कि यह कौन सी प्रणाली है।" वोस ने कहा कि न्याय मंत्री और पब्लिक प्रोसिक्युटर जनरल ज़बिग्न्यू ज़िओब्रो को भी इस तरह की किसी भी अवैध निगरानी की जानकारी नहीं थी।
पब्लिक प्रोसिक्युटर के कार्यालय ने मामले में बहुत कम दिलचस्पी दिखाई है। विपक्षी सांसद ब्रेजाज़ के वकील ने आरोप दायर किए हैं, लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही शुरू नहीं की गई है। व्रज़ोसेक, जिसने कानूनी कार्रवाई की भी मांग की है, उनका केस खारिज हो गया था, क्योंकि उस केस में अधिकारियों ने सबूतों की कमी का हवाला दिया था।
जनवरी की शुरुआत में, वोस ने ट्विटर के ज़रिए मामले पर प्रकाश डाला, जिस ट्वीट में एक प्लेस्टेशन गेमिंग कंसोल की एक तस्वीर को कैप्शन के साथ पोस्ट किया: "यह पेगासस है जिसे मैंने 90 के दशक में खरीदा था।" इस बीच, पोलिश प्रधानमंत्री माटुस्ज़ मोराविकी ने संकेत दिया है कि फोन-हैकिंग कांड विदेशी खुफिया एजेंसियों का काम हो सकता है, क्योंकि "दुनिया भर में ऐसी कई एजेंसियां पहले से ही मौजूद हैं।"
शीर्ष स्तर का सौदा
हाल ही में, हालांकि, स्पाइवेयर मामले पर और अधिक प्रकाश डालने वाले दस्तावेजों का एक बड़ा पुलिंदा सामने आया है। 3 दिसंबर को, पोलिश वामपंथी-उदारवादी दैनिक अख़बार गजेटा व्यबोर्क्ज़ा ने खुलासा किया कि कैसे जुलाई 2017 में, हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन ने पोलैंड के तत्कालीन प्रधानमंत्री बीटा स्ज़ीडलो और पूर्व इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ मुलाकात की थी। अखबार ने बताया कि उसी बैठक के बाद पेगासस स्पाइवेयर खरीदने का फैसला लिया गया था।

गजेटा व्यबोर्क्ज़ा की रिपोर्ट बताती है कि पोलिश सरकार ने अपराध पीड़ितों के लिए बने एक फंड से 25 मिलियन ज़्लॉटी (जोकि करीब 6 मिलियनडॉलर या 5.5 मिलियन यूरो बैठता है) पैसा निकालकर खरीद को छुपाने की कोशिश की थी, जिसे न्याय मंत्रालय नज़रअंदाज़ किया और जिसका खर्च केंद्रीय भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (Central Anti-Corruption Bureau) को उठाना चाहिए था। इसे संभव बनाने के लिए, पोलिश संसद को फंड की स्थिति को बदलना पड़ा। अख़बार कहता है कि वोस ने वित्त समिति के सामने अनुरोध प्रस्तुत किया है। गजेटा व्यबोर्क्ज़ा के अनुसार, सांसदों को या संसद को कभी भी इस बात की सूचना नहीं दी गई थी कि स्पाइवेयर खरीदने के लिए धन का आवंटन किया गया था।
इज़राइल ने कथित तौर पर पेगासस का इस्तेमाल करने के लिए लाइसेंस धारी देशों की संख्या को 100 से घटाकर 37 कर दिया है। हंगरी और पोलैंड उन देशों में से हैं, जिनका लाइसेंस रद्द कर दिया गया था। हालाँकि, पोलैंड के विपक्ष के सदस्यों को संदेह है कि इससे निगरानी कार्यक्रम समाप्त हो जाएगा। "आने वाले दिनों में, हमें निगरानी से पीड़ितों के नाम और फोन नंबर की और अधिक जानकारी मिलेगी," पीओ के संस्थापक सदस्य ग्रेज़गोर्ज़ शेटीना, जो कभी गृह और विदेश मंत्री के रूप में काम कर चुकी हैं ने उक्त बात कही।
इस बीच, सुरक्षा विशेषज्ञ पियोट्र निमेज़िक ने बताया कि अन्य स्पाइवेयर विकल्प पहले से ही बाज़ार में मौजूद हैं: उत्तर मैसेडोनिया स्थित इजरायली साइबर सुरक्षा कंपनी साइट्रोक्स ने पेगासस के लिए एक पेंडेंट, प्रीडेटर विकसित किया है। 27 दिसंबर को, पीआईएस नेता और उप-प्रधान मंत्री जारोसलाव काक्ज़िंस्की ने पोलिश जनता को यह कहकर आश्वस्त किया कि, "मैं उस वक़्त केवल आधा-मजाक कर रहा होता हूं जब मैं आपको कहता हूं कि आप मेरे जैसे फोन का इस्तेमाल करें, एक पुराना, इस्तेमाल किया हुआ उपकरण, जो वीडियो रिकॉर्ड करता है, अगर आप जानते हैं कि रिकॉर्डिंग के लिए किस बटन का इस्तेमाल करना है।" यह सर्वविदित है कि काक्ज़िंस्की आधुनिक तकनीक पर गहरा संदेह व्यक्त कर रहे थे।
अंग्रेज़ी में प्रकाशित इस मूल आलेख को पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें: Who Hacked Poland's Opposition?
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