कोलकाता मेट्रो ने 2500 से अधिक अस्थायी कर्मचारियों की छंटनी की

कोलकाता: 44 वर्षीय गौर प्रमाणिक एक कुशल श्रमिक हैं, जो कोलकाता के मेट्रो रेल में काम करते हैं। उनकी मां, दो बेटियां और उनकी पत्नी उनकी मजदूरी पर आश्रित हैं, जो प्रमाणिक मेट्रो रेल से कमा कर लाते हैं। बहरहाल, पिछले दो सप्ताहों से भारतीय रेल ने संविदा पर रखे गए मजदूरों की मजदूरी रोक रखी है। उन्होंने इसके लिए वजह महामारी बताई है।
न्यूजक्लिक से बात करते हुए प्रमाणिक ने कहा कि अब उन्हें आजीविका की जरूरतों को पूरी करने के लिए आसपास की जगहों में ग्राहकों की तलाश करनी होगी। मेट्रो रेलवे मेन्स यूनियन (एमआरएमयू) के तापस कुंडु ने न्यूजक्लिक से बात करते हुए कहा कि हालांकि उनके अनुबंध को समाप्त नहीं किया गया है, पर प्रभावी रूप से पटरी के रख-रखाव पर काम करने वाले गैंगमैन सहित सभी 2,500 कर्मचारियों और सभी अस्थायी कर्मचारियों की छंटनी कर दी गई है।
तापस कुंडु अखिल भारतीय रेल कर्मचारी संघ में कोलकाता के मेट्रो रेल के प्रतिनिधि भी हैं। उन्होंने कहा कि एमआरएमयू ने कोलकाता के मेट्रो रेल के प्रधान मुख्य इंजीनियर को कवि सुभाष -दक्षिणेश्वर रूट में रात्रिकालीन रख-रखाव में संविदा कर्मचारियों की कमी के बारे में पत्र भी लिखा है।
प्रशासन ने पटरी के रख-रखाव के लिए 100-150 ट्रैकमेन लगाए हैं, लेकिन पटरी के रखरखाव के लिए 30 स्थायी पदों को भरा जाना अभी भी बाकी है। पत्र में एमआरएमयू ने इसका उल्लेख करते हुए आरोप लगाया कि, ‘ अब प्रशासन लगभग 50 ट्रैकमेन के वर्तमान श्रमबल पर दबाव डालने पर विचार कर रहा है जो न केवल बेतुका है बल्कि यात्रियों की सुरक्षा के साथ समझौता करने की कोशिश भी है। हमने सुरक्षा वर्ग में रिक्तियों को भरने का मुद्वा उठाया था।
इससे पूर्व, सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) के महासचिव देबंजन चक्रवर्ती ने केंद्रीय रेल मंत्री को यह बताते हुए कि ठेकेदार स्थानीय सत्तारूढ़ दल की मिलीभगत से ईपीएफ के अस्थायी कर्मचारियों को भी प्रभावित कर रहे हैं। उत्तरदायी प्राधिकारियों द्वारा इस मुद्वे का समाधान किया जाना अभी बाकी है। ये सारे कठोर कदम महामारी को बहाना बना कर उठाये जा रहे हैं।
कोलकाता मेट्रो भारत में पहली नियोजित और क्रियाशील रैपिड ट्रांजिट सिस्टम थी। सबसे पहली इसकी योजना 1920 के दशक में बनाई गई थी लेकिन निर्माण कार्य 1970 के दशक में आरंभ हुआ। पहला भूमिगत खंड भवानीपुर (अब नेताजी भवन) से एस्प्लेनेड था, जो 1984 में खुला। लाइन 2 या ईस्ट-वेस्ट कॉरीडोर 2020 में खुला। 2011-12 तक, रेल मंत्रालय ने पांच नई मेट्रो लाइनों के निर्माण तथा विद्यमान नार्थ-साउथ कॉरीडोर के विस्तार की योजना की घोषणा कर दी थी। ये थी-साल्ट लेक-हावड़ा मैदान (लाईन 2 या ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कॉरीडोर), जोका-बीबीडी बाघ ( लाईन 3। बाद में एस्प्लेनेड तक संक्षिप्त कर दिया गया), नोआपारा-बारासात (लाईन 4, बरास्ते हवाई अड्डा), बारानगर-बैरकपुर (लाईन 5), न्यू गरिया-दमदम हवाई अड्डा (लाईन 6 )।
सीटू की पश्चिम बंगाल राज्य समिति के अध्यक्ष सुभाष मुखर्जी के अनुसार, 31 अगस्त को कोलकाता के रेल भवन के सामने अस्थायी मजदूरों द्वारा एक विशाल प्रदर्शन का आयोजन किया जाएगा। केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ विरोध करने के लिए बैंकिंग क्षेत्र, बीमा क्षेत्र और बंदरगाह तथा डौक मजदूर यूनियन के कर्मचारी प्रदर्शन में भाग लेंगे।
मुखर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार राज्य की संपत्तियों को निजी हाथों में दे रही है। उन्होंने बताया कि यह भारत-विरोधी साजिश है। इसकी वजह से सभी सेक्टरों में अस्थायी मजदूरों की छंटनी की नौबत आ गई है। उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल में पिछले कुछ वर्षों में लगभग 45 सरकारी परियोजनाओं को निजी क्षेत्र को सुपुर्द कर दिया गया है और 31 अगस्त को मजदूर भी इसके खिलाफ प्रदर्शन करेंगे।
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