लखीमपुर खीरी: सरकार और किसानों के बीच बढ़ रहा है तनाव, आरोपियों की गिरफ़्तारी न होने से ज़्यादा गुस्सा
लखीमपुर की घटना के बाद किसानों और योगी आदित्यनाथ सरकार के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। किसानों का कहना है कि सरकार अभियुक्तों को गिरफ़्तार करने के बदले उनको सुरक्षा दे रही है।
राजधानी लखनऊ का पड़ोसी शहर लखीमपुर किसान आंदोलन का केंद्र बनता देख, प्रदेश सरकार के माथे पर भी पसीना नज़र आ रहा है। सरकार भले ही विपक्षी पार्टियों के नेताओं को लखीमपुर में प्रवेश नहीं करने दे रही है, लेकिन वहाँ बड़ी संख्या में किसान अभी भी डटे हुए हैं।
किसानों का कहना है की सरकार उनको धोखा दे रही है-घटना के तीसरे दिन भी मुख्य अभियुक्त गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की गिरफ़्तारी नहीं हुई है। इसके अलावा मृतको की “पोस्ट्मॉर्टम” में गोली के निशान न दिखने से भी किसानों में रोष है। किसानों का आरोप है कि गाड़ी से कुचलने के साथ गोली लगने से भी प्रदर्शनकारी किसनों की मौत हुई है।
“तिकुनियां” में गाड़ी से कुचल के मरने वालों में 19 साल के लवप्रीत सिंह की मौत की बाद उनके गाँव में कल दिन भर ग़म का महौल दिखाई दिया। बड़ी संख्या में किसान उनके गाँव “चौखड़ा फार्म” में उनके पार्थिव शरीर के साथ मौजूद रहे। यहाँ घटना स्थल पर मौजूद एक किसान से कहा कि केवल “तीन मिनट” में चार किसान मार दिये गये।
सिमरनजीत सिंह ने बताया कि कारें इतनी रफ़्तार में थी कि किसान कुछ समझ नहीं सके और गाड़ियों ने उनको रौंद दिया। यह घटना उस वक़्त पर हुई जब प्रदर्शन ख़त्म कर के किसान तिकोनिया से वापस लौटने की तैयारी कर रहे थे। सिमरनजीत ने आगे बताया कि गाड़ियाँ पीछे की तरफ़ से आई इस लिए किसान अपना बचाव भी नहीं कर सके।
उन्होंने सवाल करते हुए कहते हैं कि प्रदर्शनस्थल पर सिंगल रोड थी, और वहाँ काफ़ी संख्या में किसान जमा थे, वहाँ इतनी तेज़ रफ़्तार में गाड़ी क्यूँ चलाई गई? अगर उनको मारने का इरादा नहीं था। गाड़ियों पर किसानों का पत्थर चलाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर पत्थर चले तो उसका वीडियो भी होगा, वह क्यूँ नहीं दिखाते,किसानों पर आरोप लगने वाले?
उन्होंने बताया कि जब गाड़ियों से निकल कर 5-7 लोग भागे तो वह गोलियाँ भी चला रहे थे। मौक़े के मौजूद सिमरनजीत कहते हैं कि घटना के ज़िम्मेदार-(सूत्रधार) स्वयं गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा है, जिन्होंने 25 सितंबर को एक भाषण में किसानों को धमकी दी थी।
चौखड़ा फार्म पहुँचे अधिवक्ता भानु प्रताप सिंह ने योगी सरकार पर आशीष मिश्रा को सरकारी संरक्षण देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पुलिस का काम लखीमपुर आ रहे लोगों को रोकना नहीं बल्कि आरोपी को गिरफ़्तार करना होना चाहिए हैं। प्रसिद्ध अधिवक्ता ने कहा कि पोस्टमार्टम की रिपोर्ट पर संदेह होना स्वाभाविक है क्यूँकि जब गोली चलने के “चश्मदीद” गवाह मौजूद है और रिपोर्ट में इसका ज़िक्र तक नहीं है।
भानु प्रताप ने कहा कि इसका अर्थ यह है कि मंत्री के बेटे को बचाने के लिए घटना के सबूतों के साथ छेड़छाड़ की जा रही है। उन्होंने कहा कि अगर हालत ऐसे ही रहे तो घटना का सच कैसे सामने आयेगा। क़ानूनी पहलू पर रौशनी डालते हुए उन्होंने का कहा कि गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा पर भी 120-बी (अपराध की साज़िश) का मुक़दमा होना चाहिए है, क्यूँकि कुछ दिन पहले ही उन्होंने किसानों को अपने एक भाषण में धमकी दी थी। जिसका वीडियो मौजूद है।
उन्होंने आगे कहा की अगर भाजपा ईमानदारी से जाँच करवाना चाहती है कि तो सबसे पहले अजय मिश्रा को मंत्री पद से बर्खास्त करे। वरना वह पद पर रहते, जाँच को प्रभावित करेंगे और प्रशासन पर दबाव बनायेंगे।
किसान नेता सुखविंदर सिंह का कहना है कि सरकार किसानों को धोखा दे रही है। सरकार सारी “घटना” को “हादसा” बताने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि किसानों को गोली से मारा गया और सरकार इसको हादसा बताना चाहती है जो किसान मंज़ूर नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि यह किसानों के आत्मसम्मान का मामला है, और इस लड़ाई में सारा देश उनके साथ है। सुखविंदर सिंह ने आशंका जताई कि अगर इस मामले में ठोस करवाई नहीं हुई तो,आगे भी ऐसी और घटनाओं का ख़तरा रहेगा।
लवप्रीत सिंह के घर आये समाजवादी पार्टी के नेता क्रांति सिंह कहते हैं कि एफ़आईआर दर्ज होने के बाद भी मंत्री का बेटे को अभी तक हिरासत में नहीं लिया गया है। क्रांति सिंह का आरोप है जिस किसान ने मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष को मौक़े पर पकड़ा था, उसके गोली मारी गई थी। जिसकी पुष्टि “एक्स-रे” में भी हुई थी। लेकिन यह बात पोस्ट्मॉर्टम में नहीं होना सरकार की नीयत पर सवालिया निशान लगता है।
उधर इस घटना में मारे गये पत्रकार रमन कश्यप के पिता ने कहा की उनका बेटा कवरेज करने गया था। जहाँ उसकी गाड़ी से रौंद कर मौत हुई। उन्होंने कहा कि उसके बेटे के हत्यारे वही हैं जिनकी वह गाड़ियाँ थी, जिन्होंने प्रदर्शनकारियों को रौंदा था। इसके अलावा मृतक पत्रकार के पिता ने मीडिया से यह भी कहा कि उनके घायल बेटे को समय से उपचार नहीं मिला। उनका कहना है अगर समय रहते उपचार दिया जाता तो शायद रमन कश्यप को बचाया जा सकता था।
ज़िला लखीमपुर खीरी में चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात है। लखीमपुर की सीमा में अंदर किसी को आने आने की अनुमति नहीं है। ज़िले में धारा 144 लगा दी गई है। कल थोड़ी देर के लिए लखीमपुर में इंटरनेट सेवाओं को बहाल किया गया था। लेकिन आज स्थिति को संवेदनशीलता को देखते हुए लखीमपुर के साथ सीतापुर की भी इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है।
उधर कांग्रेस ने एक बयान जारी करते हुए कहा है सीतापुर और लखीमपुर जाते समय उनके नेताओं सचिन पायलट, आचार्य प्रमोद कृष्णम को पुलिस ने गाजियाबाद में
पुलिस में रोक लिया है। जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेसी नेता अंशु अवस्थी कहा ने कहा है कि आखिर क्या छुपाना चाहती भाजपा सरकार? हालांकि ताज़ा ख़बर यह भी है कि प्रियंका और राहुल समेत कुछ नेताओं को लखीमपुर जाने की इजाज़त दी गई है।
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