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भारतीय कन्नड़ लेखिका बानु मुश्ताक को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार

बानु को यह सम्मान उनकी कन्नड़ भाषा में लिखे गए लघुकथा संग्रह "Heart Lamp" के लिए दिया गया है। इसका कन्नड़ से अंग्रेज़ी में अनुवाद करने वाली अनुवादक दीपा भास्‍ती भी इस पुरस्कार की साझेदार बनीं।
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लेखिका बानु मुश्ताक और अनुवादक दीपा भास्‍ती। फ़ोटो साभार गूगल

 

भारतीय लेखिका, वकील और सामाजिक कार्यकर्ता बानु मुश्ताक को 2025 के अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्हें यह सम्मान उनकी कन्नड़ भाषा में लिखे गए लघुकथा संग्रह "Heart Lamp" के लिए दिया गया है। यह पुरस्कार सोमवार रात लंदन के टेट मॉडर्न में आयोजित समारोह में घोषित किया गया।

"Heart Lamp" को कन्नड़ से अंग्रेज़ी में अनुवाद करने वाली अनुवादक दीपा भास्‍ती भी इस पुरस्कार की साझेदार बनीं। यह पहला अवसर है जब किसी कन्नड़ पुस्तक को यह प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। साथ ही, यह पहला लघुकथा-संग्रह है जिसे यह पुरस्कार प्रदान किया गया है।

इस संग्रह में 12 लघुकथाएँ शामिल हैं जो बानु मुश्ताक ने 1990 से 2023 के बीच लिखी हैं। ये कहानियाँ दक्षिण भारत के मुस्लिम और दलित समुदायों, ख़ासकर महिलाओं के जीवन संघर्ष, सामाजिक असमानता, पितृसत्ता और जातिगत अन्याय जैसे विषयों को मार्मिकता से उजागर करती हैं।

पुरस्कार समारोह में निर्णायक मंडल के अध्यक्ष और लेखक मैक्स पोर्टर ने "Heart Lamp" को "साहसी, सुंदर और गहराई से मानवीय" कहानियों का संग्रह बताया। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक "ऐसे जीवन की अंतर्दृष्टि देती है जो अंग्रेज़ी साहित्य में कम ही देखने को मिलते हैं।"

अपने भाषण में बानु मुश्ताक ने कहा—

"यह क्षण ऐसा है जैसे हजारों जुगनुओं ने एक आकाश को रोशन कर दिया हो – क्षणिक, चमकदार और पूरी तरह से सामूहिक।"

यह पुरस्कार जीतने वाली वह दूसरी भारतीय लेखिका हैं। इससे पहले 2022 में गीतांजलि श्री को उनके हिंदी उपन्यास "रेत समाधि" (अनुवाद: Tomb of Sand) के लिए यह सम्मान मिला था।

यहां आपको बता दें कि बुकर पुरस्कार भारतीय लेखिका अरुंधति रॉय समेत कई भारतीय और भारतीय मूल के लेखकों को मिला है। लेकिन फिर गीतांजलि श्री को पहली भारतीय लेखिका और बानु मुश्ताक को दूसरी लेखिका क्यों कहा जा रहा है। 

बुकर पुरस्कार और अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार में एक अंतर है।  

बुकर पुरस्कार (Booker Prize) और इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार (International Booker Prize) — दोनों ही दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कारों में गिने जाते हैं, लेकिन बुकर पुरस्कार मूल अंग्रेज़ी में लिखे गए उपन्यास को दिया जाता है। लेखक किसी भी राष्ट्रीयता का हो सकता है, लेकिन किताब UK (United Kingdom of Great Britain and Northern Ireland) में प्रकाशित होना ज़रूरी है। यह पुरस्कार 1969 से दिया जा रहा है इसमें 50,000 पाउंड (लगभग 50 लाख रुपये) विजेता लेखक को दिए जाते हैं।

अरुंधति रॉय को The God of Small Things के लिए 1997 में यही पुरस्कार मिला था। इसके अलावा केरण देसाई को 2006 में The Inheritance of Loss के लिए और अरविंद अडिगा को 2008 में The White Tiger के लिए बुकर पुरस्कार मिला। 

इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार (The International Booker Prize) किसी भी भाषा में लिखे गए उपन्यास या लघुकथा संग्रह को दिया जाता है, लेकिन शर्त है कि वह अंग्रेज़ी में अनुवाद होकर UK में प्रकाशित हुआ हो। इसमें लेखक और अनुवादक — दोनों को पुरस्कार मिलता है। 50,000 पाउंड (लगभग 50 लाख) की पुरस्कार राशि लेखक और अनुवादक में बराबर बाँटी जाती है। इसकी शुरुआत 2005 में हुई। और यह मौजूदा स्वरूप में 2016 से हर साल दिया जाता है।

"Heart Lamp" का प्रकाशन ब्रिटेन के स्वतंत्र प्रकाशक And Other Stories द्वारा किया गया है। इस पुरस्कार से कन्नड़ और अन्य भारतीय भाषाओं के साहित्य के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनुवाद और प्रसार को नई दिशा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

बानु मुश्ताक का जन्म 1948 में कर्नाटक के हसन जिले में हुआ था। उन्होंने बंडाया साहित्य आंदोलन के तहत लेखन की शुरुआत की, जो सामाजिक न्याय और महिलाओं के अधिकारों के लिए समर्पित था। उन्होंने छह लघुकथा-संग्रह, एक उपन्यास, एक निबंध संग्रह और एक कविता संग्रह प्रकाशित किए हैं। उनकी कहानियाँ विभिन्न भाषाओं में अनूदित हुई हैं, और "Heart Lamp" उनका पहला अंग्रेज़ी में अनूदित पूर्ण संग्रह है।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और कांग्रेस सांसद शशि थरूर समेत कई प्रमुख हस्तियों ने बानु मुश्ताक और दीपा भास्‍ती को बधाई दी है। उन्होंने इसे भारतीय भाषाओं और क्षेत्रीय साहित्य के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताया।

 

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