मणिपुर में हिंसा के बाद बेघर हुए लोग असम की राजधानी गुवाहाटी में शरण लेने को मजबूर

मणिपुर में 10 दिन पहले जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद जो लोग हिंसा का शिकार होने से बचने के लिए राज्य की राजधानी इंफाल से असम पलायन कर गये थे, उनके जेहन में वे दर्दनाक यादें अब भी हैं।
इनमें से कई लोग अपने रिश्तेदारों के साथ रहने के लिए गुवाहाटी आए हैं, जिनका कहना है कि हिंसा के दौरान उनके मकान नष्ट कर दिये गये और उनके पास रहने के लिए अब घर नहीं है। कुछ लोगों ने यह बताया कि हिंसा के दौरान उन्होंने खुद को घरों में कैद कर लिया था।
मणिपुर में बहुसंख्यक मैतेई और कुकी जनजातीय समुदाय के बीच संघर्ष में अब तक 60 लोगों की जान जा चुकी है, हजारों लोग विस्थापित हुए हैं, मकान क्षतिग्रस्त कर दिये गये और उपासना स्थलों को नष्ट कर दिया गया।
गीना नाम की एक महिला ने कहा कि वह उन "भाग्यशाली" लोगों में से हैं, जिन्होंने हिंसाग्रस्त इंफाल से पलायन किया है। उन्होंने बताया कि वह अपने जीवन में दूसरी बार गृह राज्य में हिंसक जातीय संघर्ष की गवाह बनीं हैं।
कान झाओ नाम के एक युवक ने कहा कि वह और परिवार के सदस्य बेघर हो गए हैं। चार लोगों के उनके परिवार को यह नहीं पता कि वापस वे कहां जाएंगे क्योंकि हिंसा के दौरान उनके मकान को आग लगा दी गई थी।
मिमी नाम की एक युवती ने कहा कि वह इंफाल में अपने घर लौटने की सोच भी नहीं सकती। उनके पति अभी भी काम के सिलसिले में चुराचांदपुर में हैं, जहां 3 मई को पहली बार हिंसा भड़की थी। वह अपनी बेटियों के साथ यहां आकर गुजर-बसर कर रही हैं।
इसी तरह कई अन्य लोगों कई अन्य लोगों के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती अपने बिखरे हुए जीवन को फिर से व्यवस्थित करने और आगे बढ़ने की है।
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।