मध्य प्रदेश: गुना में कर्जदार दलित परिवार पर पुलिस का अत्याचार

मध्यप्रदेश के गुना में पुलिस द्वारा दलित परिवार की पिटाई का मामला बढ़ता जा रहा है। पहले इस मामले को पुलिस ने दबाने की कोशिश की थी, लेकिन इसका वीडियो वायरल हो जाने के बाद सरकार को राजनीतिक नुकसान का डर सताने लगा है। यही वजह है कि इस मामले में सरकार ने जिले के कलेक्टर और एसपी को हटा दिया। इस मामले पर कल तक स्थानीय नेता सक्रिय थे, लेकिन आज बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय प्रमुख मायावती और कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर विरोध जताया। जिस दलित दंपत्ति की पिटाई पुलिस ने की थी, उन्होंने कीटनाशक पी लिया था। वे गंभीर अवस्था में गुना जिला अस्पताल में भर्त्ती हैं।
हमारी लड़ाई इसी सोच और अन्याय के ख़िलाफ़ है। pic.twitter.com/egGjgY5Awm
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 16, 2020
14 जुलाई को गुना शहर से लगे कैंट थाना क्षेत्र के जगनपुर चक में सरकारी जमीन से कब्जा हटाने के लिए राजस्व अमले के साथ पुलिस गई थी। उस जमीन पर राजू अहिरवार ने फसल बोई है। जब नपाई के बाद सरकारी अमले ने फसल उजाड़ना शुरू किया, तो राजू अहिरवार और उसकी पत्नी ने विरोध किया। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि यह जमीन उसने गप्पू पारधी से बटाई पर लेकर फसल लगाया है। इसके लिए उसने 2 लाख रुपए का कर्ज लिया है। वह पहले से भी कर्जदार है। ऐसे में जब फसल अंकुरित हो गई है, तो फसल काटने तक उसे जमीन से नहीं हटाया जाए। फसल कट जाए, उसके बाद उसे हटाया जाए। लेकिन उसकी गुहार पुलिस ने नहीं सुनी।
जब परिवार विरोध करने लगा, तो प्रशासन ने जबर्दस्ती की तो राजू अहिरवार उसकी पत्नी सावित्री ने कीटनाशक पी लिया। पुलिस इसे नाटक समझती रही। बच्चे बेहोश महिला के पास रोते रहे। जब उसका भाई विरोध करने आया, तो पुलिस ने उस पर लाठियां बरसानी शुरू कर दी। इस बीच इस परिवार की महिलाओं के कपड़े तक फट गए। तहसीलदार के अनुसार परिवार ने महिला पुलिस के साथ बदसलूकी की, इसलिए सख्ती की थी। इस मामले में राजू और उसके परिवार पर पुलिस ने केस दर्ज किया है।
गुना की यह शासकीय जमीन कॉलेज के लिए आवंटित है। इस जमीन पर राजू अहिरवार ने खेती की है। उसका कहना है कि यह जमीन उसने गप्पू पारदी से बटाई पर ली है। इस जमीन पर सालों से पूर्व पार्षद गप्पू पारदी का कब्जा रहा है। जब जमीन कॉलेज के लिए आवंटित कर दिया गया, तो लगभग 8 महीने पहले उस पर से प्रशासन ने कब्जा हटाया था। लेकिन जब उस पर कोई काम शुरू नहीं हुआ, तो गप्पू ने उस पर फिर से कब्जा कर लिया और इसे बटाई पर राजू अहिरवार को दे दिया।
इस पूरे प्रकरण में न केवल पुलिस की कार्रवाई का विरोध हो रहा है, बल्कि सरकार की विफलता की बात भी उठने लगी है। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया पर विपक्ष हमलावर हो गई है। प्रदेश का वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य सिंधिया के इर्द-गिर्द घुम रहा है। ऐसे में उनके संसदीय क्षेत्र की इस घटना ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है।
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट किया है, ‘ये शिवराज सरकार प्रदेश को कहां ले जा रही है? ये कैसा जंगलराज है?’ राहुल गांधी ने इस पर आज ट्वीट करते हुए लिखा है कि हमारी लड़ाई इसी सोच और अन्याय के खिलाफ है। कांग्रेस इस मामले को ज्यादा से ज्यादा उठाना चाहती है।
ये शिवराज सरकार प्रदेश को कहाँ ले जा रही है ?
ये कैसा जंगल राज है ?
गुना में कैंट थाना क्षेत्र में एक दलित किसान दंपत्ति पर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों द्वारा इस तरह बर्बरता पूर्ण लाठीचार्ज।
1/3 pic.twitter.com/lRgOFaWHPp— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) July 15, 2020
प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता ने बताया, ‘गुना में दलित परिवार के साथ प्रशासनिक बर्बरता की घटना पर प्रदेश क्षोभ से उद्वेलित है। 17 जुलाई को कांग्रेस पार्टी का एक प्रतिनिधि मंडल वस्तुस्थिति का आंकलन करने गुना जायेगा। वहां पीड़ित परिवार से भी मिलेगा और घटना की वास्तविक जानकारी लेगा। प्रतिनिधिमंडल में पूर्व मंत्री बाला बच्चन, जयवर्धन सिंह, हुकुम सिंह कराड़ा, कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी, रामनिवास रावत, फूलसिंह बरैया, विधायक हीरालाल अलावा व बलवीर तोमर रहेंगे।’
आज मायावती ने इस घटना की निंदा करते हुए ट्वीट किया है, ‘मध्यप्रदेश के गुना पुलिस व प्रशासन द्वारा अतिक्रमण के नाम पर दलित परिवार को कर्ज लेकर तैयार की गई फसल को जेसीबी मशीन से बर्बाद करक उस दंपत्ति को आत्महत्या का प्रयास करने को मजबूर कर देना अति क्रूर व अति शर्मनाक।’
2. एक तरफ बीजेपी व इनकी सरकार दलितों को बसाने का ढिंढोरा पीटती है जबकि दूसरी तरफ उनको उजाड़ने की घटनाएं उसी तरह से आम हैं जिस प्रकार से पहले कांग्रेस पार्टी के शासन में हुआ करती थी, तो फिर दोनों सरकारों में क्या अन्तर है? खासकर दलितों को इस बारे में भी जरूर सोचना चाहिए।
— Mayawati (@Mayawati) July 16, 2020
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि एक तरफ बीजेपी व इनकी सरकार दलितों को बसाने का ढिंढोरा पीटती है जबकि दूसरी तरफ उनको उजाड़ने की घटनाएं उसी तरह आम हैं जिस प्रकार से पहले कांग्रेस शासन में हुआ करती थी। मायावती ने न केवल भाजपा को बल्कि इस घटना को लेकर कांग्रेस को भी घेरने की कोशिश की है। मध्यप्रदेश में होने वाले 25 विधान सभा सीटों के उप चुनाव में बसपा ने सभी पर अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है। ऐसे में उनकी निगाह अपने मतदाताओं पर भी है।
अतिक्रमण हटाने के नाम पर प्रदेश में दलितों और आदिवासियों के साथ हिंसा लगातार होती है। उनकी खड़ी फसलों को उजाड़ना और झोपड़ियों को तोड़कर बर्तन व खेती-किसानी के औजार जब्त करने में वन विभाग व पुलिस का रवैया असंवेदनशील होता है। वरिष्ठ पत्रकार लज्जाशंकर हरदेनिया कहते हैं, ‘गुना की घटना बहुत ही निंदनीय है। राजनीतिक दल अपने-अपने हिसाब से इस मामले को उठा रहे हैं।
The Guna SP and Collector have been removed, and inquiry has been sought into the incident. I am confident that action will be taken against all those who are responsible for this heinous act. https://t.co/3D05PIuVkC
— Jyotiraditya M. Scindia (@JM_Scindia) July 16, 2020
सिंधिया ने भी इस घटना को गंभीर अपराध माना है। लेकिन इस मामले पर सिर्फ कलेक्टर और एसपी को हटा देने और जांच बैठा देने से क्या दलित परिवार के साथ इंसाफ हो जाएगा, क्या उसके छोटे-छोटे बच्चों की देखभाल हो जाएगी, क्या वह परिवार कर्ज से मुक्त हो जाएगा? क्या गुना की यह घटना नहीं होती, तो कलेक्टर और एसपी को हटाने जैसी कार्रवाई भी हो पाती? यदि इन सवालों का जवाब नहीं मिलता है, तो इस घटना का राजनीतिक असर पड़ना स्वाभाविक है।’
गुना की दुर्भाग्यपूर्ण घटना को गंभीरता से संज्ञान में लेते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने गुना के कलेक्टर और एसपी को तत्काल प्रभाव से हटाने के निर्देश दे दिए है। @ChouhanShivraj https://t.co/zrehxYZV0n
— Jyotiraditya M. Scindia (@JM_Scindia) July 15, 2020
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